CG:डिजिटल क्रांति की ओर छुरा के शिक्षक: ICT और डिजिटल क्लासरूम प्रशिक्षण से सजेगा भविष्य का शिक्षा तंत्र
छुरा/गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। डिजिटल क्रांति के शिक्षा क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत हो चुकी है, जो पारंपरिक ब्लैकबोर्ड-चॉक की पढ़ाई को अब स्मार्ट बोर्ड और डिजिटल टूल्स से जोड़ने जा रही है। समग्र शिक्षा अभियान, रायपुर के आदेशानुसार और डीजी दुनिया परियोजना के अंतर्गत छुरा विकासखंड के सैकड़ों शिक्षक अब डिजिटल युग के अनुरूप खुद को तैयार कर रहे हैं।
19 मई से शुरू हुआ विशेष प्रशिक्षण शिविर
आदर्श पूर्व माध्यमिक शाला, छुरा में 19 मई से शुरू हुए दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में अब तक विकासखंड के विभिन्न विद्यालयों से आए 120 से अधिक शिक्षक भाग ले चुके हैं। यह प्रशिक्षण विशेष रूप से उन शिक्षकों के लिए आयोजित किया गया है जिनके विद्यालयों को हाल ही में आईसीटी (सूचना और संचार प्रौद्योगिकी) उपकरणों और डिजिटल क्लासरूम सुविधाओं से युक्त किया गया है।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन मास्टर ट्रेनर तरुण कुमार साहू एवं जिला समन्वयक दुष्यंत कुमार साहू के नेतृत्व में किया जा रहा है। दोनों विशेषज्ञ प्रशिक्षकों ने शिक्षकों को न केवल तकनीकी कौशल सिखाए, बल्कि डिजिटल शिक्षा के महत्व और इसके दीर्घकालिक प्रभावों पर भी गहराई से प्रकाश डाला।
डिजिटल तकनीक से सशक्त होगा शिक्षक वर्ग
प्रशिक्षण के दौरान शिक्षकों को बताया गया कि ICT उपकरणों — जैसे कि प्रोजेक्टर, स्मार्ट बोर्ड, कंप्यूटर, टैबलेट और इंटरनेट कनेक्शन — का कैसे अधिकतम उपयोग कर कक्षा को इंटरएक्टिव और रोचक बनाया जा सकता है। विशेष रूप से ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों के लिए यह पहल वरदान साबित हो सकती है, जहां परंपरागत शिक्षण संसाधनों की कमी लंबे समय से शिक्षा की गुणवत्ता में बाधा रही है।
लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम (LMS) के उपयोग, छात्र-शिक्षक यूनीक आईडी निर्माण, ऑनलाइन प्रोजेक्ट मैनेजमेंट पोर्टल, और डिजिटल शिकायत निवारण प्रणाली जैसी विषयों पर भी शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया। इन सभी तकनीकों का उद्देश्य शिक्षा को सुगम, पारदर्शी और समयानुकूल बनाना है।
शिक्षा में आएगा क्रांतिकारी परिवर्तन
यह प्रशिक्षण केवल एक तकनीकी जानकारी नहीं, बल्कि शिक्षा में एक क्रांतिकारी बदलाव की नींव है। डिजिटल कक्षाओं से छात्रों को ऑडियो-विजुअल सामग्री के माध्यम से कठिन विषय भी सरल लगने लगेंगे। गणित के सूत्र, विज्ञान की प्रक्रियाएं और इतिहास की घटनाएं अब बच्चों के सामने चलचित्र की तरह सजीव होंगी।
छुरा जैसे अर्धशहरी और ग्रामीण क्षेत्र में डिजिटल कक्षाओं का यह आगाज शिक्षा के सामाजिक समानता की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। इससे न केवल शहर और गांव के बीच की डिजिटल खाई पाटी जा सकेगी, बल्कि प्रतिभाशाली छात्रों को वैश्विक स्तर की शिक्षा भी सुलभ होगी।
शिक्षकों का उत्साह चरम पर
प्रशिक्षण में भाग लेने वाले शिक्षकों ने इसे अपने करियर के लिए ‘गेम चेंजर’ करार दिया। ग्राम कुंडेल से आए एक शिक्षक ने कहा, “पहले हमें लगता था कि तकनीक केवल निजी स्कूलों तक सीमित है, लेकिन अब हमें भी वह ताकत मिल रही है जिससे हम अपने बच्चों को डिजिटल दुनिया से जोड़ सकते हैं।”
एक अन्य शिक्षिका ने कहा, “अब हमें सिर्फ पढ़ाना नहीं, बल्कि बच्चों के भविष्य को डिजिटल युग के अनुसार गढ़ना है। इस प्रशिक्षण से वह आत्मविश्वास मिला है जो हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देगा।”
सरकार की सोच, भविष्य की पढ़ाई
भारत सरकार और छत्तीसगढ़ शासन द्वारा चलाई जा रही यह योजना केवल एक योजना नहीं, बल्कि 21वीं सदी के भारत की जरूरत है। डिजिटल शिक्षा की यह लहर गाँव-गाँव, गली-गली तक पहुंचे, इसके लिए आवश्यक है कि हर शिक्षक इस परिवर्तन का हिस्सा बने और हर विद्यार्थी इसका लाभ पाए।
छुरा विकासखंड में इस तरह के प्रशिक्षण से एक मजबूत संदेश गया है कि अब शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि स्क्रीन, साउंड और सॉफ्टवेयर के सहारे हर बच्चा ज्ञान की उड़ान भर सकेगा।
निष्कर्ष:
ICT और डिजिटल क्लासरूम की यह पहल न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए, बल्कि आने वाले समय के लिए भी शिक्षा की दिशा तय करेगी। छुरा के शिक्षक अब केवल ज्ञान के वाहक नहीं, बल्कि डिजिटल युग के आर्किटेक्ट बन चुके हैं। यह शुरुआत है — एक ऐसे भविष्य की जिसमें शिक्षा होगी स्मार्ट, कक्षाएं होंगी डिजिटल और विद्यार्थी होंगे ग्लोबल।