राजिम कुंभ कल्प के मंच पर संतों ने सनातन संस्कृति पर रखे विचार

 

सनातन धर्म को बचाने के लिए आज के परिवेश में बदलाव जरूरी – दिनेश जी महराज

 

गरियाबंद/राजिम (गंगा प्रकाश)। राजिम कुंभ कल्प के मुख्य मंच पर संत समागम के दूसरे दिन देश के विभिन्न स्थानों से पहुंचे संतों ने अपनी अमृतवाणी से संस्कृति और संस्कार से अवगत कराया। संतों ने मंच के माध्यम से सनातन संस्कृति पर अपने विचार व्यक्त किए।

संत तीर्थ के समान होते हैं – सर्वेश्वर दास

मंच पर उपस्थित संत समिति के प्रदेश अध्यक्ष महंत सर्वेश्वर दास महाराज जी ने कहा कि संत भी तीर्थ के समान होते हैं। सनातन की रक्षा हिंदुओं को ही करनी हैं। उन्होंने कहा कि आज कितने घर हैं, जहां रामायण गीता का पाठ करते हैं? आधुनिक युवा चोटी रखने में शर्म करते हैं। फटे कपड़े को फैशन का नाम देते हैं। आज अनुशासन का पालन नहीं करते। सोशल मीडिया में रील बनाकर धार्मिक होने का ढोंग करते हैं। उन्होंने कहा कि महापुरुषों ने जो राह बताई हैं, हमें उसी दिशा में चलना हैं। राम बनाने के लिए हर पिता को दशरथ बनना हैं।

देश के प्रति विद्रोह करने वाले हमारे दुश्मन हैं – अक्रिय महाराज

जोधपुर से पहुंचे स्वामी ज्ञान स्वरूपानंद अक्रिय जी महाराज ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री ने संस्कृति, संस्कार और हिन्दू धर्म का प्रचार किया। महाकुंभ में निश्चय हुआ है कि महाकुंभ में केवल सनातनी ही डुबकी लगाएंगे। महाकुंभ में विशाल जनसैलाब उमड़ा हुआ हैं। भारतीयों ने दिखा दिया कि हिन्दू चेतना जागृत हुई हैं। हम सब एक हैं लेकिन देश के प्रति विद्रोह करने वाले हमारे दुश्मन हैं।

संसार में श्रीराम को मानने वाले बहुत है – अरुणा भारती

साध्वी अरुणा भारती ने कहा कि इस संसार में राम जी को मानने वाले बहुत हैं। राम राज्य लाना तो सभी चाहते हैं, लेकिन उनके गुणों को धारण नहीं कर पा रहें। राम बनना तो चाहते हैं लेकिन संस्कार मर्यादा नहीं अपना पा रहें हैं। आज की पीढ़ी अपने स्वार्थ के लिए ज़मीन जायजाद के लिए माता-पिता को भी कोर्ट-कचहरी में घसीट देते हैं। उन्होंने कहा कि राम के जयकारे लगाने के साथ ही उनके चरित्र को अपने में विकसित करना होगा तभी हम राम राज्य का आनंद ले पाएंगे।

सनातन धर्म को बचाने आज के परिवेश में बदलाव की जरूरत – दिनेश महाराज

आचार्य डॉ. दिनेश महाराज ने कहा कि माता कौशल्या का विवाह हुआ, तब अयोध्या और छत्तीसगढ़ दोनों धन्य हुए। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म को बचाने के लिए आज के परिवेश में बदलाव जरूरी हैं। वेश-भूषा अपनी संस्कृति के अनुकूल हो। युवा वर्ग धोती-कुर्ता पहने, तिलक चंदन लगाएं, शिखा रखें। फिर से श्री राम का जन्म हर घर में होना चाहिए।

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