पुरी शंकराचार्य Posted on November 24, 2022November 24, 2022 by प्रकाश कुमार यादव भोग्य वस्तुरूप द्रव्य , द्रव्योपभोग , तजन्य सुख और अविद्या – काम – कर्म जीव के बन्धन में हेतु हैं। WhatsApp Facebook 0 Twitter 0 0Shares
संदेश पुरी शंकराचार्य प्रकाश कुमार यादव December 9, 2022 0 आचार्य शंकर के अनुसार वेदादि शास्त्र प्रतिभा तथा प्रगति के अपहारक या अवरोधक नहीं है अपितु एकमात्र अभिव्यञ्जक हैं।
संदेश पुरी शंकराचार्य प्रकाश कुमार यादव December 19, 2022 0 सत्ता का लक्षण अस्तित्व है। सत्ता ब्रह्म है ना कि कोई अन्य। ब्रह्म अतिरिक्त सत्ता नहीं है और माया वस्तुतः नहीं है।
संदेश पुरी शंकराचार्य प्रकाश कुमार यादव November 5, 2022 0 शब्द ब्रह्मात्मक वेद अक्षर संज्ञक परब्रह्म से समुद्भूत है। अतएव वेदविहित कर्म समुद्भूत यज्ञ में सदा ही अक्षराधिष्ठित शब्द ब्रह्मात्मक वेद सन्निहित है।