पुरी शंकराचार्य

धर्म अर्थ और काम का साधक तथा मोक्ष का ख्यापक है। अत: धर्मावलम्बन आवश्यक है। धर्म से अर्थ सुलभ होता है / धर्म से काम समुत्पन्न होता है / धर्म स्वयं धर्म है ही ; अपवर्ग रूप मोक्ष का अभिव्यञ्जक भी धर्म ही है।

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