पुरी शंकराचार्य

शब्द ब्रह्मात्मक वेद अक्षर संज्ञक परब्रह्म से समुद्भूत है। अतएव वेदविहित कर्म समुद्भूत यज्ञ में सदा ही अक्षराधिष्ठित शब्द ब्रह्मात्मक वेद सन्निहित है।

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