CG: जनसरोकारों को मिली नई उड़ान: छुरा के चरौदा में समाधान शिविर ने रचा भरोसे का नया इतिहास
सुशासन तिहार के अंतर्गत त्वरित समस्या समाधान, योजनाओं का लाभ और मानवीय संवेदना की अनूठी मिसाल

छुरा/गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। जनसरोकारों को मिली नई उड़ान छत्तीसगढ़ सरकार की अभिनव पहल सुशासन तिहार के तीसरे चरण के अंतर्गत गरियाबंद जिले में जनसमस्याओं के त्वरित समाधान और शासन की योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जो जिला स्तरीय समाधान शिविर आयोजित किए जा रहे हैं, उन्होंने एक नई प्रशासनिक संस्कृति की शुरुआत कर दी है। इसी कड़ी में शुक्रवार को छुरा विकासखंड की ग्राम पंचायत चरौदा में आयोजित समाधान शिविर ने जनआस्था और प्रशासनिक तत्परता का एक बेमिसाल उदाहरण पेश किया।
गांव के चौपाल में आयोजित इस शिविर में न सिर्फ चरौदा, बल्कि आसपास के ग्राम पंचायतों – भेंडरी, मोहंदी, सिवनी, कोपरा और रघुनाथपुर के लोग भी बड़ी संख्या में पहुँचे। महिलाएं, वृद्धजन, युवा और किसान – सभी के चेहरों पर आशा की किरण झलक रही थी। वे अपने वर्षों से लंबित समस्याओं के समाधान की आस लेकर पहुँचे थे और अधिकांश को वहीं मौके पर त्वरित निराकरण भी मिला।
शिविर बना प्रशासन और जनता के संवाद का जीवंत मंच
शिविर में विभिन्न विभागों के स्टॉल लगाए गए थे – जनपद पंचायत, महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य विभाग, राजस्व, कृषि, सामाजिक कल्याण, विद्युत, रोजगार, शिक्षा और खाद्य विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों ने मौके पर ही आवेदनों को लिया, जांच की और अधिकांश का तुरंत समाधान कर दिया।
वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, जाति प्रमाण पत्र, खाद्य सुरक्षा कार्ड, श्रमिक कार्ड, आयुष्मान भारत योजना, उज्ज्वला गैस योजना जैसे मामलों में अनेक हितग्राहियों को मौके पर लाभान्वित किया गया।
संवेदनशील प्रशासन का चेहरा बनी मातृत्व और बाल देखभाल योजनाएं
शिविर का सबसे भावुक क्षण तब आया जब दर्जनों गर्भवती महिलाओं को पोषण आहार किट वितरित की गई और उनके लिए पारंपरिक गोदभराई रस्म संपन्न हुई। रंगीन चूड़ियाँ, नारियल, मेहंदी और मंगल गीतों के साथ माहौल पूरी तरह से उत्सवमय हो गया।
वहीं शिशुओं के लिए अन्नप्राशन संस्कार भी कराया गया – शासन की योजना को सिर्फ लाभ नहीं, एक सांस्कृतिक आयोजन की तरह प्रस्तुत कर प्रशासन ने यह सिद्ध किया कि वह केवल योजनाएं नहीं चला रहा, बल्कि समाज से संवेदनात्मक रूप से जुड़ रहा है।
प्रशासनिक नेतृत्व रहा प्रेरणास्रोत
शिविर में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित सीईओ जिला पंचायत जी.आर. मरकाम ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सुशासन तिहार की संकल्पना को जनहितैषी और दूरदर्शी पहल बताया। उन्होंने कहा, “यह केवल योजनाओं के प्रचार-प्रसार का अभियान नहीं है, बल्कि जनता की समस्याओं को उनके द्वार पर जाकर सुनने, समझने और निराकृत करने का प्रतिबद्ध प्रयास है। शासन अब केवल कागज़ों तक सीमित नहीं रहा, वह अब चौपालों तक पहुँच चुका है।”
शिविर में एसडीएम सुश्री नेहा भेड़िया और जनपद सीईओ सतीश चंद्रवंशी सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे। उन्होंने शिविर में सक्रिय भागीदारी निभाते हुए न केवल समस्या सुनी, बल्कि व्यक्तिगत रूप से लोगों को सहायता भी प्रदान की।
शिविर में दिखा भरोसे का विस्तार, सुशासन का असर
शिविर के समापन पर अनेक ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने पहली बार शासन को इतने निकट से अपनी समस्याओं के साथ खड़ा पाया। ग्राम चरौदा के किसान भूरा राम ने कहा, “मैं तीन महीने से सिंचाई कनेक्शन के लिए आवेदन कर रहा था, लेकिन आज यहां अधिकारियों ने तुरंत मेरा कागज़ चेक किया और प्रक्रिया शुरू कर दी। यह असली काम है।”
ग्राम की महिला समूह अध्यक्ष रीना साहू ने बताया कि महिला समूहों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी विभागीय अधिकारियों ने उन्हें ऋण व विपणन सहायता की योजनाओं की जानकारी दी और फॉर्म भरवाए।
निष्कर्ष: सुशासन की नई परिभाषा
चरौदा में आयोजित समाधान शिविर सिर्फ एक औपचारिक आयोजन नहीं रहा, बल्कि शासन की मंशा और प्रशासन की कर्मठता का जीवंत उदाहरण बनकर उभरा। शासन की योजनाएं जब संवेदना के साथ गाँव-गाँव पहुँचती हैं, तो सुशासन केवल नारा नहीं रह जाता – वह एक जीवंत अनुभूति बन जाती है।
छत्तीसगढ़ सरकार की यह पहल यदि इसी तरह गांवों में निरंतरता के साथ जारी रही, तो आने वाले समय में ‘गांव की चौपाल’ ही ‘सुशासन का असली दफ्तर’ बन जाएगी।