पुरी शंकराचार्य

भगवत्पाद आदि शंकराचार्य महाभाग ने अद्वय चिदात्मा की ब्रह्म रूपता को हृदयङ्गम कर सर्वात्मवाद , एकात्मवाद तथा एकेश्वरवाद को स्वीकार कर तत्त्वतः सबकी अद्वयता का प्रतिपादन किया।

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