पुरी शंकराचार्य

भूख और प्यास के निवारक अन्न तथा जल के अस्तित्व को स्वीकार करने के सदृश मृत्यु / अज्ञता और दु:ख के निवारक सत् / चित् तथा आनन्द के अस्तित्व को स्वीकार करना आवश्यक है।

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