वनांचल में अवैध ईंट भट्ठों की बाढ़, भट्ठा संचालक हो रहे लाल, पर्यावरण को हो रहा है बड़ा नुकसान

गरियाबंद/छुरा/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। राजिम विधानसभा क्षेत्र के कई सारे गांव मे 300-500 से अधिक अवैध ईंट भट्ठो का बेखौफ संचालन हो रहा है जिससे सामान्य जनजीवन भी प्रभावित हो रहा है, ईंट भट्ठो के तपिस से ग्रामीण परेशान तो है ही साथ साथ जल स्तर घटने से अब जनजीवन भी प्रभावित हो रहा है।इतना ही नही रेत व कोयले की रायल्टी चोरी कर शासन को लाखो का चूना भी लगा रहे है परंतु राजस्व, श्रम व खनिज विभाग कठोर कार्रवाई करने मे हमेशा पिछे रही है।क्षेत्र मे बढते ईट भट्ठने के कारण ही कृषि का रकबा भी तेजी से घट रहा है, किसान अधिक राशि की लालच मे आकर कृषि भूमि को ईट बनाने रेघ पर देते है जिससे कृषि भूमि का उर्वरा शक्ति कमजोर हो रही है अतएव उक्त भूमि कृषि योग्य नही रह जाता है। खबर तो यहाँ तक है कि ईंट भट्ठो में बाल श्रमिको को कार्य करते देखा गया वही बाहरी क्षेत्र से आकर बंधुआ मजदूर जैसे काम रहे है। जिला मुख्यालय से छुरा विकास खण्ड से ग्राम खरखरा, पंडरीपानी, मडेली, करकरा, नवगई, वहीं राजिम-फिंगेश्वर से लेकर अंतिम छोर के ग्रामो तक आज कृषि भूमि मे ईंट भट्ठो की फसल लहलहाती नजर आ रही है इतना ही नही हरी हरी बबूल पेङ को काट कर भी भट्ठो मे उपयोग किया जा रहा है जिस पर अब बडी कार्रवाई की आवश्यकता है।गौरतलब है कि क्षेत्र मे अवैध ईंट भट्ठो की भरमार हो गयी है मध्यप्रदेश से आए ठेकेदारो ने कृषि भूमि सहित शासकीय भूमि का व्यवसायिक उपयोग कर रहे है जिससे कृषि भूमि का रकबा हर साल घटने जा रहा है जिस पर राजस्व विभाग का नियंत्रण नही है वही कृषि उपयोग के दिए प्रदेश सरकार द्वारा पांच हार्स पावर तक मुफ्त विद्युत कनेक्शन किसानो को दिया गया है उसका ईट भट्ठो मे व्यवसायिक उपयोग किया जा रहा है जिसे काटकर कामर्शियल कनेक्शन देने की आवश्यकता के साथ कठोर कार्रवाई करने की भी दरकार है। रेत व कोयले की राल्टी चोरी, भट्ठो मे लकड़ी के उपयोग करने हरेभरे पेडो की अंथाथुन कटाई के साथ कृषि भूमि का खनिज नियमो विरूद्ध अधिक गहराई तक खोदने जैसे नियम विरूद्ध कार्य करने वाले ईट भट्ठो के संचलको के उपर राजस्व, खनिज, विद्युत व श्रम विभाग को कठोर कार्रवाई की आवश्यकता है।
ईट भट्ठो के संचालन से जल स्तर घट रहा
जिले सहित समीपस्थ अनेक ग्रामों मे अवैध ईट भट्ठो के प्रभाव से जल स्तर तेजी के साथ घट रहा है गांव के सभी बोरवेल सूख चुके है यहा टैंकर के माध्यम से ग्रामीणो को जलापूर्ति की जा रही है। गर्मी के शुरूआती दौर मे ही पेयजल संकट से ग्रामीणो को गुजरना पङ रहा तो भीषण गर्मी के समय क्या हाल होगा यह समय ही बता पायगा? फिरहाल तो ईट भट्ठने के कारण जल स्तर थो गिरा ही है इसके साथ ही ग्रामीण ईट भट्ठो की तपिस से भी हलाकान है जबकि कृषि उपयोग के लिए पर्याप्त पानी किसानो को नही मिल पा रहा है।
ईट भट्ठो में बंधुआ मजदूर जैसे काम करते है पठेरा मजदूर
अंचल मे संचालित होने वाले करीब 300-500 ईट भट्ठो मे बाहर के मजदूर बहुतायत मे परिवार सहित काम कर रहे है जिसमे बाल मजदूर भी शामिल है, क्षेत्र के मजदूर बंधुवा मजदूर जैसे काम कर रहे है द्य उक्त मजदूरो का ईट भट्ठा संचालक श्रम नियमो का उल्लंघन कर मजदूरो का शोषण कर रहा है जिसकी सक्षम जांच कार्रवाई की आवश्यकता है। ईट भट्ठो मे परिवार सहित रहकर बच्चो से लेकर बुजुर्ग तक इन कामो रात दिन लगे रहते है वही मजदूरो को उचित मजदूरी भी नही दी जाती है।
ईट भट्ठो में रेत व कोयले का रायल्टी चोरी पर खनिज विभाग मौन
लगता है की जिले का खनिज विभाग सबसे मृतप्राय है विभाग को अधिकारी नही बल्कि बडे बडे उच्च पहुंच वाले ठेकेदार चला रहे है यही वजह कि अवैध गिट्टी, रेत,कोयला तथा शासकीय भूमि का बेधडक अवैध उत्खनन पर कोई कार्रवाई नही होती जिसका प्रमुख कारण है प्रतिमाह उचित चढावा है। ईट भट्ठो मे उपयोग होने वाले रेत व कोयला बगैर रायल्टी के आपूर्ति की जा रही है खबर है कि भट्ठो मे चोरी का कोयला उपयोग मे लिया जा रहा है लगभग 300-500 से अधिक भट्टने का निरीक्षण किया जाय तो कई ट्रक अवैध कोयला मिल सकता है जिस पर भी खनिज विभाग को बड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है।