
अरविन्द तिवारी
बद्रीनाथ धाम (गंगा प्रकाश)- आज विधि-विधान के साथ समस्त परम्पराओं का परिपालन करते हुये भगवान बद्रीविशाल के कपाट शीतकाल के लिये बन्द हो गये और इसी के साथ ही उत्तराखंड में चार धाम यात्रा का आज से समापन हो गया। ज्योतिष्पीठ के इतिहास में लम्बे समय के बाद पहली बार पीठ के शंकराचार्य के रूप में स्वामीश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वतीजी महाराज ने आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित परंपराओं का निर्वहन करते हुये बद्रीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के अवसर पर अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई। पूज्यपाद शंकराचार्यजी महाराज के सान्निध्य में सभी कपाट बन्द की विधि सम्पन्न हुई। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1776 में किन्ही कारणों से ज्योतिष्पीठ आचार्य विहीन हो गई थी , उसके बाद से यह परंपरा टूट गई थी। लेकिन पूर्वाचार्यों की कृपा से वर्तमान ज्योतिष्पीठ के 46वें शंकराचार्य स्वामीश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वतीजी महाराज ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य पर अभिषिक्त होने के बाद एक बार फिर से आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित परंपरा प्रारंभ हुई है। इसको लेकर सनातन धर्मावलंबियों में खासा उत्साह और खुशी है। इस अवसर पर हजारों की संख्या में भक्तगण उपस्थित रहे।