रबी मौसम में धान के बदले दलहन-तिलहन फसल लेने की अपील
गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। जिला गरियाबंद में कृषकों द्वारा ग्रीष्मकालीन धान का उत्पादन बहुतायत में किया जाता है। जिले में विकासखण्ड देवभोग एवं फिंगेश्वर के कुछ भाग में भू-जल की स्थिति चिंताजनक है। ग्रीष्मकालीन धान हेतु भूमिगत जल का अंधाधुंध दोहन किया जाता है, जिससे गर्मी में जल संकट की स्थिति निर्मित होती है साथ ही खरीफ धान के पश्चात् पुनः रबी धान की खेती से मृदा उर्वरता का भी ह्रास होता है। कृषक द्वारा ग्रीष्मकालीन धान के उत्पादन में अन्य फसलों के मुकाबले 5 से 10 गुना अधिक जल का अपव्यय किया जाता है एवं उन्हे औसतन 15-20 हजार रूपये प्रति एकड़ का लाभ प्राप्त होता है। जबकि कृषकगण खरीफ धान के बाद रबी में चना, सरसों, गेंहू एवं तत्पश्चात् जायद में उड़द, मूंग का उत्पादन कर प्रति एकड़ 50-60 हजार अधिक शुद्ध लाभ प्राप्त कर सकते है। इससे मृदा की उर्वरता में वृद्धि होती है व जल भी बहुत कम उपयोग होता है।
कलेक्टर दीपक अग्रवाल ने जिलें में ग्रीष्मकालीन धान के स्थान पर दलहन, तिलहन, लघुधान्य, मक्का एवं उद्यानिकी फसलों के उत्पादन हेतु कृषकों से अपील की है। कलेक्टर ने कृषि, उद्यानिकी, पंचायत एवं राजस्व विभाग के अमलों को स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सहयोग से किसानों को रबी मौसम में धान के बदले दलहन-तिलहन फसल लेने के लिए प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए है।
कलेक्टर श्री अग्रवाल ने बताया की ऐसे ग्राम जो ग्रीष्मकालीन धान को पूर्णतः अन्य फसलों से प्रतिस्थापित करेंगे उन्हे जिला स्तर पर सम्मानित किया जायेगा। मैदानी अमलों के साथ-साथ कृषि सखी, पशु सखी, कृषक मित्र, कोटवार आदि द्वारा व्यापक प्रचार-प्रसार कर तथा प्रत्येक ग्राम पंचायतों में कृषक समृद्धि चौपालों का आयोजन कर किसानों को ग्रीष्मकालीन धान के स्थान पर गेहूं, मक्का, रागी, चना, सरसों, अलसी, मसुर, मटर, उड़द, मूंगफली, सब्जी, फूल जैसी फसलें लेने हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है।