भूमाफिया की गुंडागर्दी ! राजपरिवार की विधवा महिला की जमीन पर जबरन कब्जे की साजिश, प्रशासन मौन!…

 

रायपुर/रायगढ़ (गंगा प्रकाश)। क्या भू-माफियाओं के आगे कानून बेबस हो चुका है? क्या प्रशासन केवल ताकतवर लोगों के लिए काम करता है? राजपरिवार की एक बुजुर्ग विधवा महिला की पुश्तैनी जमीन पर जबरन कब्जे की कोशिश ने इन सवालों को जन्म दे दिया है।

भूमाफिया जितेंद्र सिंह, जो खुद को रसूखदार बताता है, ने इस बुजुर्ग महिला की जमीन को हड़पने की नापाक चाल चली है। पहले धोखाधड़ी से कागजात हथियाने की कोशिश की, फिर दबाव बनाकर रजिस्ट्री कराने का षड्यंत्र रचा, और जब यह सब नाकाम हो गया तो गुंडागर्दी पर उतर आया!

रसूखदार गुंडे ने दी खुलेआम धमकी-“ये जमीन मेरी हो चुकी है, कोई कुछ नहीं कर सकता!…”

पीड़िता अरुंधति देवी ने बताया कि उनकी जमीन गढ़भीतर इलाके में स्थित है, जहां वह अपने परिवार के साथ घर बनाकर रहना चाहती थीं। लेकिन जब उन्होंने वहां निर्माण शुरू किया, तो जितेंद्र सिंह ने बलपूर्वक कब्जा करने की नीयत से बांस-बल्ली उखाड़ दी, निर्माण तोड़ दिया और नींव खोदकर अपनी दीवारें खड़ी करने लगा।

जब पीड़िता और उनके परिवार ने विरोध किया, तो जितेंद्र सिंह ने खुलेआम धमकी दी – ❝ ये जमीन अब मेरी हो चुकी है, अगर दोबारा यहां दिखे तो अंजाम बुरा होगा! ❞

न्यायालय का आदेश भी ठुकराया, प्रशासन बना मूकदर्शक :

मामला न्यायालय (तहसीलदार नजूल, रायगढ़) पहुंचा, जहां धारा 250 छ.ग. भू-राजस्व संहिता 1959 के तहत सुनवाई हुई। पीड़िता की शिकायत सुनने के बाद न्यायालय ने तत्काल स्थगन आदेश जारी कर जितेंद्र सिंह के अवैध निर्माण पर रोक लगा दी। लेकिन इस दबंग ने न्यायालय के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए जबरन निर्माण जारी रखा। अब सवाल यह उठता है कि – क्या रायगढ़ में न्यायालय के आदेशों की कोई अहमियत नहीं रह गई है?

पुलिस प्रशासन के लिए ‘स्पेशल प्रोटेक्शन’-भू-माफिया के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं?

अरुंधति देवी ने इस पूरे मामले की शिकायत रायगढ़ सीटी कोतवाली में दर्ज कराई, लेकिन पुलिस प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

 क्या प्रशासन को इस महिला की आह सुनाई नहीं देती?

 क्या भूमाफिया का रसूख इतना बड़ा है कि कानून भी उसके आगे बौना नजर आता है?

अब लड़ाई आर-पार की! पीड़िता ने प्रशासन को दी चेतावनी :

 अब पीड़िता ने कलेक्टर रायगढ़ के जनदर्शन में जाने का फैसला किया है। अगर वहां भी न्याय नहीं मिला, तो वह उच्च प्रशासनिक अधिकारियों तक अपनी गुहार लगाएंगी। अगर इसके बावजूद भी उन्हें न्याय नहीं मिला, तो वे रायगढ़ की जनता के सामने इस प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करेंगी।

अब सवाल यह है कि –

क्या न्यायालय का आदेश केवल कागजों तक सीमित रहेगा?

क्या प्रशासन न्याय दिलाने की बजाय भू-माफियाओं की ढाल बना रहेगा?

क्या एक बुजुर्ग विधवा महिला को उसकी अपनी जमीन पर जीने का हक नहीं?

जनता में आक्रोश-रायगढ़ में कब तक चलेगी भू-माफियाओं की मनमानी? रायगढ़ में भू-माफियाओं की दबंगई चरम पर है, लेकिन प्रशासन चुप है।

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