पुरी शंकराचार्य

सनातन धर्मियों के यज्ञादि सब प्रकल्प सर्वहित की भावना से भावित होने के कारण लौकिक – पारलौकिक उत्कर्ष के ख्यापक हैं ; तद्वत् व्यवहार और परमार्थ के परिपोषक हैं।

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