
अरविन्द तिवारी
बाली/इंडोनेशिया(गंगा प्रकाश) – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी-20 बैठक में शामिल होने के लिये इंडोनेशिया पहुंचे हैं। यहां उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र अराजकता को हल करने में असमर्थ रहा है और सूक्ष्म रूप से संकेत दिया कि संयुक्त राष्ट्र अपने जनादेश को बनाये रखने में विफल रहा है। उन्होंने कहा कि सभी देश संयुक्त राष्ट्र में सुधार करने में विफल रहे हैं। पीएम मोदी ने शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव का जिक्र करते हुये कहा दुनियां भर में आवश्यक वस्तुओं का संकट है। हर देश के गरीब नागरिकों के लिये चुनौती अधिक गंभीर है। उनके लिये रोजमर्रा की जिंदगी पहले से ही एक संघर्ष थी। उनके पास दोहरी मार झेलने की वित्तीय क्षमता नहीं है। हमें यह स्वीकार करने में भी संकोच नहीं करना चाहिये कि संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुपक्षीय संस्थान इन मुद्दों पर असफल रहे हैं और हम सभी उनमें उपयुक्त सुधार करने में विफल रहे हैं।पीएम मोदी ने तर्क दिया कि संयुक्त राष्ट्र की विफलता के कारण जी -20 एक अधिक महत्वपूर्ण बहुपक्षीय मंच बन गया है। पीएम मोदी ने रूस यूक्रेन युद्ध में संघर्ष विराम समझौते पर पहुंचने की जरूरत पर जोर दिया और दावा किया कि किसी समाधान तक पहुंचने के लिये कूटनीति महत्वपूर्ण है। पीएम ने कहा मैंने बार-बार कहा है कि हमें यूक्रेन में युद्धविराम और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का रास्ता खोजना होगा। पिछली शताब्दी में द्वितीय विश्व युद्ध ने दुनिया में कहर बरपाया। उसके बाद उस समय के नेताओं ने शांति का मार्ग अपनाने के प्रयास का गंभीर मामला बनाया , अब हमारी बारी है। कोविड के बाद की अवधि के लिये एक नई विश्व व्यवस्था बनाने का दायित्व हमारे कंधों पर है। उन्होंने महामारी के दौरान भारत के सामने आने वाली चुनौतियों और भारत ने उन चुनौतियों से कैसे पार पाया , इस पर भी प्रकाश डाला।पीएम मोदी ने उर्वरक की कमी का उल्लेख किया और बताया कि कैसे उर्वरक की कमी से खाद्य असुरक्षा बढ़ेगी। रूस उर्वरकों का एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता है और युद्ध ने वैश्विक बाजारों में उर्वरक आपूर्ति को प्रभावित किया है। पीएम ने कहा कि आज की उर्वरक कमी कल का खाद्य संकट है , जिसका समाधान दुनियां के पास नहीं होगा। हमें खाद और खाद्यान्न दोनों की आपूर्ति श्रृंखला को स्थिर और सुनिश्चित बनाये रखने के लिये आपसी समझौता करना चाहिये।पीएम मोदी के भाषण का अंतिम बिंदु ऊर्जा सुरक्षा था। उन्होंने वैश्विक ऊर्जा बाजार से रूसी ऊर्जा को अलग करने के प्रयास को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि भारत की ऊर्जा-सुरक्षा वैश्विक विकास के लिये भी महत्वपूर्ण है , क्योंकि यह दुनियां की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। हमें ऊर्जा की आपूर्ति पर किसी भी प्रतिबंध को बढ़ावा नहीं देना चाहिये और ऊर्जा बाजार में स्थिरता सुनिश्चित की जानी चाहिये। यहां बाली में भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करते हुये पीएम मोदी ने अपनी सरकार के कामकाज गिनाये। उन्होंने इंडोनेशिया और भारत के सांस्कृतिक जुड़ाव के तमाम पहलुओं का जिक्र किया। पीएम मोदी ने पतंग उत्सव से लेकर द्वारकाधीश तक का जिक्र किया। उन्होंने अपने भाषण में तीन बार गुजरात की चर्चा की। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि भारत की संस्कृति इंडोनेशिया तक पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि बाली आने के बाद हर भारतीय को एक अलग ही अनुभूति होती है और मैं भी वही महसूस कर रहा हूं। प्रधानमंत्री की भारतीय समुदाय की संबोधन से पहले उनका इन्डोनेशियाई सांस्कृतिक कार्यक्रम से स्वागत किया गया। उनके संबोधन से पहले ही आयोजन स्थल ‘मोदी-मोदी’ के नारों से गूंज उठा था।