छुरा (गंगा प्रकाश)।छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित स्व.पत्रकार उमेश राजपूत हत्याकांड में अब परिजन सुप्रीम कोर्ट की शरण लेने की बात कह रहे हैं। 2010 में बिलासपुर के पत्रकार शुशील पाठक एवं 2011 को गरियाबंद जिले के छुरा नगर के पत्रकार उमेश राजपूत दोनों युवा पत्रकारों की हत्याकांड से पुरे छत्तीसगढ़ में हलचल मच गई थी।और पत्रकार जगत में भी काफी आक्रोश फैला हुआ था और प्रशासन की विफलता को देखते हुए कई नगर शहर बंद होने के साथ साथ धरना प्रदर्शन और आंदोलन भी हुआ। स्थानीय पुलिस प्रशासन की विफलता के बाद इन मामलों की जांच सीबीआई को भी सौंपी गई। और सीबीआई जांच में भी कहीं न कहीं स्व.सुशील पाठक हो या पत्रकार उमेश राजपूत दोनों घटनाओं पर सीबीआई जांच पर परिजनों ने सवाल उठाए थे।
और अपराधियों को सज़ा नहीं मिल पाने का मलाल परिजनों में नज़र आया।
इसी क्रम में छुरा नगर के पत्रकार का 23 जनवरी 2011को शाम लगभग 6.30 बजे पांच लोगों की उपस्थिति में रिहायशी इलाके में स्थित आमापारा में उनके निवास पर पत्रकार उमेश राजपूत की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। घटना के पश्चात हत्याकांड में स्थानीय पुलिस की जांच से असंतुष्ट होकर परिजनों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग की और सुनवाई के लगभग चार साल के बाद उच्च न्यायालय ने पत्रकार उमेश राजपूत हत्याकांड में सीबीआई जांच का आदेश भी जारी किया। तत्पश्चात देश के सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई ने जांच शुरू की और कई वर्षों बाद इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया। जिसमें सीबीआई की मानें तो एक पत्रकार शिव कुमार वैष्णव की सीबीआई हिरासत में मौत हो गई और दुसरा जमानत पर रिहा हुआ है।
परिजनों की मानें तो वे सीबीआई के जांच से पुरा संतुष्ट नहीं हैं और उनका कहना है कि सीबीआई को इस घटना में कुछ और भी बिंदुओं पर जांच करना था। जिससे इस घटना की जांच में पारदर्शिता आती,क्योंकि अभी तक स्थानीय पुलिस थाने से उमेश राजपूत से संबंधित कुछ साक्ष्य और दस्तावेज गायब मिले थे जिन पर जिम्मेदार अधिकारियों पर किसी प्रकार की हिरासत, गिरफ्तारी,की कार्यवाही नहीं हुई, और नहीं उमेश राजपूत हत्याकांड में प्रयुक्त होने वाले हथियार की बरामदगी के संबंध सीबीआई के जांच अधिकारियों द्वारा भी अब तक अवगत नहीं कराया गया, और नहीं 2011 की घटना के बाद अब तक 2023 तक इस हत्याकांड में किसी अपराधी को अब तक सजा नहीं सुनाई गई है।
इसी बीच 14 अक्टूबर 2022 को स्व.पत्रकार उमेश राजपूत के छोटे भाई जो इस घटना की सीबीआई जांच हेतु याचिकाकर्ता को भी उनके निवास पर घर के दरवाजे पर उमेश राजपूत जैसे ही गोलीमार हत्या करने का धमकी भरा पर्चा डाला गया था। जिसकी एफआईआर स्थानीय पुलिस थाना छुरा में दर्ज कराई गई थी और गरियाबंद पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर जांच टीम भी बनाया गया था जिस पर जांच भी किया गया। लेकिन अभी तक उस घटना में किसी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं होने से परिजन आज भी भय पुर्वक वातावरण में जीवन व्यतीत करने मजबूर हैं।
न्याय पाने की इंतजार में परिजन मायुस होकर अब परिजन सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में है। और उनके मन में यह सवाल उठने लगा है कि क्या यह एक सुनियोजित हत्या थी? क्या स्थानीय पुलिस के बाद देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआई भी अब तक न्याय नहीं दिला पाई है हालांकि अभी भी यह मामला विशेष सीबीआई न्यायालय में लंबित है। क्या इस हत्याकांड के पीछे किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़े किसी मंत्री या राजनेता व किसी प्रभावशाली लोगों का हाथ है? यह सवाल अभी भी परिजनों के दिलो-दिमाग पर छाया हुआ है। अब तक उमेश राजपूत हत्याकांड से जुड़े कई गवाहों की अब मृत्यु भी हो गई है,आने वाले समय में देखने वाली बात होगी कि इन पीड़ित परिवार को प्रशासन और न्यायपालिका से न्याय कब तक मिल पायेगा।
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