संत समागम मंच पर संतों का विचार मंथन

 

गरियाबंद/राजिम (गंगा प्रकाश)। राजिम कुंभ कल्प के संत समागम स्थल पर मंगलवार को संत सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे संतों ने अपने-अपने विचार रखे। अमरकंटक आश्रम से पहुंचे महंत प्रभाजन मुनी उदासीन ने संतों सहित उपस्थित जनता एवं संतो को संबोधित करते हुए कहा कि गंगा, गीता और गाय की रक्षा ही धर्म है। सनातन धर्म की रक्षा के लिए गीता, गंगा और गाय की रक्षा जरूरी है।

 

दुनिया में एक ही धर्म है वो है सनातन धर्म – सर्वेश्वर दास

महामंडलेश्वर सर्वेश्वर दास ने कहा कि विविधता में एकता ही हमारी विशेषता है। इसी उद्देश्य से संत समाज का गठन किया है। हमने 1 माह में 4500 कि.मी. की यात्रा कर संतों को जोड़ने का काम किया। महाराज जी ने कहा कि दुनिया में एक ही धर्म है वो है सनातन धर्म। अनेक धर्म नहीं हो सकते। मानवता ही सनातन धर्म है जो मानवता की रक्षा करता है। वहीं हमारा धर्म है। जो बनावटी संत और स्वयंभू संतो से समाज और संतो को सावधान रहना होगा। अखिल भारतीय क्षुत्रसमिति में संतो को जोड़ने का काम किया जा रहा। विविधता मे एकता का दर्शन ही हमारा दर्शन है। हम सभी सनातनी है।

मतांतरण और धर्मांतरण रोकने की जरूरत – रामबालक दास

बालयोगी रामबालक दास महाराज ने कहा कि संतों की धार्मिक व्याख्या और मंथन चल रहा है। जिसका अमृत यकीनन समाज और जनकल्याण सहित सनातन धर्म की रक्षा में उपयोगी साबित होगा। मतांतरण और धर्मांतरण को रोकना होगा। अंधविश्वास फैलाकर धर्मांतरण किया जा रहा है। ऐसे लोगों से मिलकर उनकी समस्या को जानना होगा, तभी धर्मांतरण रोका जा सकता है। वनांचल क्षेत्रों में बेरोजगारी, गरीबी के कारण लोग धर्मांतरण करते हैं। उन्होंने कहा कि पाटेश्वर धाम संस्कार समिति धर्मांतरण रोकने का काम कर रही है। उन्होंने संतों और पुजारियों को जोडकर एक समिति बनाने का सुझाव दिया। ताकि संत समाज सहित समस्त मंदिरो के पुजारियो एवं गृहस्थों को भी जोड़कर धर्म की रक्षा किया जा सके।

दिव्य ज्योति संस्थान के अखिलेशानंद ने संत समागम और संतों के दर्शन को दुर्लभ माना। उन्होंने धर्म परिवर्तन कराने वाले घुसपैठिये से सावधान रहने की बात कही। कहा कि संगठन बनाकर काम करना होगा ताकि धर्म परिवर्तन को रोका जा सकें।

शक्ति पाठ कर कार्यक्रम का हुआ समापन

संतो के उद्बोधन के बाद शक्ति पाठ कर संत समागम का समापन किया गया। इस संत समागम में महामंडलेश्वर सर्वेश्वर दास महाराज, महंत नरेंन्द्र दास, महंत राधेश्याम दास, महंत रामबालक दास, महंत त्रिवेणी दास, महंत संत दास, महंत श्याम सुंदर दास, महंत देवा दास, गुरू मां सुमिरन माई, ब्रह्मकुमार नारायण भाई, महंत प्रभंजन मुनी, आचार्य रघुनाथ प्रसाद, महंत राधामोहन दास, महंत अखिलेशानंद सहित कई संत-महात्मा और बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उपस्थित थी।

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