
गरियाबंद जिला में खाद्य विभाग की लापरवाही का खमियाजा भुगत रहे हैं उपभोक्ता?
खाद्य विभाग के अधिकारियों ने किया जिले के चिन्हांकित मिष्ठानों और किराना व्यापारियों की दुकानों का निरीक्षण
प्रकाश कुमार यादव
छुरा/गरियाबंद(गंगा प्रकाश):-जिला गरियाबंद में खाद्य विभाग की लापरवाही का खमियाजा उपभोक्ता भुगत रहे हैं जिले में खाने पीने के सामान से खुले तौर पर मिलावट होने और मानक विहीन खाद्य वस्तुओं के बाजारों मे आमतौर पर बिकने से उपभोक्ता हलकान हैं। खाने पीने के ऐसे सामान के बिकने से लोगों का स्वास्थ्य लगातार खतरे में बना हुआ है।जिले में मिलावटी खाद्य सामाग्री के खुलेआम बिकने से उपभोक्ता परेशान है मानक विहीन खाद्य वस्तुओं के उपभोग से संक्रामक बीमारियां फैलने की आशंका बनी हुई है?इतना ही नहीं खाद्य विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के कारण उपभोक्ता पस्त विक्रेता मस्त वाली स्थिति बनी हुई है।गौरतलब हो कि खाद्य विभाग के अधिकारी जब किसी दुकान के खाद्य पदार्थ का नमूना लेते हैं तो,नमूना तो साथ ले आते हैं लेकिन बाकी बचा शेष खाद्य पदार्थ उसी दुकानदार को सौंप देते हैं। दुकानदार उसे ग्राहकों को बेच देता है। बाद में जब पता लगता है कि जिस खाद्य पदार्थ का नमूना लिया गया था वह तो अमानक या खराब था। तब तक वह खाद्य पदार्थ लोगों के पेट में जा चुका होता है।
वहीं दूसरी तरफ खाद्य विभाग का यह तर्क रहता है कि उनके द्वारा नमूना लेने के बाद शेष खाद्य पदार्थ को सुरक्षित रखने की व्यवस्था नहीं है। मजबूरन उन्हें उसे दुकानदार को ही सौंपना पड़ता है। मिलावटी पाए जाने पर जो खाद्य पदार्थ लोगों के पेट में जा चुका होता है, उसका कोई जवाब विभाग के पास नहीं है।और यहां प्रक्रिया जिला गरियाबंद में प्रति वर्ष होली,दीपावली, रक्षाबंधन के मौके पर खाद्य विभाग द्वारा चलाई जाती हैं।बाकी सीजन में अधिकारी व्यापारियों से जांच के नाम पर दौरा तो समूचे गरियाबंद जिला के कस्बों और नगरों में करते हैं।लेकिन व्यापारियों से एक निर्धारित स्थान पर मेल मुलाकात गोपनीय प्रक्रिया पूर्ण कर जिला मुख्यायल की ओर प्रस्थान कर जाते हैं।ए हमेसा तीज तिहार के मौके पर खाद्यान्य का नमूना तो ले जाते हैं किंतु उस नमूनों का क्या किया जाता?जांच रिपोर्ट क्या आती हैं?इस बात का पता आम जनमानस को नही चल पाता हैं।गौरतलब हो कि समूचे जिला गरियाबंद समेत छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में समय मिलावटी दूध एवं खोया का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है। प्रशासन की खाऊ-कमाऊ नीति के कारण रासायनिक दूध बेचकर कारोबारी मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।छत्तीसगढ़ के दर्जनों गांव से दूधिये अच्छा दूध तो लेकर आते हैं लेकिन कस्बों व शहरों में दूध की बढ़ती खपत की पूर्ति के लिए दूधिये विभिन्न रासायनिक पदार्थों द्वारा दूध बनाकर प्राकृतिक दूध में मिलाकर बेच रहे हैं।तहसील क्षेत्रो में दीपावली का पर्व को देखते हुए मिलावटी दूध एवं खोये का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है। दूध की मात्रा दोगुनी और तीन गुनी रासायनिक पदार्थों को प्राकृतिक दूध में मिलाकर तैयार किया जाता है और फिर उसे बेचकर मोटा मुनाफा कमाने में लगे हुए हैं। बाजारों में बेचे जाने वाले रासायनिक दूध व खोये से वर्तमान में हलवाई मिष्ठान भी बना रहे हैं जो लोगों के लिए काफी हानि प्रद साबित हो सकते हैं। जबकि खाद्य विभाग की टीम इस पर त्योहार के करीब आने के बावजूद कोई ध्यान नहीं दे रही है।त्योहारों पर तो यह टीम नजर आती हैं मगर जो उनके द्वारा नमूने भरे जाते हैं उनका रिपोर्ट का कोई भी पता नहीं चल पाता है और लोग मिलावटी दूध एवं मिठाई खाकर बीमार हो जाते हैं। इस रासायनिक दूध में यूरिया, अमोनिया, हाइड्रोजन, पराक्साइड, बोर टेक्स पाउडर, कपड़े धोने का पाउडर सहित दूध की मात्रा बढ़ाने में मिलाकर बेचने में लगे हुए हैं। प्रशासन की निष्क्रियता उजागर उस समय होती है जब मिठाई की दुकानों पर यह मिलावटी खोया मिठाई बनाकर लोगों को ऊंचे दामों में बेचा जाता है। सूत्रों की मानें तो विभाग के अधिकारी व कर्मचारी सांठ-गांठ कर मामले को रफा-दफा कर देते हैं।बताना लाजमी होगा कि त्यौहार का सीजन आते ही गरियाबंद जिले में एक बार फिर से जिम्मेदार प्रशासन की कुम्भकर्णी निद्रा टूटी हैं औऱ ये सक्रिय हो गया है। होली,रक्षाबंधन के बाद अब सीधे दीपावली के समय खाद्य विभाग ने जिले के अनेक खाद्य दुकानो में दस्तक दी है। बीते चार पांच दिनों में टीम ने जिले के गरियाबंद, फिंगेश्वर, छुरा क्षेत्र के विभिन्न किराना दुकानो, हॉटल और रेस्टारेंट में छापामार कार्यवाही की है। इस दौरान खामियां पाए जाने पर नगर के कुछ रेस्टारेंट व होटलों के विरूद्ध कार्यवाही करते हुए जुर्माना भी वसुला गया है, लेकिन इस कार्यवाही के बाद खाद्य सुरक्षा अधिकारी और स्थानीय प्रशासन सुर्खियो में आ गया है।त्यौहारी सीजन में की गई इस कार्यवाही को लेकर स्थानीय प्रशासन पर ही सवाल उठने लगे है। व्यापारियो के साथ ही आम जनता में भी यंहा जमकर चर्चा हो रही है कि त्यौहार के समय ही प्रशासन को आम नागरिक की स्वास्थ की चिंता होने लगती है। वैसे तो 12 महिनो जस की तस स्थिति रहती है और ऐसा भी नही की यहा विभाग आता ना हो आता प्रति माह हैं किंतु व्यापारियों का प्रतिनिधि इन अधिकारियों से एक निर्धारित स्थान पर भरत मिलाप कर छुरा प्रस्थान कर जाता हैं अब सवाल यह है कि शिकायत के बाबजूद भी यंहा कार्यवाही नही होती? लेकिन त्यौहार आते ही अधिकारी यह बताने सामने आ जाते है कि वे अभी अपना कर्तव्य नही भुले है?त्यौहार नजदीक आते ही उन्हे होश में आने के साथ अपने जिम्मेदारी का एहसास होता है।
जिले में एक खाद्य सुरक्षा अधिकारी लगभग पांच वर्षों से यहां पदस्थ है। हर साल त्यौहार के मौके पर ही वे और उनकी टीम कार्रवाई करते हुए नजर आते है। इसके बीच के समय में वह कहां रहते है, ये वही बता सकते है?जानकार लोगों की माने तो ग्रामीण अंचल में इनका दौरा ज्यादा रहता है, जहां कार्यवाही कम और सेटिंग ज्यादा होती है। वही त्यौहारी सीजन में ये जिला मुख्यालय और ब्लाक मुख्यालय में अपनी सक्रियता दिखाते नजर आते है। व्यापारिक गलियारो में ऐसी चर्चा है कि खाद्य अधिकारी लंबे समय से यहां पदस्थ है, इसलिए इनकी अच्छी खासी पैंठ जम गई है। जिसके चलते व्यापारी भी इनसे भयभीत रहते है। नाम ना बताने की शर्त पर कुछ व्यापारियों का कहना है कि विभिन्न कार्यक्रमो के समय निःशुल्क सेवा सत्कार भी इन्हे प्रदान करनी पड़ती है। जिससे व्यापारिक क्षेत्र के लोग परेशान रहते है। इसके साथ ही निरीक्षण के दौरान दुकानो को फोटो लेकर वायरल किया जाता है, जिसके कारण मानक में पास होने के बाद भी दुकान की छबि खराब हो जाती है, इससे त्यौहार के सीजन में ग्राहकी प्रभावित होती है।
उल्लेखनीय है कि जिले के खाद्य सुरक्षा अधिकारी त्यौहारी सीजन में काफी सुर्खियों में रहते हैं,12 महीने शांत रहने के बाद यह त्यौहारी सीजन में ही अपना शक्ति प्रदर्शन करते हैं,और कार्यवाही का रौब, अफसरी धमक दिखाते नजर आते हैं, बताया तो यहां तक जाता है कि व्यापारियों के साथ इनका व्यवहार भी अनुकूल नहीं है।जानकारी के मुताबिक बीते दो दिनो में खाद्य सुरक्षा अधिकारी की टीम ने गरियाबंद,छुरा,फिंगेश्वर और राजिम के विभिन्न होटलो से सैम्पल कलेक्शन किया है।इसके पहले 11 व 12 अक्टुबर को क्षेत्र के खाद्य प्रतिष्ठानों से निगरानी हेतु 75 नमूना संकलित किया गया था। जिसमे केवल एक ही नमूना निकला। बाकी सब पास हो गए। लेकिन इस दौरान सभी दुकानों की छबि में जरूर फर्क पड़ा। इधर कार्यवाही के बाद जिले के मिठाई दुकान संचालको को निर्देशित किया गया कि बाहर से मिलावटी और अमानक खोवा आयात न करे और न ही बिना बिल के खोवा की खरीदी करे। जहाँ तक संभव हो जिले के स्थानीय किसानो से दूध क्रय कर स्वयं खोवा तैयार करे और उसी का उपयोग मिठाई बनाने में किया जाए। दुकानों में साफ़ सफाई बनाकर रखे एवं मिठाई बनाते समय कृत्रिम रंगों का प्रयोग नियमानुसार मात्रा में करे,अधिक मात्रा में रंग पाए जाने पर नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी। मिठाई दुकान संचालको को विक्रय हेतु प्रदर्शित और भंडारित मिठाइयो पर विनिर्माण तिथि एवं एक्सपायरी दिनांक भी अंकित करने की हिदायत दी गई है।

खाद्य पदार्थों में मिलावट के जहर से स्वास्थ्य पर कहर?
गौरतलब हो कि सामान्यतः बाजार में उपलब्ध खाद्य पदार्थों में मिलावट का संशय बना रहता है। दालें,अनाज,दूध,मसाले,घी से लेकर सब्जी व फल तक कोई भी खाद्य पदार्थ मिलावट से अछूता नहीं है।आज मिलावट का सबसे अधिक कुप्रभाव हमारी रोजमर्रा के जीवन में प्रयोग होने वाली जरूरत की वस्तुओं पर ही पड़ रहा है। शरीर के पोषण के लिए हमें खाद्य पदार्थों की प्रतिदिन आवश्यकता होती है। शरीर को स्वस्थ रखने हेतु प्रोटीन,वसा, कार्बोहाइड्रेट,विटामिन तथा खनिज लवण आदि की पर्याप्त मात्रा को आहार में शामिल करना आवश्यक है तथा ये सभी पोषक तत्व संतुलित आहार से ही प्राप्त किये जा सकते हैं।यह तभी संभव है,जब बाजार में मिलने वाली खाद्य सामग्री,दालें,अनाज,दुग्ध उत्पाद,मसाले, लतेल इत्यादि मिलावटरहित हों। खाद्य अपमिश्रण से उत्पाद की गुणवत्ता काफी कम हो जाती है। खाद्य पदार्थों में सस्ते रंजक इत्यादि की। मिलावट करने से उत्पाद तो आकर्षक दिखने लगता है, परंतु पोषकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिससे ये स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।सामान्य रूप से किसी खाद्य पदार्थ में कोई बाहरी तत्व मिला दिया जाए या उसमें से कोई मूल्यवान पोषक तत्व निकाल लिया जाए या भोज्य पदार्थ को अनुचित ढंग से संग्रहीत किया जाए तो उसकी गुणवत्ता में कमी आ जाती है। इसलिए उस खाद्य सामग्री या भोज्य पदार्थ को मिलावटयुक्त कहा जाएगा। भारत सरकार द्वारा खाद्य सामग्री की मिलावट की रोकथाम तथा उपभोक्ताओं को शुद्ध आहार उपलब्ध कराने के लिए सन् 1954 में खाद्य अपमिश्रण अधिनियम (पीएफए एक्ट 1954) लागू किया गया था। उपभोक्ताओं के लिए शुद्ध खाद्य पदार्थों की आपूर्ति सुनिश्चित करना स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की जिम्मेदारी है। इसको ध्यान में रखते हुए उपरोक्त खाद्य अपमिश्रण रोकथाम अधिनियम बनाया गया, जिसके मुख्य उद्देश्य है:
-जहरीले एवं हानिकारक खाद्य पदार्थों से जनता की रक्षा करना
घटिया खाद्य पदार्थों की बिक्री की रोकथाम
-धोखाधड़ी प्रथा को नष्ट करके उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना
अपमिश्रित खाद्य पदार्थ तथा स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव
खाद्य अपमिश्रण से मूल खाद्य पदार्थ तथा मिलावटी खाद्य पदार्थ में भेद करना काफी मुश्किल हो जाता है। अपमिश्रित आहार का उपयोग करने से शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और शारीरिक विकार उत्पन्न होने की आशंका बढ़ जाती है। खाद्य अपमिश्रण से आखों की रोशनी जाना, हृदय संबन्धित रोग, लीवर खराब होना, कुष्ठ रोग, आहार तंत्र के रोग, पक्षाघात व कैंसर जैसे हो सकते हैं। अनेक स्वार्थी उत्पादक एवं व्यापारी कम समय में अधिक लाभ कमाने के लिए खाद्य सामाग्री में अनेक सस्ते अवयवों की मिलावट करते हैं, जो हमारे शरीर पर दुष्प्रभाव डालते हैं। सामन्यात: दैनिक उपभोग वाले खाद्य पदार्थ जैसे दूध, छाछ, शहद, मसाले, घी, खाद्य तेल, चाय-कॉफी, खोया, आटा आदि में मिलावट की जा सकती है। प्रस्तुत सारणी-2 में खाद्य पदार्थों में संभावित मिलावटी पदार्थ तथा उनसे होने वाले रोग के नाम इंगित हैं।
भोज्य पदार्थों में अपमिश्रण की जांच
व्यावहारिक रूप से खाद्य अपमिश्रण की जांच केन्द्रीय खाद्य प्रयोगशालाओं में की जाती है। खाद्य अपमिश्रण के परीक्षण के लिए मैसूर, पुणे, गाजियाबाद एवं कोलकाता में भारत सरकार द्वारा चार केन्द्रीय प्रयोगशालाएं व्यवस्थित रूप से स्थापित की गई हैं:
-केन्द्रीय खाद्य प्रयोगशाला, मैसूर, कर्नाटक- 570013 के अंतर्गत क्षेत्र आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडू, लक्षद्वीप व पुडुचेरी
केन्द्रीय खाद्य प्रयोगशाला, पुणे, महाराष्ट्र-400001 के अंतर्गत क्षेत्र गुजरात, मध्य परदेश, दादर तथा नगर हवेली, गोवा, दमन व दियू केन्द्रीय खाद्य प्रयोगशाला, गाज़ियाबाद-201001, उत्तर प्रदेश के अंतर्गत क्षेत्र हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, चंडीगढ़ एवं दिल्ली
केन्द्रीय खाद्य प्रयोगशाला, कोलकाता-700016, पश्चिम बंगाल के अंतर्गत क्षेत्र असोम, बिहार, मेघालय, नागालैंड, ओड़ीशा, त्रिपुरा, अंडमान एवं निकोबार, अरुणाचल प्रदेश व मिज़ोरम।खाद्य पदार्थों में मिलावट की जांच के लिए इन केन्द्रीय प्रयोगशालाओं के अतिरिक्त राज्य सरकार के खाद्य निरीक्षक, भोज्य पदार्थों के नमूने को सरकारी/ लोक विश्लेषक के पास भेजते हैं। एक गृहणी प्रत्येक खाद्य पदार्थ को परीक्षण केलिए प्रयोगशाला नहीं भेज सकती। अत: यह अवशयक है कि गृहणी को मुख्य खाद्य पदार्थों में कि जाने वाली मिलावट का अनुमान अवशय हो। खदाय अपमिश्रण कि जांच के कुछ सरल व घरेलू परीक्षण, जिनसे कोई भी उपभोक्ता आसानी से शुद्धता कि जांच कर सकता है, का संक्षिप्त विवरण सारणी- 2 में दिया गया है।
खाद्य मिलावट,इस अधिनियम के अंतर्गत
मिलावट युक्त भोज्य पदार्थों को अपमिश्रित माना जाता है तथा निम्नवत् भोज्य पदार्थ मिलावटयुक्त कहे जाएंगे-
-यदि दुकानदार ग्राहक की मांग के अनुसार गुणवत्ता वाला भोज्य पदार्थ देने में अक्षम हो।
-किसी खाद्य पदार्थ में उसके अभिन्न पदार्थों के अतिरिक्त किसी अन्य पदार्थ की उपस्थिति उस खाद्य सामग्री को मिलावटी बना देती है। इसके अतिरिक्त मानक स्तर से कम स्तर वाला भोज्य पदार्थ भी अपमिश्रित माना जाता है।किसी खाद्य सामग्री में कोई अवयव या पदार्थ इस तरह संशोधित किया गया हो, जिससे मूल खाद्य पदार्थ की संरचना, प्रकार तथा गुणवत्ता स्तर इस प्रकार बदल जाए और शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव डाले।
-भोज्य पदार्थ से कोई अवयव आंशिक या संपूर्ण रूप से निकाल लिया गया हो।
-अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों में तैयार, पैक व अनुचित तरीके से संग्रहीत भोज्य पदार्थ | को भी मिलावटयुक्त ही कहा जाएगा।
यदि भोज्य पदार्थ पूर्णत: या आंशिक रूप से गंदा, दुर्गंधयुक्त, सड़ा हुआ या रोगग्रस्त प्राणी या वनस्पति से प्राप्त किया गया हो या वह खाद्य सामग्री कीड़ों आदि से संक्रमित हो तो इसे मानव उपयोग के लिए अपमिश्रित माना जाता है।
-यदि आदेशित मानक रंजक के अतिरिक्त कोई अन्य रंजक पदार्थ या उसकी आदेशित-सीमा से भिन्न मात्रा खाद्य पदार्थ में उपस्थित हो।
-यदि किसी खाद्य सामग्री में प्रतिबंधित संरक्षक पदार्थ मिला हो या आदेशित रंजक व संरक्षण पदार्थ का मानकों से अधिक प्रयोग किया गया हो।
विभिन्न खाद्य पदार्थों में मिलावट किए जाने वाले पदार्थ एवं उनकी जांच कैसे करें?
दूध में पानी की मिलावट की जांच लैक्टोमीटर द्वारा की जाती है। इसकी रीडिंग 28 से 34 होनी चाहिए। अगर रीडिंग 28 से निम्न जाए तो पानी की मिलावट प्रमाणित हो जाती है।दूध की एक बूंद को पॉलिश की ऊर्ध्वाधर सतह पर रखने से शुद्ध दूध बहुत धीरे से बहता है पर एक सफेद निशान छोड़ता है, जबकि पानी मिला हुआ दूध बिना निशान छोड़े बह जाता है।मिलावट करने वाले लैक्टोमीटर की रीडिंग बढ़ाने के लिए दूध में चीनी, स्टार्च आदि मिला देते हैं। इसकी जांच के लिए दूध में आयोडीन मिलाकर गर्म करें। यदि दूध का रंग नीला हो जाता है तो इसका अर्थ है कि दूध में स्टार्च उपस्थित है।यूरिया की पहचान के लिए एक परीक्षण ट्यूब में 5 मि.मी. दूध में दो बूंद ब्रोमोथाइमोल/अल्कोहल मिलाएं। दस मिनट पश्चात नीले रंग का विकास यूरिया की उपस्थिति दर्शाता है।
सरसों के बीज व आर्जिमोन
आर्जिमोन बीज की सतह खुरदरी होती है। सरसों के बीज को दबाने से वह अंदर से पीले रंग का होता है, जबकि आर्जिमोन बीज का रंग अंदर से सफेद होता है।
सरसों का तेल व आर्जिमोन बीज
नमूने में सांद्र नाइट्रिक अम्ल मिलाकर मिश्रण को हिलाएं। थोड़ी देर बाद एसिड की परत में लाल-भूरे रंग की परत दिखाई दे तो यह आर्जिमोन की उपस्थिति का संकेत है।
आइसक्रीम व वाशिंग पाउडर
आइसक्रीम में नींबू के रस की कुछ बूंदे डालने से बुलबुले बनने पर वांशिंग पाउडर की मौजूदगी का पता चलता है।
चांदी का वर्क व एल्युमिनियम
चांदी के वर्क में एल्युमिनियम की मिलावट की आसानी से जांच की जा सकती है, क्योंकि चांदी के वर्क को जलाने पर वह छोटी गेंद के रूप में परिवर्तित हो जाता है, जबकि मिलावट वाली चांदी को जलाने के बाद गहरे ग्रे रंग का अवशेष बच जाता है।
चाय-पत्ती व रंगीन पत्ते
चायपत्ती को सफेद रंग के कागज पर रगड़ने से कृत्रिम रंग कागज पर आ जाता है।
-लोहा फिलिंग
चायपत्ती के नमूने के ऊपर से चुम्बक फिराने से लौह अवयव चुम्बक में चिपक जाते हैं।
-रंग
चायपत्ती की शुद्धता की जांच के लिए चीनी मिट्टी के किसी बरतन या शीशे की प्लेट पर नींबू का रस डालकर उस पर चायपत्ती का थोड़ा सा बुरादा डालें। यदि नींबू के रस का रंग नारंगी या दूसरे रंग का हो जाता है तो इसमें मिलावट है। यदि चायपत्ती असली है, तो हरा मिश्रित पीला रंग दिखाई देगा।
शहद:चीनी और पानी(चाशनी)
एक रूई के फाहे को शहद में भिगोकर उसे माचिस की तीली से जलाएं। यदि शहद अपमिश्रित है, तो रूई का फाहा नहीं जलेगा और यदि शहद शुद्ध है तो जल उठेगा।
कॉफी व खजूर/इमली के बीज
कॉफी पाउडर को गीले ब्लॉटिंग पेपर पर छिड़क लें। इसके ऊपर पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड की कुछ बूंदे डालें। यदि कॉफी के आसपास उसका रंग भूरा हो जाये तो समझ लेना चाहिए कि उसमें मिलावट है।
-चिकोरी पाउडर
कॉफी पाउडर को पानी में छिड़कने पर वह घुल जाती है, परंतु चिकोरी पाउडर बर्तन के तले में जमा हो जाएगा।
लालमिर्च पाउडर व रोडामाइन कल्चर
एक परीक्षण ट्यूब में 2 ग्राम नमूना लें तथा इसमें 5 मि.मी. एसीटोन डालें। लाल रंग की तत्काल उपस्थिति रोडामाइन की मिलावट को दर्शाती है।
-ईंट पाउडर
नमूने को पानी में डालने से ईंट पाउडर पानी के तले में जमा हो जाता है।
-रंग
एक चम्मच मिर्च पाउडर को पानी भरे ग्लास में डालें। पानी रंगीन हो जाता है तो मिर्च पाउडर मिलावटी है।
हल्दी पाउडर व रंग (मेटानिल पीला रंग)
एक चम्मच हल्दी को एक परखनली में डालकर उसमें सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की कुछ बूंदे डालें। बैंगनी रंग दिखता है और मिश्रण में पानी डालने पर यह रंग गायब हो जाता है, तो हल्दी शुद्ध है। यदि रंग बना रहे तो हल्दी अपमिश्रित है।
चने/अरहर की दाल व खेसरी दाल/ मेटानिल पीला रंग
दाल को एक परखनली में डालकर उसमें पानी डालें तथा हल्के हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की कुछ बूंदें डालने के बाद हिलाने पर यदि घोल का रंग गहरा लाल हो जाए तो समझना चाहिए कि दाल को मेटानिल पीले रंग से रंगा गया है। खेसरी दाल का परीक्षण, दाल को ध्यानपूर्वक देखकर किया जा सकता है। खेसरी दाल हल्के पीले रंग की व हरे रंग का समिश्रण लिए हुए होती है। इसके अतिरिक्त इसमें अरहर की तुलना में अधिक चिकनापन होता है।
केसर:असली और नकली
केसर में मिलावट नहीं होती बल्कि पूरी केसर ही बदल दी जाती है। असली और नकली केसर की पहचान बहुत आसानी से की जा सकती है। नकली केसर को मकई की बाली को सुखाकर, चीनी मिलाकर कोलतार डाई से बनाया जाता है। नकली केसर पानी में डालने पर रंग छोड़ता है, जबकि असली केसर को पानी में घंटों रखने पर भी कोई फर्क नहीं पड़ता।
शुद्ध घी व मक्खन व वनस्पति घी
एक परीक्षण ट्यूब में बराबर अनुपात में एक चम्मच पिघला हुआ घी या मक्खन तथा सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल मिलाएं तथा इसमें एक चुटकी चीनी मिलाने पर यदि लाल रंग की परत दिखाई दे तो वनस्पति घी की मौजूदगी का संकेत है।
कालीमिर्च व पपीते के सूखे बीज
पपीते के बीज हल्के हरे व भूरे रंग के होते हैं तथा काली मिर्च का रंग गहरा काला होता है। काली मिर्च को पानी में डाल दें यदि पपीते के बीज हैं तो वह पानी में तैरने लगेंगे और काली मिर्च डूब जाएगी।
साधारण नमक,चॉक पाउडर
एक चम्मच नमक को पानी में घोलने पर अशुद्धियां तल में जमा हो जाती हैं।
हींग,मिट्टी व रेत
हींग को पानी में डालने पर मिट्टी व रेत बरतन के तल में चिपक जाते हैं। शुद्ध हींग को लौ पर जलाने से लौ चमकीली हो जाती है। हींग को साफ पानी में धोने पर यदि हींग का रंग सफेद या दूधिया हो जाये तो हींग शुद्ध होती है।
नारियल का तेल, खनिज तेल
नारियल तेल को ठंडा करने पर वह जम जाता है एवं खनिज तेल ऊपरी सतह पर तैरने लगता है।
जीरा
घास के बीज (काले रंगे हुए)
नमूने को दोनों हथेलियों के बीच रगड़ने से यदि हथेली काली होती है तो जीरा मिलावटी होने का संकेत है।
चीनी का बूरा चॉक पाउडर
नमूने को एक गिलास पानी में मिलायें, चॉक पाउडर तल में एकत्रित हो जाएगा।
चावल
चावल में मिलावट की जांच करने के लिए दोनों हाथों से चावल की कुछ मात्रा रगड़ें। यदि इसमें पीला रंग हो तो हथेली में लग जाएगा। चावल को पानी में भिगोएं और उसमें सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की कुछ बूंदे डालें। बैंगनी रंग की उपस्थिति पीले रंग की मिलावट को दर्शाती है।
ध्यान रखने वाली बातें
महिलायें हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के स्थान पर घरेलू कार्य में उपयोग होने वाले एसिड तथा एसीटोन के स्थान पर नेल पालिश रिमूवर का प्रयोग कर सकती हैं।मिलावटी पदार्थों से बचने और अपमिश्रण की पहचान के लिए गृहिणियों का जागरूक होना अति आवश्यक है। खाद्य अपमिश्रण एक अपराध है। खाद्य अपमिश्रण अधिनियम (Prevention of Food Adultration Act, 1954) के अंतर्गत किसी भी व्यापारी या विक्रेता को दोषी पाये जाने पर कम से कम 6 महीने का कारावास, जो कि तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त मानदण्ड का भी प्रावधान है। खाद्य पदार्थों में मानव स्वास्थ्य के लिए अहितकर है और इसका रोकथाम में उपभोक्ताओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। प्रत्येक उपभोक्ता (विशेषकर गृहिणियों) को अपमिश्रण से बचने हेतु जागरूक होना चाहिए। इसके लिए कुछ आवश्यक बिंदुओं का ध्यान रखना चाहिए जैसे खुली खाद्य सामग्री न खरीदें। अधिकतर मानक प्रमाण चिन्ह (एगमार्क, एफपीओ,आईएसआई, हॉलमार्क) अंकित सामग्री खरीदें तथा खरीदे जाने वाली सामग्री के गुणों, रंग, शुद्धता आदि की समुचित जानकारी रखें। सदैव जानकार दुकानदारों व सत्यापित कम्पनियों का सामान लें तथा जहां तक हो सके पैकेज्ड सामान का उपयोग करते समय कम्पनी का नाम व पता, खाद्य पैकिंग व समाप्ति की तिथि, सामान का वजन, गुणवत्ता लेबल का अवश्य ध्यान रखें क्योंकि स्वस्थ और निरोगी जीवन ही सफलता की कुंजी है।