रायपुर (गंगा प्रकाश)। हिन्दू मान्यताओं के हिसाब से भाद्रपद मास यानि भादों का पूरा महीना पूरी तरह से भगवान कृष्ण और श्रीधाम वृंदावन की अधीश्वरी श्रीराधाजी के पूजन को समर्पित माना जाता है। इस माह में कृष्ण जन्माष्टमी के पंद्रह दिन बाद राधाष्टमी मनायी जाती है। इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुये अरविन्द तिवारी ने बताया कि सनातन धर्म में भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि श्री राधाष्टमी के नाम से प्रसिद्ध है , जो बेहद महत्वपूर्ण मानी गई है। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार इस तिथि को भगवान श्रीकृष्ण की प्रियतमा श्रीराधाजी का प्राकट्य दिवस माना गया है। जन्माष्टमी के ठीक पंद्रह दिन बाद राधाष्टमी पड़ती है , इस तिथि का विशेष धार्मिक महत्व है। किंवदंतियों में श्रीराधारानी की जन्मस्थान और उम्र को लेकर अनेकों मत प्राप्त हुये हैं लेकिन पद्मपुराण के अनुसार श्रीराधारानी का जन्‍म बरसाने में वृषभानु नाम के वैष्य गोप और उनकी पत्‍नी कीर्ति के घर हुआ था। पुराणों के मुताबिक जब भगवान श्रीकृष्‍ण का जन्‍म हुआ तो उसके उत्‍सव में शामिल होने के लिये श्रीराधा अपने माता-पिता के साथ नंदगांव स्थित उनके घर गईं थीं। राधाजी ने अपना अधिकतर समय वृंदावन में ही बिताया था। राधा अष्टमी के दिन बरसाना के राधारानी मंदिर समेत पूरे देश में बड़ी ही धूम-धाम से जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस दिन पूरे ब्रजधाम और खासतौर पर बरसाने में विशेष धूम रहती है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराधारानी के बीच प्रेम के नि:स्वार्थ बंधन को समर्पित है। श्रीराधा के बिना श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व अपूर्ण माना जाता है , यदि श्रीकृष्ण के साथ से राधाजी को हटा दिया जाये तो श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व माधुर्यहीन हो जाता है। ऐसा माना जाता हैं कि श्रीराधा के ही कारण श्रीकृष्ण रासेश्वर हैं। जैसे राधा के बिना श्याम अधूरे हैं वैसी राधाष्टमी के व्रत के बिना श्रीकृष्णजन्माष्टमी का व्रत भी अधूरा है। राधारानी कृष्ण बल्लभा हैं , वे श्रीकृष्ण की शक्ति मानी गई हैं और इसके अलावा राधारानी भगवान कृष्ण के प्राणों के अधिष्ठात्री देवी हैं इसलिये भगवान श्रीकृष्ण इनके अधीन रहते हैं। यह संपूर्ण कामनाओं का राधन (साधन) करती हैं , इसी कारण इन्हें श्रीराधा कहा गया है। इसलिये राधारानी की पूजा के बिना श्रीकृष्ण की पूजा भी अधूरी है। स्कन्द पुराण के अनुसार श्रीराधाजी भगवान श्रीकृष्ण की आत्मा है , इससे उन्हें राधारमण कहकर पुकारा जाता है। मान्यताओं के अनुसार जो भक्त राधाष्टमी पर व्रत रखता है तथा विधि अनुसार राधा-कृष्ण की पूजा-उपासना करता है , उसे जन्माष्टमी के व्रत का पूर्ण लाभ प्राप्त होता है। राधाष्टमी का व्रत विशेष पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है , इस व्रत को सभी प्रकार के कष्टों को दूर करने वाला बताया गया है। सुहागिन स्त्रियां इस दिन व्रत रखकर राधा जी की विशेष पूजा करती हैं , इस दिन पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही राधारानी की उपासना करने वाली महिलाओं को संतान सुख की प्राप्ति भी होती है। राधाष्टमी का पर्व जीवन में आने वाली धन की समस्या की भी दूर करता है। राधाजी की इस दिन पूजा करने भगवान श्रीकृष्ण का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है , इस व्रत को रखने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। ‌इसके साथ इस दिन राधा रानी से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है। यह भी कहा जाता है कि इस दिन राधा रानी की पूजा करने से जीवन में आ रही सभी परेशानियां समाप्त हो जाती हैं और राधा रानी के मंत्रों का जाप करने से मोक्ष मिलता है। राधाष्टमी की पूजा सभी दु:खों को दूर करने वाली मानी गई हैं , वहीं मान्यता है कि राधाष्टमी का व्रत सभी प्रकार के पापों को भी नष्ट करता है। जन्माष्टमी का व्रत रखने वाले भक्तों को राधा अष्टमी का व्रत अवश्य रखना चाहिये इससे पूर्ण फल की प्राप्ति होती है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में बताया जाता है कि एक बार राधा रानी गोलोक में कहीं दिखाई नहीं दे रही थीं तब भगवान श्री कृष्ण दूसरी सखी के साथ विहार करने लगे। इस बात से राधा रानी क्रोधित हो गईं। यह देखकर कृष्ण के मित्र श्रीदामा ने राधाजी को श्राप दिया कि आपको पृथ्वी लोक में जन्म लेकर श्रीकृष्ण का विरह सहन करना होगा और फिर इसी श्राप के फलस्वरूप राधा जी ने पृथ्वी पर वृषभानु के परिवार में जन्म लिया।

अवर्णनीय है श्रीराधाजी

देवर्षि नारद ने एक बार भगवान सदाशिव के श्री चरणों में प्रणाम करके पूछा कि श्रीराधा देवी लक्ष्मी , देवपत्नी , महालक्ष्मी , सरस्वती , अंतरंग विद्या , वैष्णवी प्रकृति , वेदकन्या , मुनिकन्या आदि में से कौन हैं ? इस प्रश्न के उत्तर में भगवान ने कहा कि किसी एक की बात क्या कहें , कोटि-कोटि महालक्ष्मी भी उनके चरणकमलों की शोभा के सामने नहीं ठहर सकतीं , इसलिये श्रीराधाजी के रूप , गुण और सुन्दरता का वर्णन किसी एक मुख से करने में तीनों लोकों में भी कोई सामर्थ्य नहीं रखता। उनकी रूपमाधुरी जगत को मोहने वाले श्रीकृष्ण को भी मोहित करने वाली है इसी कारण अनंत मुख से भी मैं उनका वर्णन नहीं कर सकता।

बरसाने में आज मनेगा श्रीराधा महोत्सव

राधाजी के इष्टदेव भगवान श्रीकृष्ण हैं , तो वहीं राधाजी श्रीकृष्ण को अपने प्राणों से प्रिय हैं। राधारमण कहे जाने वाले श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं कि राधा जैसा कोई नहीं है , करोड़ों महालक्ष्मी भी नहीं। राधा और श्रीकृष्ण के बीच निश्छल प्रेम ही तो है , जिससे मंत्रमुग्ध होकर भक्त युगों से राधाकृष्ण राधाकृष्ण का जप करते आ रहे हैं। आज श्रीराधारानी महोत्सव बरसाना के राधारानी मंदिर सहित पूरे देश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जायेगा।  इस जन्मोत्सव में भाग लेने के लिये देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु बरसाना आते है।

Share.

About Us

Chif Editor – Prakash Kumar yadav

Founder – Gangaprakash

Contact us

📍 Address:
Ward No. 12, Jhulelal Para, Chhura, District Gariyaband (C.G.) – 493996

📞 Mobile: +91-95891 54969
📧 Email: gangaprakashnews@gmail.com
🌐 Website: www.gangaprakash.com

🆔 RNI No.: CHHHIN/2022/83766
🆔 UDYAM No.: CG-25-0001205

Disclaimer

गंगा प्रकाश छत्तीसगढ के गरियाबंद जिले छुरा(न.प.) से दैनिक समाचार पत्रिका/वेब पोर्टल है। गंगा प्रकाश का उद्देश्य सच्ची खबरों को पाठकों तक पहुंचाने का है। जिसके लिए अनुभवी संवाददाताओं की टीम हमारे साथ जुड़कर कार्य कर रही है। समाचार पत्र/वेब पोर्टल में प्रकाशित समाचार, लेख, विज्ञापन संवाददाताओं द्वारा लिखी कलम व संकलन कर्ता के है। इसके लिए प्रकाशक, मुद्रक, स्वामी, संपादक की कोई जवाबदारी नहीं है। न्यायिक क्षेत्र गरियाबंद जिला है।

Ganga Prakash Copyright © 2025. Designed by Nimble Technology

WhatsApp us

Exit mobile version