पार्श्व गायिका तृप्ति शाक्या ने चलो रे भक्तों राजिम कुंभ नहाने… जैसे भजन से दर्शकों  का मोहा मन,भजनों से किया राजिम कुंभ का गुणगान

गरियाबंद/राजिम (गंगा प्रकाश)। राजिम कुंभ कल्प के चौथे दिन विशाल मंच पर रात्रिकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम में तृप्ति शाक्या के गीतो की जबरदस्त प्रस्तुति ने दर्शकों को अंत तक बांधे रखा। तृप्ति शाक्या एक भारतीय पार्श्व गायिका है। जो भोजपुरी और हिन्दी फिल्म उद्योग में अपने काम के लिए पहचानी जाती है। जो अपनी मधुर आवाज से दर्शकों को सहज ही अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। उनकी एलबम कभी राम बनके कभी श्याम बनके… ने काफी सफलता हासिल की है। उन्होने राजिम कुंभ में नान स्टाप सुमधुर भजनों की प्रस्तुति दी। राजिम कुंभ की महत्ता को बताते हुए उन्होंने एक से बढ़कर एक भजन जैसे चलो रे भक्तों राजिम कुंभ नहाने…, राजिम कुंभ नहीं देखा तो क्या देखा, राजिम की पावन नगरी में आकर धन्य हो गया यह जीवन…, ईश्वर सत्य है, सत्य ही शिव है…., कभी राम बनके कभी श्याम बनके…, उड़ता है गुलाल… भजनों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

 

राजिम कुंभ के इस मंच पर प्रतिदिन देश के कोने-कोने से ख्याति प्राप्त कलाकार आकर मंच  की शोभा अपनी कला से बढ़ा रहे हैं। इसी मंच पर सायं 7 बजे से 9 बजे विष्णु कश्यप ने लोक कला मंच की जबरदस्त प्रस्तुति दी। उन्होने छत्तीसगढ की संस्कृति, कला और परम्परा की जीवंत झांकी प्रस्तुत किया। सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ कर मां मेरी मां मै हो गेव दिवाना रे…, कर्मा के ताल म तक – धिना – धिन…., दिल ल चुरा के… जैसे छत्तीसगढ़ी सुपर हिट गीत और नृत्य की प्रस्तुति से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। श्री नामदेव की टीम ने नृत्य नाटिका के माध्यम से मां की ममता को बहुत ही मार्मिक रूप में  प्रस्तुत किया। आज की पीढ़ी बड़े होकर मां की ममता, दुलार भूल जाते हैं और उन्हें दुत्कारते हैं, उनकी सेवा, सत्कार नहीं कर पाते। मां की ममता, असीम प्यार की मूरत है। इसे नृत्य नाटिका के माध्यम से अद्भुत प्रदर्शन किया जिसे देखकर दर्शकों की आंखे नम हो गई। जो मां बर्तन मांजकर चार-पांच बच्चो को पाल लेती है।वही चार-पांच बच्चे एक मां को नहीं पाल पाते। उनके बुढ़ापे का सहारा नही बनते। मां की ममता से सरोबार इस प्रस्तुति को दर्शकों ने बहुत ही पसंद किया गया। सभी कलाकारों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान सहित विदाई दी गई। कार्यक्रम का संचालन निरंजन तिवारी, दुर्गेश तिवारी, मनोज सेन ने किया। कार्यक्रम के संयोजक पुरुषोत्तम चंद्राकर के मार्गदर्शन में सभी कार्यक्रम सफलता पूर्वक संचालित हो रहे है।

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