1 साल से सरकारी दफ्तरों पर चक्कर काट रहा किसान
न्याय के लिए दर-दर भटक रही है किसान
मैनपुर (गंगा प्रकाश)। छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल की सरकार समर्थन मूल्य में धान खरीद कर किसानों को सशक्त बनाने के लिए समर्थन मूल्य में धान खरीदी है तो वहीं प्रदेश के भूपेश बघेल की सरकार की छवि को धूमिल करने के लिए सरकार के अधिकारी व कर्मचारी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। ऐसा ही मामला देखने को मिला है देवभोग में यहां मोहनलाल जैसे किसान आज भी अपने 87 बोरा धान के लिए सरकारी दफ्तरों में चक्कर काट रहे हैं बार-बार आवेदन निवेदन करते जा रहे हैं उसके बाद भी उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है न्याय के लिए मोहनलाल किसान दर-दर भटक रही है। अब किसान मोहनलाल नागेश को प्रदेश के मुख्यमंत्री से धान दिलवाने की उम्मीद जगी है क्या है दरअसल पिछले वर्ष 2021 अभी छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा समर्थन मूल्य में धान खरीदी के समय देवभोग के तत्कालीन तहसीलदार समीर शर्मा के द्वारा किसान मोहनलाल की 87 बोरा धान को जब्ती की गई थी जिसके बाद किसान मोहनलाल ने देवभोग तहसील कार्यालय पहुंचकर आवेदन देकर धान के दस्तावेज एवं साक्ष्य प्रस्तुत किया था उसके बाद किसान के धान को देवभोग के तत्कालीन तहसीलदार समीर शर्मा के द्वारा लावारिस बताकर मंडी समिति देवभोग को धान सुपुर्द किया गया। किसान मोहनलाल के द्वारा धान के समस्त दस्तावेज के साथ देवभोग तहसील कार्यालय एसडीएम कार्यालय कलेक्टर कार्यालय गरियाबंद पहुंचकर अपना धान के सारे दस्तावेज प्रस्तुत करने लगा लेकिन आज पर्यंत किसान मोहनलाल को उसके 87 बोरा धान नहीं मिला है अब भी सभी सरकारी चौखट पहुंचकर किसान धान की भीख मांग रहा है दर-दर न्याय के लिए भटक रहा है किसान हित की बात करने वाले छत्तीसगढ़ प्रदेश के मुख्य श्री भूपेश बघेल जी की सरकार में इस तरह से किसान को न्याय के लिए दर-दर भटकने पड़ रही है अब किसान मोहनलाल नागेश प्रदेश के मुख्यमंत्री से आग्रह कर रहा है कि 1 साल बीत जाने के बाद भी उसका हक का स्थान नहीं मिल पा रहा है प्रदेश के मुख्य भूपेश बघेल जी से निवेदन कर रहा है कि 87 बोरा धान उनसे वापस दिलवा दे देखना यह होगा कि छत्तीसगढ़ के किसान हितैषी किसान पुत्र मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल किसान मोहनलाल की बात सुनते हैं या नहीं लेकिन किसान मोहनलाल नागेश ने अप सीएम के दरबार में गुहार लगाने के लिए तरस रहा है। धान खरीदी के दौरान अवैध भंडारण धान या अवैध परिवहन करते पकड़े गए धान को जब तक किया जाता है जिसके बाद धान खरीदी के खत्म होते ही संबंधित किसान एवं व्यापारी को धान को वापस कर दिया जाता है ताकि संबंधित व्यक्ति उस धान को मंडी में ना सके ऐसे में जब किसान मोहनलाल के धान की जब्ती हुई तो मोहन लाल के सारे दस्तावेज देवोक तहसीलदार के समक्ष प्रस्तुत करने के बाद देवों के तत्कालीन तहसीलदार समीर शर्मा के द्वारा धान को लावारिस बताकर नीलामी कर दी गई है दाना दाना मेहनत करके कमाने वाले किसान के साथ इस तरह किया जाना बड़ी दुर्भाग्य है किसान न्याय के लिए दर-दर भटक रही है किसान मुख्यमंत्री होने के बाद भी किसानों को इस तरह से परेशानी और सरकारी अधिकारियों के द्वारा प्रताड़ित कर किसान के लिए भारी सबक बन चुका है यह मामला छत्तीसगढ़ ही नहीं पूरी गरियाबंद जिला में चर्चा का विषय बन चुका है वहीं विपक्ष के नेताओं ने भी आड़े हाथ लेते हुए कहते हैं कि किसान हित में बात करने वाले मुख्यमंत्री के मातहत कर्मचारी इस तरह से अत्याचार किसानों पर क्यों कर रहे हैं यह बड़ी समझ से परे है और किसानों को इस तरह से दर-दर भटकते हुए मुख्यमंत्री अत्याचार करने वाले अधिकारी कर्मचारी पर कार्यवाही तक नहीं कर रहे हैं।
किसान समय सीमा पर नहीं पहुंचने के कारण धान को लावारिस घोषित कर दिया गया है । आगे क्या करेंगे देखते हैं
अर्पिता पाठक
एसडीएम देवभोग