नई दिल्ली (गंगा प्रकाश)। कायस्थ प्रगति मंच द्वारा स्वामी विवेकानंद के जन्मतिथि पर एक सभा का आयोजन किया गया जिसमें समाज के समाज के सभी वर्गों के लोग उपस्थित हुए। स्वामी विवेकानंद द्वारा समाज के प्रति किए गए कार्यों को याद किया गया स्वामी विवेकानंद ने सन्यास धारण कर समस्त विश्व को एक संदेश दिया कि भारत ही सबका विश्व गुरु है।
इस अवसर पर कायस्थ प्रगति मंच के अध्यक्ष डॉ. बी.के. मल्लिक ने कहा कि स्वामी विवेकानंद आज के युवा पीढ़ी के आदर्श हैं उन्होंने शिकागो में जाकर समस्त विश्व के लोगों को जो संदेश दिया वह हम लोगों के लिए गर्व की बात है। आज के युवा को स्वामी विवेकानंद की तरह अपने देश अपनी संस्कृति और देश भक्ति की प्रेरणा लेना चाहिए। स्वामी विवेकानंद से प्रभावित क्रांतिकारी सुभाष चंद्र बोस से लेकर महर्षि अरविंदो तक उनको अपना आदर्श मानते थे। उनसे महान वैज्ञानिक निकोला टेस्ला बहुत प्रभावित थे।
डॉ. बी.के. मल्लिक ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने 11 सितंबर 1893 को शिकागो में विश्व धर्म संसद में एक ऐसा ऐतिहासिक भाषण दिया जिसने भारतीय संस्कृति की प्रमुखता को खूबसूरती से प्रदर्शित किया। हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति के बारे में जानकर पूरे धर्म संसद के लोग भारतीय संस्कृति के कायल हो गए। इस भाषण में उन्होंने मेरे अमरीकी भाइयों और बहनों, आपने जिस स्नेह के साथ मेरा स्वागत किया है उससे मेरा दिल भर आया है। मैं दुनिया की सबसे पुरानी संत परंपरा और सभी धर्मों की जननी की तरफ़ से धन्यवाद देता हूं। सभी जातियों और संप्रदायों के लाखों-करोड़ों हिंदुओं की तरफ़ से आपका आभार व्यक्त करता हूं। इस संबोधन से धर्म संसद में सभी लोगो को मंत्र मुग्ध कर दिया। मुझे गर्व है कि मैं उस धर्म से हूं जिसने दुनिया को सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है। हम सिर्फ़ सार्वभौमिक सहिष्णुता पर ही विश्वास नहीं करते बल्कि, हम सभी धर्मों को सच के रूप में स्वीकार करते हैं।
स्वामी विवेकानंद का जन्म कोलकाता में एक सामान्य कायस्थ परिवार में 12 जनवरी 1863 को हुआ था और इनका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। इनका प्रारंभ से अध्यात्म की तरफ झुकाव था और युवा होते-होते पूरी तरह आध्यात्म में रम गए। जब महान गुरु रामकृष्ण परमहंस का उन्हें आशीर्वाद मिला, तो नरेंद्र नाथ से विवेकानंद बनने की यात्रा का प्रारंभ हुई। भारत देश के वेदांत ज्ञान को दुनिया के सामने लाने का कार्य जिस सुंदर तरीके से स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका में हुई धर्म संसद में किया, उससे भला कौन परिचित नहीं है।
दुनियाभर में स्वामी विवेकानंद का जन्मदिन 12 जनवरी को युवा दिवस तो भारत में 11 सितंबर को विश्व विजय दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
इस अवसर पर कायस्थ प्रगति मंच के महासचिव सतीश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि स्वामी विवेकानंद को जो सम्मान मिलना चाहिए वो सम्मान नहीं मिला जिसका कारण है कि राजनितिक दल द्वारा उनकी विचारधारा को अपेक्षा करना है। जिसमे संजय कुमार श्रीवास्तव, केशव कुमार दास, धर्मेंद्र कर्ण, ऋषव कर्ण, दिनेश कुमार मल्लिक, फिरे सिंह नागर, कृष्ण कुमार यादव, शम्भू कुमार,रामजी गुप्ता, जीतेन्द्र कुमार, गौतम एवं प्रणय मल्लिक ने अपने अपने विचार रखे। ऐसे महान पुरुष जिसने इतने कम समय में भारत को विश्व गुरु बना दिया उसे कोटि कोटि नमन।