
अरविन्द तिवारी
भोपाल (गंगा प्रकाश)- महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू मध्यप्रदेश के शहड़ोल में 15 नवंबर को होने वाले जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम में शामिल होंगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज यहां अपने ट्वीट के माध्यम से यह जानकारी देते हुये कहा है कि आज उनकी राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मू से बात हुई। उन्होंने राष्ट्रपति को मध्यप्रदेश आने का निमंत्रण दिया।हमारा सौभाग्य है कि मध्यप्रदेश का निमंत्रण राष्ट्रपति ने स्वीकार किया है। राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मू का मध्यप्रदेश का प्रथम आगमन हमारे लिये गौरव का विषय है। बताते चलें कि शहडोल के लालपुर में जनजातीय गौरव दिवस का यह कार्यक्रम आयोजित होने जा रहा है। इस कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के 11 जिलों से एक लाख से अधिक आदिवासी परिवारों की पहुंचने की संभावना है। गौरव दिवस के आयोजन में हेलीपैड से लेकर मंच तक आदिवासी संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी इसके लिये मिट्टी के घर बनाने से लेकर आदिवासी जीवन शैली को प्रदर्शित करने वाली झांकियां तैयार की जा रही हैं। इसके अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी प्रस्तुति की जायेगी जिसमें आदिवासी झलक नजर आयेगी। इसके लिये भी कंचनपुर आवासीय कन्या परिसर में तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं।जनजातीय गौरव दिवस के कार्यक्रम प्रदेश की सभी पंचायतों में आयोजित किये जायेंगे। प्रभात फेरी निकालने से लेकर सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर पेसा अधिनियम के अंतर्गत बनाये नियमों को राज्य सरकार द्वारा लागू किया जायेगा। इससे 89 आदिवासी विकासखंडों में ग्राम सभा को स्थानीय स्तर पर रोजगार , भूमि प्रबंधन , वन प्रबंधन सहित अन्य क्षेत्रों के अधिकार मिलेंगे। ग्राम सभा ही निर्णय लेगी कि ग्रामीण क्षेत्र में शराब की नई दुकान खुलेंगी या नहीं। भूमि अधिग्रहण के संबंध में भी ग्रामसभा से पहले अनुमति लेना होगी। राष्ट्रपति का 16 नवंबर को भोपाल के मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित महिला स्व-सहायता समूह के सम्मेलन में भाग लेना भी प्रस्तावित है।
पंद्रह नवंबर अवकाश घोषित
मध्यप्रदेश में बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को सभी सरकारी दफ्तरों में अवकाश घोषित किया गया है।राज्य सरकार ने इस दिन का सामान्य अवकाश घोषित किया है। इससे पहले एच्छिक अवकाश हुआ करता था। इस प्रकार मध्यप्रदेश के सरकारी दफ्तरों , स्कूल और कॉलेजों में 15 नवंबर का अवकाश रहेगा। राज्य सरकार ने सरकारी छुट्टी का नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया था। हालांकि सरकारी कोषालयों और उपकोषालयों में यह अवकाश नहीं रहेगा।
कौन हैं बिरसा मुंडा
बिरसा मुंडा को लोग कई नामों से पुकारते हैं। उन्हें धरती बाबा , महानायक और भगवान भी माना जाता है। अंतिम सांस तक अंग्रेजों से अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले और प्रकृति को भगवान की तरह पूजने वाले बिरसा मुंडा का जन्म 14 नवंबर 1875 में झारखंड के खूंटी जिले में हुआ था। आदिवासी इन्हें अपना महानायक मानते हैं।आदिवासी परिवार में जन्मे बिरसा के पिता सुगना पूर्ती और मां करमी पूर्ती निषाद जाति से तालुल्क रखते थे। बिरसा का पूरा जीवन आदिवासियों को उनके अधिकारों के लिये जागरूक करने और आदिवासियों के हित के लिये अंग्रेजों से संघर्ष करते हुए बीता। अपनी हार से गुस्साये अंग्रेजों ने बिरसा मुंडा को जहर दे दिया था। इन्होने 09 जून 1900 को रांची कारागार में अंतिम सांस ली। रांची के डिस्टलरी पुल के पास बिरसा मुंडा की समाधि बनी है। मध्यप्रदेश में भी आदिवासी इलाकों में बिरसा मुंडा को भगवान की तरह पूजा जाता है। केंद्र सरकार ने 15 नवंबर को इनकी जयंती के मौके पर जनजातीय गौरव दिवस मनाने का फैसला लिया था।