रिपोर्ट:मनोज सिंह ठाकुर
रायपुर / राजनांदगाव (गंगा प्रकाश)। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनावी हार के साथ ही कांग्रेस पार्टी के भीतर की अंतर्कलह सतह पर आ गई है।पाँच साल की सत्ता से बेदख़ल हो चुके भूपेश बघेल, अब अपने ही लोगों के निशाने पर हैं।
भूपेश बघेल सरकार में मंत्री, विधायक रह चुके नेता, हर दिन अपने ही लोगों के ख़िलाफ़ गंभीर आरोप लगाते नजर रहे थे जो सिलसिला लोकसभा चुनाव के दौरान भी जारी है।भूपेश बघेल की सरकार में राजस्व मंत्री रह चुके जयसिंह अग्रवाल ने हार का ठीकरा भूपेश बघेल पर फोड़ते हुए कहा था कि भूपेश बघेल ने मंत्रियों के अधिकार छीन लिए थे और मंत्रियों के इलाके में भ्रष्ट नौकरशाहों को नियुक्त किया गया था, जो मंत्री-विधायक की सुनते ही नहीं थे।एक और पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने तो यहां तक कह दिया था कि पार्टी के शीर्ष नेता केवल अपनी-अपनी देख रहे थे, इसलिए पार्टी हारी।
वहीं टिकट काटे जाने से नाराज़ एक विधायक ने तो प्रदेश की प्रभारी कुमारी शैलजा को ‘हीरोइन’ बताते हुए उन कई गंभीर आरोप लगाए थे।
एक अन्य पूर्व विधायक ने तो पार्टी के एक नेता पर पैसे लेने के आरोप लगाए, वहीं चुनाव हारने वाले एक पूर्व विधायक ने अपने ही नेताओं पर चुनाव हरवाने का आरोप लगाया था।
कांग्रेस ने इन आरोप-प्रत्यारोप के बीच कुछ नेताओं को नोटिस भी जारी कर स्पष्टीकरण भी मांगा था।इधर चुनाव हार चुके, सांसद और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने बताया था कि भूपेश बघेल जी के ख़िलाफ़ कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं, यह उचित नहीं है। अगर कोई बात है तो उसे पार्टी फ़ोरम में ही रखा जाना चाहिए। पार्टी नेताओं की सार्वजनिक आलोचना को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
2018 में छत्तीसगढ़ में विधानसभा की 90 में से सर्वाधिक 71 सीटों पर कब्ज़ा करने वाली कांग्रेस पार्टी और सरकार के पांच साल बहुत शांति से गुजरे हों ऐसा नहीं है।
मुख्यमंत्री के चार दावेदारों भूपेश बघेल, चरणदास महंत, टीएस सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू में से भूपेश बघेल की ताजपोशी ही बड़ी मुश्किल से हो पाई थीं।
इसके बाद ढाई साल का दौर शुरू हुआ और टीएस सिंहदेव को मुख्यमंत्री बनाने के बजाय भूपेश बघेल ने टीएस सिंहदेव के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया था।
कांग्रेस विधायक दिल्ली पार्टी मुख्यालय में भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के ख़िलाफ़ धरना-प्रदर्शन करने में लगे थे।किंतु भूपेश बघेल ने पूरे पाँच साल तक अपना कार्यकाल पूरा किया।रायपुर में भी यही हाल रहा,टीएस सिंहदेव का चेहरा मुख्यमंत्री बनाने के वायदे, अपनी इच्छा को आधा बताते और आधा छुपाते, टीवी चैनलों तक ही सिमट कर रह गया था।
रायपुर के एक वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं कि शुरुआती ढाई साल के बाद नेता, अफ़सर और पत्रकार तय ही नहीं कर पाए कि वे छत्तीसगढ़ में किसके साथ रहें? उन्हें कांग्रेस नेतृत्व पर भरोसा था कि वह देर-सबेर टीएस सिंहदेव को सीएम ज़रूर बनाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ,भूपेश बघेल ने राज्य में अपने तरीक़े से कांग्रेस पार्टी और सरकार को चलाना शुरू कर दिया,यह सिलसिला चुनाव तक जारी रहा।
राज्य की ऊर्जा नगर कहे जाने वाले कोरबा के विधायक और राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल अपने इलाक़े में तैनात किए जाने वाले कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों के ख़िलाफ़ लगातार मुखर बने रहे।इन दिनों ईडी की न्यायिक हिरासत में जेल में बंद आईएएस रानू साहू के ख़िलाफ़ तो तो जय सिंह अग्रवाल ने मोर्चा ही खोल दिया था।उन्होंने सार्वजनिक तौर पर तब कोरबा की कलेक्टर रानू साहू पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए और राज्य सरकार से उन्हें हटाने की मांग की. लेकिन उनकी शिकायत धरी रह गई।
हालांकि एक वर्ग का कहना है कि मंत्री अपने इलाक़े में होने वाले ठेके में अपनी भूमिका तय करना चाहते थे, इसलिए वे अफ़सरों के ख़िलाफ़ थे।ईमानदार तो कोई नही था हमाम में सभी नग्गे थे।विधानसभा चुनाव हारने के बाद जय सिंह अग्रवाल ने फिर अपने आरोपों को दोहराया था उन्होंने कहा था कि खेतों को सुरक्षित रखने के लिए बाड़ा बनाया जाता है,अगर वो बाड़ा ही खेत को खाए तो क्या होगा?जयसिंह अग्रवाल ने कहा था कि इन अधिकारियों ने पूरे साढ़े चार साल तक कोरबा के माहौल को बिगाड़ दिया, यहां पर सरकार की इतनी एंटी-इंकम्बैसी पैदा की…अभी का जो चुनाव था, वो चुनाव थोड़ा सेंट्रलाइज हो गया था. जो हमको जनादेश मिला था, उस जनादेश का हमारी सरकार सही तरीके से आदर नहीं कर पाई।जयसिंह अग्रवाल ने कहा था कि राज्य में मंत्रियों को अधिकार ही नहीं दिए गए, सरकार की पूरी ताक़त कुछ लोगों में सिमट कर रह गई थी।भूपेश बघेल के बेहद क़रीबी कांग्रेस विधायक बृहस्पति सिंह ने जुलाई 2021 में जब डेढ़ दर्जन कांग्रेस विधायकों के साथ प्रेस कांफ्रेंस करके कांग्रेस सरकार में मंत्री टीएस सिंहदेव पर हत्या की साज़िश का आरोप लगाया था तो सनसनी फ़ैल गई थीं।लेकिन टीएस सिंहदेव, विधानसभा की कार्रवाई के बीच से यह कह कर निकल गए कि जब तक इस मामले की जांच नहीं हो जाती, तब तक वे सदन में नहीं आएंगे।
इसके बाद भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने क़रीबी विधायक के गंभीर आरोप पर चुप रहे, बृहस्पति सिंह पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।अब विधानसभा चुनाव के बाद जब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर अहंकारी होने और मंत्रियों को अधिकार नहीं देने पर सवाल उठाए जा रहे थे तो बृहस्पति सिंह फिर से टीएस सिंहदेव के ख़िलाफ़ बयान देने के लिए सामने आए।बृहस्पति सिंह ने न केवल टीएस सिंहदेव को लेकर सवाल उठाए थे बल्कि कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा पर भी निशाना साधा था उन्होंने आरोप लगाया था कि कांग्रेस की प्रभारी कुमारी शैलजा के कारण पार्टी राज्य में हारी।
बृहस्पति सिंह ने कहा था कि हमारी प्रभारी कुमारी शैलजा सिर्फ़ सरगुजा संभाग में जा कर टीएस सिंह से ड्राइविंग करवाती थी और ख़ुद सामने बैठ कर फोटो शूट कराती थी,किसी हीरोइन की तरह, जैसे बॉम्बे से कोई फोटो शूट कराने के लिए आया है। टीएस सिंहदेव को पार्टी से निकाले बिना कांग्रेस की हालत नहीं सुधरेगी?
बृहस्पति सिंह ने कहा था कि कांग्रेस के हमारे नेताओं का घमंड सिर चढ़कर बोल रहा था, ऐसा लग रहा था कि जिसको यह टिकट दे देंगे वही चुनाव जीत जाएगा?हालांकि पिछली सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे टीएस सिंहदेव का कहना था कि बृहस्पति सिंह को अगर लगता है कि उनके आरोप सही हैं तो उन्हें पार्टी नेतृत्व के सामने अपनी बात ज़रूर रखनी चाहिए।लेकिन बात केवल जय सिंह अग्रवाल और बृहस्पति सिंह भर की नहीं है।
पिछली सरकार में मंत्री रहे अमरजीत भगत ने चुनाव में हार के बाद कई मुद्दे गिनाए थे।
20 लोगों की टिकट काटे जाने और उनमें से 14 सीटों पर हार को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था कि सबलोग जो है, अपना अपना चलाने के उसमें एक-दूसरे को निपटाने के चक्कर में सब हुआ है।सब लोग एक दूसरे को नुकसान पहुंचाए हैं।आपस में तालमेल करके चुनाव लड़ना था. तालमेल की कमी दिखी।
पाली तानाखार के पूर्व विधायक मोहित राम केरकेट्टा ने भी सार्वजनिक तौर पर आरोप लगाया था कि पार्टी के अंदर ही कुछ नेताओं ने मिलकर षड्यंत्र किया है। आदिवासी विधायकों को हराने षड्यंत्र के तहत काम किया गया।एक अन्य पूर्व विधायक डॉक्टर विनय जायसवाल ने तो केंद्र से आए कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव चंदन यादव पर सात लाख रुपये लेने का आरोप लगाया,उन्होंने कहा था कि वो पैसा अगर पार्टी फंड में जमा किया गया हो तो उसकी जांच होनी चाहिए।विनय जायसवाल ने कहा था कि केवल और केवल टिकट का बनाकर पैसा वसूलने का काम किया गया है, तो इसकी जांच कर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह कहते हैं, “छत्तीसगढ़ को कांग्रेस पार्टी ने एटीएम बना कर रखा था, अब चुनाव के बाद कांग्रेस के नेता ख़ुद यह बात कहने लगे हैं। दिल्ली से खाली थैला लेकर आने वाले कांग्रेस के नेता छत्तीसगढ़ से थैला भर कर पैसा लूट कर ले जाते थे।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपे की तुलना एड्स जैसी घातक बीमारी से
राजनीति का एड्स है भूपे’, ये लाइलाज बीमारी है , इससे बचाव ही इसका इलाज है , जैसे एड्स से बचाव सिर्फ सुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाना है , ठीक वैसे ही भ्रष्टाचार , घोटाले और गैरकानूनी गतिविधियों के जनक को कोंग्रेस से दूर रखना है , वरना राज्य में कोंग्रेस का अस्तित्व ही ख़त्म हो जाएगा । ऐसी ललकार नुक्क्ड़ सभाओं में सुनने मिल रही है , ऐसा उन कार्यकर्ताओं का मानना है जो राजनांदगाव लोकसभा सीट में भूपे के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं । राजनांदगाव के डोंडिलोहारा और छुईखदान इलाके में भूपे बघेल के खिलाफ कई कोंग्रेसियों का गुस्सा आग उगल रहा है । इस बीच निष्काषित कोंग्रेसी नेता अरुण सिंह सिसोदिया और पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल के बीच कानूनी जंग छिड़ गई है ।
अरुण सिंह सिसोदिया ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल को जो कानूनी नोटिस भेजा था , उसे बघेल ने लेने से इंकार कर दिया है । मामला मानहानि का बताया जाता है । बताते हैं कि सिसोदिया फ़ौजी हैँ , सेना से रिटायर होने के बाद उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन की थी , वे पार्टी के अहम ओहदों मे रहे हैँ, स्लीपर सेल बताए जाने से वे नाराज हैँ । हाल ही में एक बयान में बघेल ने उनका विरोध करने वालों को बीजेपी का स्लीपर सेल बताया था । इससे बिफरे कई कार्यकर्ताओं ने बघेल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है । सिसोदिया ने तो मानहानि का नोटिस तक भेजा है ।
कांग्रेस के निष्कासित नेता अरुण सिंह सिसोदिया ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल के भिलाई स्थित ठिकाने पर जो कानूनी नोटिस भेजा था, पता ठिकाने पर जो कानूनी नोटिस भेजा था उसे लेने से इंकार कर दिया गया है । नोटिस वापसी के लिफाफे की तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल हो रही है । इसे लेकर भूपे समर्थक और विरोधी अपनी अपनी राय भी जाहिर कर रहे हैं ।
राजनांदगांव के कई इलाकों में तो कांग्रेस के असंतुष्ट खेमे के कई नेता ही पूर्व मुख्यमंत्री बघेल की कार्यप्रणाली को एड्स की बीमारी की तरह खतरनाक बता कर मतदाताओं को जागरूक कर रहे हैं । वे बताते हैं की एड्स का इलाज अब तक नही आया है , इससे सतर्कता ही इसका उपचार है । ऐसे ही कोंग्रेसियों से पार्ट को नुकसान हो रहा है । उनके मुताबिक भूपे के भ्रष्टाचारों का खामियाजा आम कॉंग्रेसी कार्यकर्ताओं को उठाना पड़ रहा है । इस मामले को लेकर न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने कॉंग्रेसी नेता भूपे से सम्पर्क किया , लेकिन कोई प्रतिक्रिया नही प्राप्त हो पाई।
राजनांदगांव से भूपेश बघेल की टिकट काटने की उठी थी मांग ,कांग्रेस नेता ने खरगे को लिखा था पत्र, कहा- पूर्व CM पर लगे आरोपों से बदनाम हुई पार्टी

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले छत्तीसगढ़ कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है। घमासान मचने का सबसे बड़ा कारण पूर्व सीएम और राजनांदगांव से लोकसभा उम्मीदवार भूपेश बघेल है। दरअसल भूपेश बघेल इन दिनों न सिर्फ भाजपा के निशाने पर हैं, बल्कि अपने ही नेताओं के आरोपों से घिरे हुए हैं। एक के बाद एक पूर्व सीएम बघेल पर कई आरोप लग रहे हैं और तो और अब राजनांदगांव सीट से उनकी टिकट काटने की मांग होने लगी थी। भूपेश बघेल की टिकट काटने को लेकर दिग्गज कांग्रेस नेता और पीसीसी डेलीगेट्स रामकुमार शुक्ला ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को पत्र लिखा था।
कांग्रेस नेता रामकुमार शुक्ला ने राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे को लिखे पत्र में कहा था कि महादेव सट्टा एप को लेकर पूर्व सीएम भूपेश बघेल पर एफआइआर दर्ज होने से कांग्रेस की बदनामी हुई है। उन्होंने कहा था भूपेश बघेल के कारण लोकसभा की सभी सीटें प्रभावित हो रही हैं। ऐसे में राजनांदगांव लोकसभा सीट से भूपेश बघेल की जगह स्थानीय नेता को टिकट दी जाए।
मंच पर सामने आई थी कांग्रेस के भीतर अंतर्कलह
बतादें कि कांग्रेस के भीतर अंतर्कलह और कार्यकर्ताओं की नाराजगी अब मंचों पर खुलकर सामने आ रही है। सीट बदलने के बाद कांग्रेसी नेता अपने ही घर में घिर रहे हैं। राजनांदगांव की सभा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर पार्टी के कार्यकर्ताओं ने ही बाहरी प्रत्याशी होने का आरोप लगा दिया था कांग्रेस के भीतर उपजे इस अंतर्कलह के बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने एक्स पोस्ट पर लिखा था कि जो अपने दरी उठाने वाले कार्यकर्ताओं के नहीं हो सके, वे जनता के क्या होंगे। इस मामले पर मुख्यमंत्री ने पूर्व सीएम को सवालों के घेरे में खड़ा किया है।इससे पहले भूपेश बघेल ने राजनांदगांव की चुनावी सभा में कहा था कि मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री तो क्या नंबर-1 व नंबर-2 भी आ जाए कांग्रेस को राजनांदगांव से कोई हरा नहीं सकता। राजनीतिक हालातों पर गौर करें तो कांग्रेस का सीट बदलने का फार्मूला ज्यादा कारगर होता दिखाई नहीं दे रहा है। दो दिन पहले राजनांदगांव में कार्यकर्ता द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री पर ऊंगली उठाई गई।
कांग्रेस की अंर्तकलह की आग राजनांदगांव,बस्तर,बिलासपुर से सरगुजा तक फैली,लोकसभा चुनाव के पहले ही कांग्रेस बैकफुट पर आ रही है नजर

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के भीतर अंर्तकलह और अंतद्वंद की आग राजनांदगांव से लेकर बस्तर, बिलासपुर, सरगुजा तक फैल चुकी है। राजनांदगांव में भूपेश बघेल के विरोध के बाद बस्तर में कवासी लखमा, बिलासपुर में देवेंद्र यादव और अब सरगुजा में कांग्रेसी की महिला प्रत्याशी शशि सिंह का विरोध शुरु हो गया है। लोकसभा चुनाव के पहले ही कांग्रेस बैकफुट पर आती नजर आ रही है।
दरअसल, कांग्रेस में अंर्तकलह की शुरूआत विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद ही शुरू हो गया था, जो लोकसभा में काफी तीव्र हो गया हैं। प्रदेश की 11 में से पांच लोकसभा सीटों पर अंर्तकलह सामने आ चुका है। प्रदेश में कांग्रेस प्रत्याशियों की अंतिम सूची जारी होने के 24 घंटे के भीतर ही चार में से दो उम्मीदवारों का खुलकर विरोध शुरू हो गया। दरअसल, कांग्रेस ने बिलासपुर लोकसभा सीट से भिलाई विधायक देवेंद्र यादव को उम्मीदवार बनाया है।
इसपर बिलासपुर के कुछ स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। देवेंद्र यादव के नाम की घोषणा होते ही इंटरनेट मीडिया पर बाहरी बताकर तरह-तरह के सवाल उठाए जाने लगे। बोदरी नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष जगदीश कौशिक तो कांग्रेस भवन के बाहर आमरण अनशन पर बैठ गए। उन्होंने बुधवार की रात कांग्रेस भवन के सामने अकेले रात गुजारी। कांग्रेस के पदाधिकारी मनाने गए, लेकिन वे लोकसभा उम्मीदवार बनाए जाने पर ही अनशन तोड़ने पर राजी थे।
इधर, सरगुजा लोकसभा सीट से शशि सिंह को कांग्रेस प्रत्याशी बनाए जाने पर उन्हीं के गृह क्षेत्र प्रेमनगर में विरोध होने लगा है। कांग्रेस प्रदेश सचिव और जिला पंचायत उपाध्यक्ष नरेश राजवाड़े के आवास पर बुधवार को बड़ी संख्या में कांग्रेसी जमा होकर टिकट देने का विरोध किया था। कार्यकर्ताओं ने कहा कि शशि सिंह और उनके पिता तुलेश्वर सिंह ने चुनावों में कांग्रेस के खिलाफ काम किया और प्रत्याशी को हराने में भूमिका निभाई। कांग्रेस नेता शशि सिंह के लिए चुनाव प्रचार या अन्य काम नहीं करेंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री बघेल का टिकट काटने की कर चुके मांग
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पाटन से विधायक हैं। कांग्रेस ने बघेल को राजनंदगांव से चुनावी मैदान में उतारा है। सप्ताह भर पहले ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने बघेल का टिकट काटने की मांग करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को पत्र लिखा था। पत्र में लिखा गया था कि पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के खिलाफ महादेव एप मामले में जांच एजेंसी ने अपराध दर्ज किया है।
उन पर 508 करोड़ लेने का आरोप है। इससे पहले राजनांगांव के पूर्व जिला पंचायत सदस्य सुरेंद्र दास वैष्णव ”दाऊ” ने भी बघेल के सामने पिछली कांग्रेस सरकार को खरी-खोटी सुनाई थी। बाद में दाऊ को पार्टी से निष्कासित भी कर दिया गया। बस्तर में कवासी लखमा का भी विरोध हाे चुका है।
महासमुंद में विरोध का सुर पड़ा धीमा
महासमुंद लोकसभा क्षेत्र से पूर्व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू को उम्मीदवार बनाया गया है। यह साहू बहुल सीट है। यहां से साहू प्रत्याशी को मैदान में उतारने की मांग थी। पहले चर्चा था कि महासमुंद से धनेंद्र साहू और दुर्ग से ताम्रध्वज को टिकट मिलेगा। ताम्रध्वज साहू के नाम के ऐलान के बाद स्थानीय नेताओं ने विरोध शुरू कर दिया था, हालांकि धीरे-धीरे थम गया। फिलहाल कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता चुनाव प्रचार में जुटे हैं।
छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम के राजनांदगांव लोकसभा से प्रत्याशी बनने के बाद चर्चा में आई सीट भूपेश बघेल की साख दांव पर?
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की करारी हार के बाद अब चर्चा लोकसभा चुनाव के दौरान छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल की हो रही है। साल 2024 के लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने भूपेश बघेल को राजनांदगांव लोकसभा सीट से प्रत्याशी बना दिया है। राजनांदगांव सीट से भूपेश बघेल को प्रत्याशी बनाने के साथ यह सीट प्रदेश में काफी चर्चा में चल रही है।साल 2024 के लोकसभा के चुनाव में राजनांदगांव लोकसभा सीट से भूपेश बघेल को प्रत्याशी बना दिया गया है। बघेल छत्तीसगढ़ के तेज तर्रार नेताओं में शामिल है। भूपेश बघेल की अगर बात करें तो बघेल ने साल 1993 में पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा था, उसके बाद से वह लगातार चुनाव लड़ते आ रहे हैं। अब तक 1993 से साल 2023 तक हुए विधानसभा के चुनाव में भूपेश बघेल सिर्फ एक बार विधानसभा का चुनाव हारे हैं। साल 2009 के लोकसभा के चुनाव में भूपेश बघेल पहली बार प्रत्याशी बनाया गया था। रायपुर लोकसभा सीट से भूपेश बघेल ने चुनाव लड़ा लेकिन वह भारतीय जनता पार्टी के रमेश बैस से चुनाव हार गए। यह भूपेश बघेल का दूसरा लोकसभा चुनाव है जब उन्हें राजनांदगांव लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया है।
बघेल का दूसरा लोकसभा चुनाव
2009 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने के बाद राजनांदगांव लोकसभा सीट से मैदान में उतर गया है। हालांकि चुनाव का एक लंबा अनुभव रखने वाले भूपेश बघेल चुनाव की रणनीति और दांव पेंच बहुत ही अच्छी तरह से जानते हैं। छत्तीसगढ़ में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके भूपेश बघेल दुर्ग जिले की पाटन विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते आए हैं। बघेल अब तक अपने राजनीतिक कैरियर में अपने भतीजे विजय बघेल से एक बार विधानसभा का चुनाव हार चुके हैं। वही एक बार वह लोकसभा का चुनाव भाजपा के रमेश बैस से हार चुके हैं। बघेल इस बार राजनंदगांव लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। राजनांदगांव लोकसभा के अंतर्गत आठ विधानसभा सीटें आती है। इन 8 सीटों में से पांच में कांग्रेस पार्टी का कब्जा है। केवल तीन सीटें राजनांदगांव, कवर्धा और पंडरिया विधानसभा की भारतीय जनता पार्टी के पास है।
विधानसभा में सीटें कम लेकिन भाजपा के वोट ज्यादा
साल 2023 के विधानसभा की चुनाव की बात करें तो राजनांदगांव लोकसभा सीट से आने वाली आठ विधानसभा सीटों में जिन पांच सीटों पर कांग्रेस पार्टी को जीत हासिल हुई है, उनमें खैरागढ़, डोंगरगढ़, डोंगरगांव, खुज्जी और मोहला मानपुर है। वहीं भाजपा की तीन वह सीटें जहां विधानसभा चुनाव में जीत मिली उनमें कवर्धा, पंडरिया और राजनंदगांव है। जिसमें अगर भारतीय जनता पार्टी के वोट की बात करें तो भाजपा को 705375 वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस पार्टी को कुल 674776 वोट मिले थे। यानी कि विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी इस पूरे आठ विधानसभा में 30599 वोट से आगे है।