अरविन्द तिवारी
नई दिल्ली (गंगा प्रकाश) – भारत दुनियां का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और हम भारतीयों को इस बात का गर्व है कि हमारा देश लोकतंत्र की जननी भी है। लोकतंत्र हमारी रगों में हैं , हमारी संस्कृति में है। सदियों से यह हमारे कामकाज का भी एक अभिन्न हिस्सा रहा है और स्वभाव से हम एक लोकतांत्रिक समाज हैं।
उक्त बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वर्ष 2023 के पहले एपिसोड और मन की बात के 97वें संस्करण के माध्यम से देशवासियों को संबोधित करते हुये कही। उन्होंने कार्ययक्रम की शुरुआत में देशवासियों को नये साल की बधाई देते हुये कहा जनवरी के महीने में उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक त्योहारों की रौनक रहती है। इसके बाद देश गणतंत्र उत्सव भी मनाता है। इस बार भी गणतंत्र दिवस पर अनेक पहलुओं की काफी प्रशंसा हो रही है। पीएम मोदी ने कहा कि जैसलमेर से पुल्कित ने मुझे लिखा है कि 26 जनवरी की परेड के दौरान कर्तव्य पथ का निर्माण करने वाले श्रमिकों को देखकर बहुत अच्छा लगा। कानपुर से जया ने लिखा है कि उन्हें परेड में शामिल झांकियों में भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को देखकर आनंद आया। इस परेड में पहली बार हिस्सा लेने वाली Women Camel Riders और सीआरपीएफ की महिला टुकड़ी की भी काफी सराहना हो रही है। मन की बात कार्यकम में पीएम मोदी ने पद्म पुरस्कार पाने वाले लोगों की तारीफ करते हुये कहा कि पद्म पुरस्कार विजेताओं की एक बड़ी संख्या आदिवासी समुदायों और आदिवासी समाज से जुड़े लोगों से आती है।आदिवासी जीवन शहर के जीवन से अलग है , इसकी अपनी चुनौतियां भी हैं। इन सबके बावजूद आदिवासी समाज अपनी परंपराओं को बचाने के लिये हमेशा आतुर रहता है। टोटो , हो , कुई , कुवी और मांडा जैसी आदिवासी भाषाओं पर काम करने वाली कई महान हस्तियों को पद्म पुरस्कार मिल चुके हैं , यह हम सबके लिये गर्व की बात है। सिद्दी , जारवा और ओंगे आदिवासियों के साथ काम करने वालों को इस बार भी पुरस्कृत किया गया है। उन्होंने आगे कहा
कि इस बार पद्म पुरस्कार से सम्मानित होने वालों में कई ऐसे लोग शामिल हैं , जिन्होंने संगीत की दुनियां को समृद्ध किया है। कौन होगा जिसको संगीत पसंद ना हो। हर किसी की संगीत की पसंद अलग-अलग हो सकती है , लेकिन संगीत हर किसी के जीवन का हिस्सा होता है। इस बार पद्म पुरस्कार पाने वालों में वो लोग हैं जो संतूर , बम्हुम , द्वितारा जैसे हमारे पारंपरिक वाद्ययंत्र की धुन बिखेरने में महारत रखते हैं। गुलाम मोहम्मद ज़ाज़ , मोआ सु-पोंग , री-सिंहबोर कुरका-लांग , मुनि-वेंकटप्पा और मंगल कांति राय ऐसे कितने ही नाम हैं जिनकी चारों तरफ़ चर्चा हो रही है। इस दौरान पीएम मोदी ने इंडिया द मडर ऑफ डेमोक्रेसी किताब का जिक्र करते हुये कहा कि आज जब हम आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान गणतंत्र दिवस की चर्चा कर रहे हैं , तो मैं यहाँ एक दिलचस्प किताब का भी जिक्र करूंगा। कुछ हफ्ते पहले ही मुझे मिली , इस किताब में एक बहुत ही रोचक विषय पर चर्चा की गई है। इस किताब का नाम इंडिया द मडर ऑफ डेमोक्रेसी किताब है और इसमें कई बेहतरीन विषय हैं। उन्होने बताया तमिलनाडु में एक छोटा लेकिन चर्चित गांव है – उतिरमेरुर। यहां ग्यारह सौ-बारह सौ साल पहले का एक शिलालेख दुनियां भर को अचंभित करता है। यह शिलालेख एक लघु संविधान की तरह है। प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम के दौरान महाराष्ट्र और ओड़िशा की महिलाओं का जिक्र करते हुये बताया कि महाराष्ट्र में अली बाग में शर्मिला नामक महिला 20 साल से मिलेट्स की खेती कर रही हैं। वहीं पीएम ने छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में मिलेट्स कैफे का भी जिक्र किया। इसी क्रम में मोदी ने ओड़िशा की महिलाओं का जिक्र करते हुये कहा कि यहां कि महिलायें बाजरे से रसगुल्ला , गुलाब जामुन और केक बना रही हैं। उन्होंने बताया कि बाजार में इनकी खूब डिमांड होने से महिलाओं की आमदनी भी बढ़ रही है। इसी तरह से पीएम मोदी ने गोवा में हुये पर्पल फेस्ट इवेंट का जिक्र करते हुये कहा कि गोवा में पर्पल फेस्ट इवेंट हुआ। दिव्यांगजनों के कल्याण को लेकर यह अपने-आप में एक अनूठा प्रयास था। पचास हजार से भी ज्यादा हमारे भाई-बहन इसमें शामिल हुये। यहां पहुंचे लोग इस बात को लेकर रोमांचित थे कि वो अब ‘मीरामार बीच’ घूमने का भरपूर आनंद उठा सकते हैं। कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा डॉ० अम्बेडकर ने बौद्ध भिक्षु संघ की तुलना भारतीय संसद से की थी। उन्होंने उसे एक ऐसी संस्था बताया था जहां प्रस्ताव , संकल्प , कोरम और वोटों की गिनती के लिये कई नियम थे। बाबासाहेब का मानना था कि भगवान बुद्ध को इसकी प्रेरणा उस समय की राजनीतिक व्यवस्थाओं से मिली होगी। इसके अलावा पीएम मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस और अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष दोनों का निर्णय भारत के प्रस्ताव के बाद लिया है। योग भी स्वास्थय से जुड़ा है और बाजरा भी स्वास्थय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। दोनों अभियानों में जनता की भागीदारी के कारण एक क्रांति रास्ते पर है।’ई-वेस्ट के सदुपयोग के बारे में चर्चा करते हुये पीएम मोदी ने कहा इस कार्यक्रम में पहले भी हमने वेस्ट टू वेल्थ यानि ‘कचरे से कंचन’ के बारे में बातें की हैं , लेकिन आज इसी से जुड़ी ई-वेस्ट की चर्चा करते हैं। आज के लेटेस्ट डिवाइस भविष्य के ई- वेस्ट भी होते हैं। जब भी कोई नई डिवाइस खरीदता है या फिर अपनी पुरानी डिवाइस को बदलता है , तो यह ध्यान रखना जरूरी हो जाता है कि उसे सही तरीके से डिस्कार्ड किया जाता है या नहीं। अगर ई- वेस्ट को ठीक से डिस्पोज नहीं किया गया , तो यह हमारे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा सकता है। लेकिन अगर सावधानीपूर्वक ऐसा किया जाता है , तो यह रिसायकल और रि यूज की सर्कुलर इकानामी की बहुत बड़ी ताकत बन सकता है। मानव इतिहास में जितने कमर्शियल बने हैं , उन सभी का वजन मिला दिया जाये , तो भी जितना ई- वेस्ट निकल रहा है , उसके बराबर नहीं होगा। ये ऐसा है जैसे हर सेकेंड 800 लैपचॉप फेंक दिये जा रहे हों। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि हर साल 50 मिलियन टन ई- वेस्ट फेंका जा रहा है। ई- वेस्ट का सदुपयोग करना यानि ‘कचरे को कंचन’ बनाने से कम नहीं है।
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