
सचिव निर्मल देशमुख ने लगाया कथित नेताओं के शराब मुर्गा के अनर्गल खर्चे पर प्रतिबंध तो सचिव को निपटाने रचा गया षडयंत्र?मितानिन दिवस कार्यक्रम में हुआ था हुड़दंग।
पूरी घटना में समारू कमार की ही गलती हैं:वनसिंह सोरी राष्ट्रीय अध्यक्ष कमार समाज
नशे में धूत होकर पहुंचा था समारू कमार पंचायत कि स्टील कुर्सी में टकराने से लगी चोट,सचिव ने नही किया गालीगलौच:ग्रामीण
मैनपुर(गंगा प्रकाश):– आप सभी को ज्ञात है कि पंचायत राज अधिनियम के तहत प्रदत्त सभी कर्तव्यों के लिए ग्राम पंचायत सचिव जिम्मेदार होता है। भारत के प्रत्येक गाँव में एक पंचायत सचिव होता है। भारत में 2,69,350 गाँव हैं, और प्रत्येक राज्य के जिले में ग्राम पंचायत सचिव मौजूद हैं। ग्राम पंचायत का संचालन पंचायती राज मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किया जाता है।लेकिन सचिवों को ग्राम पंचायत स्तर कार्य करना एक बड़ा चुनोती बनता जा रहा हैं कई ग्राम पंचायतों के सचिव अब सुरक्षित नही हैं जिसका जीताजागता उदाहरण गरियाबंद जिला के विकास खण्ड मैनपुर के
ब्लॉक मुख्यालय से सात किलोमीटर दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत तूहामेटा में देखने को मिला हैं।जंहा मितानिन दिवस कार्यक्रम पंचायत द्वारा सम्मान के लिए रखी गई थी जिसमें सचिव निर्मल देशमुख के साथ नोकझोंक हुई जिसमें ग्राम वासियों ने पंचनामा पेश कर कथन कहे हैं। ग्राम पंचायत तूहामेटा में उपस्थित ग्रामवासियों की यह कथन है कि दिनांक 23 /11 /2022 दिन बुधवार को सचिव निर्मल देशमुख ग्राम पंचायत तूहामेटा कार्यालय में मितानिन दिवस समारोह कार्यक्रम कर रहे थे तभी दोपहर 2:00 बजे समारू राम कमार निवासी ग्राम तूहामेटा द्वारा शराब पीकर नशे की हालत में राशन दुकान तूहामेटा सेल्समैन रिपुदमन नेगी पिता रामेश्वर नेगी को गाली गलौज करते हुए मारने पीटने की धमकी दिया और मारने के लिए लाठी लेकर दौड़ाया सेल्समैन रिपुदमन नेगी बचने के लिए ग्राम पंचायत भवन में आकर छुप गया समारू राम कमार उसके पीछे-पीछे पंचायत भवन तूहामेटा में आया तो था पंचायत सचिव निर्मल देशमुख को तीर कमान से जान से मारने की धमकी देकर सचिव निर्मल देशमुख को मारपीट करने लगा तभी सचिव निर्मल देशमुख द्वारा अपने बचाव के लिए समारू राम कुमार का हाथ पकड़कर हटाया लेकिन समारू राम कमार नशे में धूत था। जिसके कारण अपने आप संभाल नहीं पाया और स्टील कुर्सी में जाकर गिर गया कुर्सी से टकराने की वजह से उसके सर में चोट आई है पंचायत सचिव निर्मल देशमुख द्वारा किसी भी प्रकार की मारपीट नहीं करने की पुष्टि ग्राम पंचायत पंच सरपंच एवं मितानिनों ने प्रत्यक्षदर्शी गवाह हैं जो थाने पहुंच करके बेवजह की सचिव को आरोप लगाए हैं जिसका खंडन कर अपना बयान दर्ज किए हैं इसमें पहली गलती समारू राम कमार की है यह घटना ग्राम वासी के समक्ष हुआ है इसकी सूचना तत्काल दिनांक 23 /11/ 2022 को थाना मैनपुर में उपस्थित होकर सांकेतिक रिपोर्ट दिया गया है। ग्रामीणों ने पंचनामा में होश हवास के साथ पढ़कर सुनकर थाना प्रभारी मैनपुर को पंचनामा सुपुर्द किए हैं जिसमें प्रमुख रुप से ग्राम पंचायत तूहामेटा के सरपंच श्रीमती अंजू लता नागेश खोलू राम कोमर्रा पंच रामसाय मरकाम केशव राम मरकाम हितेश्वर नागेश पंच राज बाई मरकाम मितानीन योगेश्वरी यादव मितानिन उदयसिंह मरकाम जीवन लाल मरकाम मानसिंह नागेश वचन यादव परमेश्वर मरकाम जय किशन यादव कालेश्वर मरकाम नाथू राम मरकाम श्यामा बाई ओटी मितानिन तीज कुंवर नैन कुंवर कुलेश्वरी लीलाबाई लक्ष्मी बाई मरकाम भान बाई मीना बाई इत्यादि लोग थाने पहुंचकर पंचनामा दिए हैं बयान दर्ज करवाना चाह रहे थे लेकिन पांच लोगों का ही बयान लेने की बात एसआई विवेचना अधिकारी जी आर साहू के द्वारा कहे जाने के कारण पंचनामा को थाना प्रभारी के नाम सौंपा हैं वही सरपंच श्रीमती अंजू लता नागेश ने बताया कि सचिव की कोई गलती नहीं थी लड़ाई उचित मूल्य की दुकान से ही शुरू हुई थी जान बचाने के लिए ग्राम पंचायत सेल्समैन पहुंचा था इसी दरमियान सचिव को मारपीट करने लगा कुर्सी से ही लगने के कारण उसे चोट आई है। सुबे सिंह पंच के द्वारा कहा गया कि कल मैं भी शिकायत करने आया था मुझे मछली बीज दिलाने के नाम पर यहां लाया गया था मुझे नहीं पता था कि सचिव निर्मल देशमुख के खिलाफ आवेदन देंगे बाद में मुझे पता चला उसके बाद मैं आज स्वयं पंचनामा और बयान दर्ज करवाने थाने पहुंचा हूं। प्रत्यक्षदर्शी खोलू राम कोमर्रा पंच ने बताया कि सचिव को ही मारपीट करने लगा था हम अपने नजरों से देखे हैं उसके बाद मेरे को भी गाली गलौज कर रहा था। मामला यह है जिसको मनगढ़ंत गलत ढंग से प्रार्थी को आवेदन दिलवाया गया है। यह कहीं ना कहीं सोची-समझी साजिश है। और उन्हें किसी प्रकार की जाती सूचक गाली भी नहीं दिया गया है।
सचिव निर्मल देशमुख की तुहामेटा में पदस्थी के बाद नही मिल रहा हैं कथित नेताओ को शराब और मुर्गे के लिए खर्च तो हटाने रचा गया षडयंत्र ?
बताते चले कि एक साल पूर्व ही ग्राम पंचायत तुहामेटा में निर्मल देशमुख की पदस्थी हुई हैं तब से कथित नेताओं की आंखों में सचिव निर्मल देशमुख चुभने लगा हैं।ग्राम तुहामेटा के ही हमारे सूत्र बताते हैं कि सचिव निर्मल देशमुख के आने के बाद से कथित नेताओं के शराब और मुर्गा पार्टी पर अंकुश लगा हुआ हैं।सचिव द्वारा शासन की राशि का दुरुपयोग इन कथित नेताओं की अय्यासी में खर्च नही किया जाता हैं न ही इन कथित नेताओं को रायपुर जाने हेतु वाहन भी मुहैया नही करवाया जाता हैं जिस बजह से इन कथित नेताओं की अय्यासी में प्रतिबंधित सा लग गया हैं इस बजह से सचिव निर्मल देशमुख को ग्राम पंचायत तुहामेटा से हटाने का भी षडयंत्र लागातार किया जाता रहा हैं यहा घटना इन कथित शराब और मुर्गा खोर कथित नेताओं के लिए एक अवसर लेकर आई हैं जिसमे वे अपनी राजनीतिक रोटी सेक रहे हैं और उक्त घटना पर पर्दा डालकर शासन को सत्य से दूर रखने का प्रयास कर रहे हैं।ताकि सचिव को यंहा से हटाया जा सके।जबकिं प्रशासन को चाहिए कि उक्त घटना की निष्पक्ष जांच कर कोई ठोस निर्माण लेना चाहिए जिससे ग्राम पंचायत तुहामेटा के विकास में कोई बाधा उत्पन्न ना हो।
किसने क्या कहा
आवेदन पर जांच चल रही है जांच के बाद ही बताई जाएगी ।
जी आर साहू एसआई थाना मैनपुर
शराब के नशे में धुत्त होकर ग्राम के निवासी समारू द्वारा ग्राम पंचायत कार्यालय में आया तब मैंने समारू से पूछा कि आप किस कार्य से ग्राम पंचायत आए हो तब समारू ने कहा कि मैं सचिव को मारने आया हूं और सचिव से मारपीट करने लगा सचिव ने अपने बचाव में समारू का हांथ पकड़ लिया उसी समय समारू गिर गया जिससे समारू को कान के पास चोंट लग गई थी समारू ने उस समय इतनी शराब पी रखी थी को वो ठीक से खड़ा भी नही हो पा रहा था।
अंजुलता नागेश सरपंच ग्राम पंचायत तुहामेटा
मेरे द्वारा किसी प्रकार की मारपीट नहीं की गई है पंचायत में आकर जबरदस्ती हो हल्ला करने के कारण अपने बचाव करते हुए हाथ पकड़ा तब जाकर स्टील कुर्सी में टकराया तब उन्हें चोट लगा है यह घटना ग्राम पंचायत के सभी जनप्रतिनिधि एवं मितानिनों के समक्ष हुआ है।और महोदय जी मेरे द्वारा किसी तरह से गालीगलौज नही किया गया हैं उस समय ग्राम की महिलाएं भी मौके पर मौजूद थी,सर जी मेरा निवेदन हैं कि आप मेरे कथनों भरोसा न करे और आप मौके पर उपस्थित ग्राम की महिलाओं व ग्रामीणजन से चर्चा कर लें सत्य से ग्रामीण आपको अवगत करवा देंगे।
निर्मल देशमुख सचिव ग्राम पंचायत तूहामेटा
समारू कमार द्वारा अति शराब के नशे में धुत्त होकर ग्राम पंचायत कार्यालय तुहामेटा में हुड़दंग किया गया और दूसरे के बहकावे में आकर सचिव पर बेबुनियाद इल्जाम लगाया जा रहा हैं जो कि अनुचित कृत्य हैं मैंने उपरोक्त संबंध में सामाजिक बैठक भी बुलाया हूँ।मेरे द्वारा मौके पर मौजूद ग्रामीणों से पूछा गया हैं तो पता चला हैं कि उक्त पूरे मामले में समारू कमार की गलती हैं।
वनसिंह सोरी राष्ट्रीय अध्यक्ष कमार समाज
षड्यंत्र के सिद्धांत क्या हैं?
एक षड्यंत्र या साजिश सिद्धांत किसी घटना या स्थिति का ऐसा स्पष्टीकरण है, जो किसी घटना या स्थिति के पीछे मानक स्पष्टीकरण को खारिज करते हुए इसके पीछे एक गुप्त साजिश को अंजाम देने के लिए एक गुप्त समूह या संगठन को जिम्मेदार बताता है।
षड्यंत्र या साजिश सिद्धांत शब्द का एक गूढ़ अर्थ यह भी है, कि किसी साजिश की अपील पूर्वाग्रह, संभावित या अपर्याप्त साक्ष्य पर आधारित होना। षड्यंत्र के सिद्धांत मिथ्याकरण का विरोध करते हैं और परिपत्र तर्क द्वारा प्रबलित होते हैं, साजिश के खिलाफ सबूत और इसके लिए सबूत की अनुपस्थिति दोनों को इसकी सच्चाई के साक्ष्य के रूप में फिर से व्याख्या की जाती है, जिससे षड्यंत्र कुछ साबित होने या बाधित होने के बजाय विश्वास का विषय बन जाता है।
षड्यंत्र के सिद्धांत के उदाहरण
लोग किसी भी विषय को षड्यंत्र या साजिश सिद्धांत के रूप में देख सकते हैं, लेकिन कुछ विषय दूसरों की तुलना में अधिक रुचि को आकर्षित करते हैं, जैसे कि, प्रसिद्ध मौतें और हत्याएं, नैतिक रूप से संदिग्ध सरकारी गतिविधियां, दबी हुई प्रौद्योगिकियां और आतंकवाद आदि।
उदाहरण के लिए “गुप्त समाज या संगठन” जिसे हमेशा से ही एक षड्यंत्र या साजिश की नज़र से देखा जाता रहा है, इसके अलावा जॉन एफ. कैनेडी की हत्या, 1969 अपोलो मून लैंडिंग, 9/11 आतंकवादी हमला, 26/11 मुंबई हमला जिसे एक हिन्दू आतंकवाद का नाम देने की तयारी थी, जो बाद में मिथ्या साबित हुई। और ऐसे ही कई विभिन्न सिद्धांत कथित तौर पर विश्व वर्चस्व के लिए कथित भूखंडों से संबंधित लंबे समय से मान्यता प्राप्त षड्यंत्रों के सिद्धांत, वास्तविक और काल्पनिक दोनों तरह के समूह।
आज 21वीं सदी में साजिश के सिद्धांत व्यापक रूप से वेब पर ब्लॉग और YouTube वीडियो के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी मौजूद हैं। क्या वेब ने साजिश के सिद्धांतों की व्यापकता बढ़ाई है या नहीं, यह एक खुला शोध प्रश्न है। खोज इंजन परिणामों में साजिश के सिद्धांतों की उपस्थिति और प्रतिनिधित्व की निगरानी और अध्ययन किया गया है, जो विभिन्न विषयों में महत्वपूर्ण भिन्नता दिखा रहा है, और परिणामों में सम्मानित, उच्च गुणवत्ता वाले लिंक की सामान्य अनुपस्थिति है।
हम षड्यंत्र के सिद्धांत पर विश्वास क्यों करते हैं?
आधुनिक युग में, जहाँ आज इनफार्मेशन और डाटा शेयर करने के इतने माध्यम उपलब्ध हैं वहाँ किसी भी कारण या घटना के पीछे का सत्य लोगों से छुप नहीं सकता और छुपता भी नहीं है, देर से ही लेकिन सच सबके सामने आ ही जाता है, लेकिन फिर भी लोग आज बस कुछ डिज़ाइनर पत्रकारों और समाज में ऊचा स्थान रखने वाले लोगों के बहकावे में आ जाते हैं। ज्यादातर लोग इनकी किसी की भी बात को सुनकर भरोसा कर लेते हैं, वे अपने विवेक और तर्क शक्ति का प्रयोग करते ही नहीं इसलिए सच को जान नहीं पाते।
साजिश के सिद्धांतों में विश्वास आम तौर पर सबूतों पर नहीं, बल्कि आस्तिक के विश्वास पर आधारित होता है। हर विषय को षड्यंत्र या साजिश सिद्धांत के रूप में देखने से लोगों में निर्देशों के स्रोत के रूप में विज्ञान और उसके तरीकों को अस्वीकार करने की प्रवृत्ति आ जाती है। इसलिए ज्यादातर लोग तथ्यात्मक सत्यता, वैज्ञानिक प्रमाण, परीक्षण और साख को छोड़कर, भावनात्मक ईमानदारी, अंतर्ज्ञान की सच्चाई और बिना तथ्यात्मक सत्यता वाले तर्कहीन बातों पर भरोसा करने लगते हैं, इससे न केवल आधुनिक विज्ञान विशेषज्ञों और गैर-विशेषज्ञों के बीच की खाई बढ़ जाती है, बल्कि मनोवैज्ञानिक तरीके से व्यक्ति का सोच भी बदल जाता है।
इसलिए षड्यंत्र सिद्धांत आधुनिक युग मे अब राजनीतिक परिदृश्य की एक स्थापित विशेषता बनकर एक महामारी की तरह फैल जाता हैं, और सामान्य जीवन को बाधित कर मानव जीवन, स्वास्थ्य और न्याय के मुद्दों पर जानबूझकर मतदाताओं की क्षमता को विषाक्त करके लोकतंत्र को खतरे में डालता हैं। इनसब में समाज में ऊचा स्थान रखने वाले लोग और मीडिया हाउस या न्यूज़ एक बड़ी भूमिका निभा रहा है।
वैज्ञानिक शोध से पता चलता है कि मनोवैज्ञानिक स्तर पर, षड्यंत्रवादी विचार या षड्यंत्र के सिद्धांतों में विश्वास हानिकारक या रोग संबंधी हो सकता है, और मनोवैज्ञानिक प्रक्षेपण के साथ-साथ व्यामोह के साथ अत्यधिक सहसंबद्ध होता है, जिसकी भविष्यवाणी किसी व्यक्ति के मैकियावेलियनवाद की डिग्री से की जाती है। साजिश के सिद्धांतों में विश्वास करने की प्रवृत्ति दृढ़ता से “स्किज़ोटाइप” के मानसिक स्वास्थ्य विकार से जुड़ी है। एक बार फ्रिंज ऑडियंस तक सीमित होने वाले षड्यंत्र सिद्धांत बड़े पैमाने पर अब मीडिया में आम हो गए हैं, जो 20वीं सदी के अंत और 21वीं सदी की शुरुआत में एक सांस्कृतिक घटना के रूप में उभर रहे हैं।
मनोविज्ञान के अनुसार षड्यंत्र के सिद्धांतों पर विश्वास करने के कारणों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है जिनका विस्तार वर्णन नीचे समझाया गया है।
मनोविज्ञान के अनुसार षड्यंत्र के सिद्धांतों पर विश्वास करने के कारणों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है।
प्रशंसा और निश्चितता की चाह।
नियंत्रण और सुरक्षा की इच्छा।
एक प्रभावी आत्म-छवि बनाए रखने की इच्छा।
प्रशंसा और निश्चितता की चाह –
अवसरों के लिए स्पष्टीकरण को खोजना हमेशा से ही मानवीय इच्छा रही है। जैसे जब भी मैं बाहर जाता हूँ उसी दिन बारिश क्यों होती है? आप यह क्यों नहीं समझ सकते कि मैं आपको क्या बताने का प्रयास कर रहा हूँ? ऐसे ही आदि प्रश्न।
आश्चर्य की बात यह है कि, हम केवल प्रश्न ही नहीं पूछते, बल्कि जल्द ही इन प्रश्नों का हल भी ढूंढ लेते हैं और यह जरूरी नहीं कि उत्तर हमेशा प्रामाणिक ही हों, बल्कि उत्तर ऐसा होता है जो हमारे सोच से मेल खाता हो। जैसे, जब भी मैं बाहर जाता हूँ उसी दिन बारिश होती है क्योंकि मेरी सबसे खराब किस्मत है, या भगवान मेरे साथ ही बुरा करते हैं। आप यह नहीं समझ सकते कि मैं आपको क्या बताने का प्रयास कर रहा हूँ क्यूँकि आप इस तथ्य से परिचित नहीं हो या आप मुझे सुन नहीं रहे।
हम सभी झूठे विश्वासों को सहन करते हैं, अर्थात्, जिन चीजों को हम वास्तविक रूप से वास्तविक मानते हैं, वे सत्य हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपको विश्वास है कि दुबई UAE की राजधानी है, तो आप एक झूठे विश्वास से पीड़ित हैं। लेकिन एक बार जब आप इस तथ्य का सच जान लेते हैं कि अबु धाबी UAE की राजधानी है, तो आप आसानी से अपने दिमाग को बदल देंगे। आखिरकार, आपको बस गलत सूचना दी गई थी, और अब आप इसमें भावनात्मक रूप से निवेश नहीं कर रहे हैं।
साजिश सिद्धांत ऐसे ही अतिरिक्त परिभाषा के सहारे झूठे विश्वास हैं। लेकिन जो लोग उनको सच मानते हैं, उनके सोच को ऐसा बनाए रखने में निहित गतिविधि होती है। सबसे पहले, वे इस घटना के लिए साजिश-सिद्धांत स्पष्टीकरण की सराहना करने में कुछ प्रयास करते हैं, चाहे वह पुस्तकों का विश्लेषण करना हो, वेब साइटों पर जाना हो, या अपने सोच के अनुसार टीवी कार्यक्रमों को देखकर उनकी मान्यताओं की सहायता करना हो। अनिश्चितता एक अप्रिय स्थिति है, और षड्यंत्र के सिद्धांत सराहना और निश्चितता की भावना को प्रस्तुत करते हैं जो सुकून देता है।
नियंत्रण और सुरक्षा की इच्छा
लोगों को यह महसूस करने की आवश्यकता है कि उनके जीवन पर उनका पूरा नियंत्रण है न की किसी और का। उदाहरण के लिए, बहुत से लोग सुरक्षित महसूस करते हैं जब वे एक यात्री की तुलना में वाहन में स्वयं चालक होते हैं। बेशक, यहां तक कि पहली दर वाले ड्राइवर अपने नियंत्रण से परे कारणों से दुर्घटनाओं में शामिल हो सकते हैं।
इसी तरह, षड्यंत्र के सिद्धांत अपने विश्वासियों को प्रबंधन और सुरक्षा की भावना प्रदान कर सकते हैं। यह विशेष रूप से वास्तविक है जब वैकल्पिक खाते को खतरा महसूस होता है। उदाहरण के लिए, यदि विश्व तापमान मानव गतिविधि के कारण विनाशकारी रूप से बढ़ रहा है, तो मुझे अपनी आरामदायक जीवन शैली के लिए दर्दनाक समायोजन करना होगा। लेकिन अगर विशेषज्ञ और राजनेता मुझे गारंटी देते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वार्मिंग एक धोखा है, तो मैं अपने समकालीन तरीके से रह सकता हूं। इस प्रकार के संकेतित तर्क साजिश सिद्धांत मान्यताओं में एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
एक प्रभावी आत्म-छवि बनाए रखने की इच्छा
हम सभी को एक सकारात्मक आत्म-छवि बनाए रखना है, जो सामान्य रूप से जीवन में हमारे द्वारा निभाई जाने वाली भूमिकाओं से आती है, जिसमे हमारी नौकरियां, परिवार और दोस्तों के साथ हमारे रिश्तों की ज्यादा भूमिका होती है। उदाहरण के लिए, जब हम माता-पिता, पति, मित्र, प्रशिक्षक या संरक्षक के रूप में यह जानते हैं कि हम दूसरों के जीवन में एक सकारात्मक बदलाव कर पा रहें हैं, तब हम अपने व्यक्तिगत जीवन को उचित रूप में देखते हैं, और हम अपने बारे में भी सकारात्मक और अच्छा अनुभव करते हैं।
लेकिन जब हम स्वयं को सामाजिक रूप से हाशिए या भिन्न पते हैं या सामाजिक रूप से बहिष्कृत महसूस करते हैं। ( अनुसंधान से पता चलता है कि जो मनुष्य सामाजिक रूप से हाशिए या भिन्न हैं, वे षड्यंत्र के सिद्धांतों में ज्यादा विश्वास करते हैं। ) तब हम साजिश के सिद्धांतों के बारे में दूसरों के मान्यताओं, विचार या राय के आधार पर षड्यंत्र के सिद्धांतों में विश्वास करने लगते हैं। यहाँ पर भी हम उन लोगों के मान्यताओं, विचार या राय के आधार पर अपना भी विचार बना लेते हैं, जिन लोगों पर हम ज्यादा विश्वास करते हैं, जिन्हें हम फॉलो करते हैं, या जिन्हें हम प्रतिदिन देखते मिलते या सुनते हैं, हम अपने विवेक और तर्क शक्ति का उपयोग भी नहीं करते।
उदाहरण के लिए, अधिकांश लोग जो जलवायु परिवर्तन को सही मानते हैं, वे वास्तविक लोग हैं, इस कारण से नहीं कि वे विज्ञान को पहचानते हैं, इस कारण से भी नहीं कि ऐसा विशेषज्ञों का मानना है। बल्कि, इस कारण से कि उनका स्वयं पर पूर्ण नियंत्रण है और वे हर बात को अपने विवेक और तर्क के आधार पर, अपने प्रश्नो के आधार पर स्वयं आंकलन करकर देखते हैं। और इसलिए, जब आप जलवायु परिवर्तन के खिलाफ सबूत टटोलना शुरू करते हैं, तो एक वास्तविक दिखने वाला प्रतिवाद करना कठिन हो सकता है। आप सभी को यह महसूस होता है कि षड्यंत्र का विचार सत्य होने में बहुत अधिक समस्याग्रस्त लगता है।
निष्कर्ष संक्षेप में
अब हमारे पास एक सही समझ है, कि कैसे लोग षड्यंत्र के सिद्धांतों से सहमत होने के लिए प्रेरित हो जाते हैं। और हम यह भी जान गए हैं कि मनोविज्ञान के अनुसार षड्यंत्र के सिद्धांतों पर विश्वास करने के कारणों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है – प्रशंसा और निश्चितता की चाह।, नियंत्रण और सुरक्षा की इच्छा।, एक प्रभावी आत्म-छवि बनाए रखने की इच्छा।, लेकिन क्या षड्यंत्र-सिद्धांत की मान्यताएं वास्तव में मनुष्यों को इन जरूरतों को पूरा करने में मदद करती हैं?
अनुसंधान एवं अध्ययनों ने निर्धारित किया है कि जब विश्वविद्यालय के छात्रों को साजिश के सिद्धांतों से अवगत कराया जाता है, तो वे असुरक्षा की त्वरित भावना का प्रदर्शन करते हैं। इससे कुछ शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि साजिश-सिद्धांत विश्वास आत्म-पराजय है। हालांकि, डगलस और उनके सहयोगियों के कारक के रूप में, ज्यादातर कॉलेज के छात्रों को पहले स्थान पर साजिश के सिद्धांतों से सहमत होने के लिए बहुत कम प्रेरणा है। उन्हें निश्चित रूप से डिज़ाइन किए गए अध्ययनों की आवश्यकता होती है, जो बिना किसी देरी के अध्ययन किए गए हैं जो पहले से ही साजिश के सिद्धांतों से सहमत हैं।
इन भविष्य के अध्ययनों के प्रभाव के बावजूद, हमारे लिए अब वास्तविक प्रश्न यह है कि हम अपने जीवन में ऐसे षड्यंत्रकारियों से कैसे बचें। वास्तव में आप षड्यंत्रकारियों के षड्यंत्र के सिद्धांतों को अपने विवेक और तर्क शक्ति, विज्ञानं एवं तथ्य द्वारा प्रतिवाद की पेशकश कर सकते हैं, लेकिन कई बार ऐसा भी होगा कि आप बहस में सफल नहीं हो पाएंगे, ऐसा इसलिए क्योंकि तथ्य के कारण ही आप तथ्यों पर बहस कर रहे हैं, जबकि षड्यंत्रकारी अपने संरक्षण के अनुभव और अपने बारे में अपनी जबरदस्त भावनाओं का बचाव कर रहे हैं। और हम सभी के लिए, सेल्फ-इमेज हर बार तथ्यों को पीछे कर देता है।
निर्णय
षड्यंत्रकारियों के षड्यंत्र एवं साजिशों के सिद्धांतों के प्रभाव को कम करने के लिए, हमें मुख्यधारा के विशेषज्ञों, वैज्ञानिक पत्रों, तथ्यों की अपील करते हुए, या अधिक विज्ञान को पढ़ते हुए, सभी षड्यंत्र एवं साजिशों से पर्दा हटाना होगा। अपने व्यक्तिगत, राजनीतिक और सामाजिक अनुभव की समझ बनाने के लिए लोगों को बेहतर उपकरण प्रदान करना अधिक प्रभावी हो सकता है। इसके साथ-साथ षड्यंत्र एवं साजिशों को जन्म देने वाले तीन करक( जिनका विस्तार विवरण हमने जाना ) – प्रशंसा और निश्चितता की चाह।, नियंत्रण और सुरक्षा की इच्छा।, एक प्रभावी आत्म-छवि बनाए रखने की इच्छा।, से बचना होगा।
इसके अलावा हमें स्वयं भी वैज्ञानिक तथ्य, तर्क शक्ति और विवेक से, षड्यंत्र एवं साजिशों के सिद्धांतों से बचना होगा। क्या सत्य है और क्या मिथ्या, हमें इसका निर्णय किसी के भावनात्मक ईमानदारी, अंतर्ज्ञान की सच्चाई और बिना तथ्यात्मक सत्यता वाले तर्कहीन बातों पर भरोसा करके नहीं लेना हैं। हमें किसी के भी मान्यताओं, विचार या राय के आधार पर अपना विचार नहीं बनाना है। बल्कि, हमें तथ्यात्मक सत्यता, वैज्ञानिक प्रमाण, परीक्षण और साख के साथ अपने तर्क शक्ति और विवेक द्वारा विचार करने के बाद किसी निर्णय पर पहुंचना होगा। तभी हम एक उत्तम एवं श्रेष्ठ समाज का निर्माण कर सकते हैं।