तानाशाही का अंत :  प्रभारी बीएमओ लखन लाल पटेल को पद से हटाया गया, कर्मचारियों के संघर्ष ने लाया बड़ा बदलाव…

 

रायगढ़/लैलूंगा (गंगा प्रकाश)। जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लैलूंगा में कर्मचारियों के शोषण, भ्रष्टाचार और तानाशाही का प्रतीक बने प्रभारी खंड चिकित्सा अधिकारी (बीएमओ) डॉ. लखन लाल पटेल को आखिरकार पद से हटा दिया गया है। उनके स्थान पर डॉ. धरम साय पैंकरा को प्रभारी बीएमओ के रूप में नियुक्त किया गया है। यह निर्णय कर्मचारियों के लगातार संघर्ष और गंभीर शिकायतों के बाद लिया गया।

स्वास्थ्य कर्मचारियों का उत्पीड़न चरम पर :

डॉ. लखन लाल पटेल के कार्यकाल में कर्मचारियों पर लगातार मानसिक और शारीरिक दबाव डाला जा रहा था। उन्हें मनमाने ढंग से 15 दिन या एक महीने के भीतर उनके मूल कार्य से हटाकर अन्य कामों में लगा दिया जाता था। राज्य और जिला कार्यालय से जारी आदेशों को नजरअंदाज करते हुए उन्होंने राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम को ही ठप करवा दिया, जिससे क्षेत्र के लाभार्थियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

CCTV कैमरों का दुरुपयोग: महिला कर्मचारियों और मरीजों की गोपनीयता पर हमला :

 डॉ. पटेल पर एक बेहद गंभीर आरोप यह भी था कि उन्होंने अस्पताल परिसर में लगे CCTV कैमरों का दुरुपयोग किया। आरोपों के अनुसार, लेबर रूम के सामने ऑडियो रिकॉर्डिंग वाले कैमरे लगाए गए, जिससे प्रसव पीड़ा से तड़पती महिलाओं और नर्सिंग स्टाफ की बातचीत को वे अपने मोबाइल में सुनते और देखते थे। इतना ही नहीं, कर्मचारियों की निजी बातचीत को रिकॉर्ड कर उन्हें ब्लैकमेल करने और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के भी आरोप लगे।

 

शासकीय संपत्तियों का दुरुपयोग और वित्तीय भ्रष्टाचार :

स्वास्थ्य विभाग द्वारा अस्पताल को दी गई कई कीमती वस्तुएँ गायब पाई गईं। इसमें कुर्सी-टेबल, बेड, गद्दे, एलईडी टीवी, एसी, लैपटॉप और अन्य उपकरण शामिल हैं। कर्मचारियों का आरोप है कि इन सामानों में भारी अनियमितता हुई और इनके दुरुपयोग को छिपाने के लिए कर्मचारियों को डराया-धमकाया गया।

 

इसके अलावा, डॉ. पटेल पर शासकीय मुख्यमंत्री हाट बाजार वाहन (CG13AU 0727) का एक साल तक व्यक्तिगत उपयोग करने का आरोप भी है। इस दौरान वाहन की सर्विसिंग नहीं करवाई गई, जिससे यह खराब हो गया। फिर, जब वाहन की मरम्मत का खर्च 60,000 रुपये आया, तो उन्होंने जबरन कर्मचारियों से वसूली करने की कोशिश की।

अनुशासनहीनता और तानाशाही रवैया :

डॉ. पटेल के खिलाफ अनुशासनहीनता और अपने पद का दुरुपयोग करने के भी आरोप लगे।

 

वे खुद कभी समय पर अस्पताल नहीं आते थे, लेकिन कर्मचारियों को अनुपस्थित बताकर स्पष्टीकरण पत्र जारी करते थे।

 विभिन्न सरकारी आदेशों को दरकिनार कर अपने हिसाब से फैसले लेते थे।

उच्च अधिकारियों के निर्देशों की अवहेलना करते थे और कभी भी उपस्थिति पंजी में हस्ताक्षर नहीं करते थे।

 

कर्मचारियों पर अत्यधिक मानसिक दबाव, आत्महत्या तक की बातें :

स्थिति इतनी भयावह हो गई थी कि कई कर्मचारियों ने आत्महत्या तक की बातें कहना शुरू कर दिया। यह पहली बार नहीं था -पूर्व में भी कर्मचारियों ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से लेकर राष्ट्रपति तक शिकायत पत्र भेजे थे, लेकिन तब कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।

भ्रष्टाचार और धमकियों का खेल :

 डॉ. पटेल पर कर्मचारियों को खुलेआम गालियाँ देने, धमकाने और जबरन पैसे वसूलने के आरोप भी लगे। वे बार-बार कर्मचारियों से कहते थे कि “मैं तुम्हारी सर्विस बुक खराब कर दूँगा” और “तुम्हें नौकरी से निकलवा दूँगा”। वे एक कर्मचारी को दूसरे के खिलाफ भड़काकर संस्थान में विवाद और तनाव पैदा करते थे।

स्वास्थ्य विभाग ने लिया संज्ञान :

 कर्मचारियों की लगातार शिकायतों के बाद मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी रायगढ़ और कलेक्टर महोदय ने इस मामले का संज्ञान लिया। सभी तथ्यों की जाँच के बाद डॉ. लखन लाल पटेल को पद से हटा दिया गया और डॉ. धरम साय पैंकरा को प्रभारी बीएमओ नियुक्त किया गया।

स्वास्थ्य कर्मचारियों में खुशी की लहर, तानाशाही का अंत :

 डॉ. पटेल के हटने के बाद स्वास्थ्य कर्मचारियों ने राहत की साँस ली। उनका कहना है कि अब वे बिना डर के अपने काम कर सकेंगे और अस्पताल की सेवाओं में भी सुधार होगा।

कर्मचारियों की माँग: भ्रष्टाचारियों पर कड़ी कार्रवाई हो :

 हालाँकि, कर्मचारियों का मानना है कि सिर्फ हटाना ही पर्याप्त नहीं है। वे चाहते हैं कि डॉ. लखन लाल पटेल के खिलाफ विस्तृत जाँच हो और उन पर कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग न कर सके।

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