खैरागढ़(गंगा प्रकाश)– लोक असर पत्रिका द्वारा आयोजित नई शिक्षा नीति 2020 कार्यक्रम में विप्लव साहू शामिल हुए अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि 1986 के बाद 2020 में नई शिक्षा नीति केंद्र सरकार द्वारा लाई गई यह पॉलिसी विकासपरक कम और पुरातनकाल मे जाने की कोशिश ज्यादा है शिक्षा का व्यवसायीकरण तो देश मे चल ही रहा है लेकिन कानून बनाकर ही उसे स्वायत्त संस्था को सौंप देना, भारत के साथ अन्याय है. इसके बारीक असर की समीक्षा और परिणाम के बगैर ही इसका गुणगान किया जाना उचित नही कौशल विकास और स्नातक के वर्षों में सब्जेक्ट बदलने की छूट को ही हाइलाइट करके बताना, सिर्फ एक पक्षीय बात है नई शिक्षा नीति में 15 हजार संस्थानों को कम करके 500 सौ के आसपास लाने की योजना, छात्रवृत्ति को बड़े स्तर पर समाप्त करना, बोर्ड परीक्षा को खत्म करना और स्नातक शिक्षा में प्रत्येक कक्षा में विषय बदलने की छूट से विशेज्ञता के मानकों में भारी कमी आएगी. आज जब देश में वर्तमान शिक्षा ही सब जगह पर नही पहुंच पाई है, 50 प्रतिशत छात्रों को डिजिटल शिक्षा देना कहाँ से व्यवहारिक है! आज युवाओं को प्रायोगिक और प्रोफेशनल बना पाना, सीधी चढ़ाई है. छात्रों के सामने से शिक्षण संस्थान और शिक्षकों को दूर करके उन्हें प्रतिभा सम्पन्न नही बनाया जा सकता. और नैतिक शिक्षा तो आमने-सामने, भौतिक रूप में ही सर्वाधीक ग्राह्य होती है जिला पंचायत राजनांदगांव के सहकारिता सभापति विप्लव साहू ने कहा कि कमजोरियों पर हंगामे से बचने के लिए इस कानून को संसद में न रखते हुए सीधा लागू कर दिया गया. इससे जाहिर है कि सरकार की यह पॉलिसी समग्र विकास समावेशी नही है. हर जागरूक आदमी को नई शिक्षा नीति को पढ़ना चाहिए. जो ऑनलाइन 125 पेज में हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे उपलब्ध है.
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