देख रहा न “विनोद” पत्रकार को तड़ीपार बताने बाले मुख्यमंत्री के रिश्तेदार भ्रष्ट एसडीओ की काली करतूत?

गरियाबंद में पदस्थ एसडीओ ने मचाई शासन की राशि की लूट,रेंजरों के साथ मिलकर कैम्पा और विभागीय मद से एक ही  डब्ल्यूबीएम सड़क और सड़क मरम्मत कार्य में कागजी घोड़े दौड़ाकर लूटे शासन के करोडों रुपए 

कैम्पा मद और विभागीय मद से कार्य में निविदाकार की जगह-जंगल से ही चोरी की मिट्टी, गिट्टी और मुरम,एक सड़क के लिए लुटा दो मद रेंजरों ने काबूली मुख्यमंत्री के रिश्तेदार की गुलामी?

वनमंडलाधिकारी ने सौंपा बिल्ली को ही दूध की निगरानी का जिम्मा,तो कैसे होगी निष्पक्ष जांच?

गरियाबंद(गंगा प्रकाश):-हमारे देश में भ्रष्टाचार आज से नहीं बल्कि कई सदियों से चला आ रहा है और यह दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है, जिसके कारण हमारे देश की हालत खराब होती जा रही है। एक पद विशेष पर बैठे हुए व्यक्ति का अपने पद का दुरुपयोग करना ही भ्रष्टाचार कहलाता है। ऐसे लोग अपने पद का फायदा उठाकर कालाबाजारी, गबन, रिश्वतखोरी इत्यादि कार्यों में लिप्त रहते है,

जिसके कारण हमारे देश का प्रत्येक वर्ग भ्रष्टाचार से प्रभावित होता है। इसके कारण हमारे देश की आर्थिक प्रगति को भी नुकसान पहुँचता है। भ्रष्टाचार दीमक की तरह है जो कि धीरे-धीरे हमारे देश को खोखला करता जा रहा है।

आज हमारे देश में प्रत्येक सरकारी कार्यालय, गैर-सरकारी कार्यालय और राजनीति में भ्रष्टाचार कूट-कूट कर भरा हुआ है जिसके कारण आम आदमी बहुत परेशान है। इसके खिलाफ हमें जल्द ही आवाज उठाकर इसे कम करना होगा नहीं तो हमारा पूरा राष्ट्र भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएगा?भारत में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी अधिक गहरी हैं कि शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र बचा हो, जो इससे अछूता रहा है। राजनीति तो भ्रष्टाचार का पर्याय बन गयी है। आज भारत में भ्रष्टाचार हर क्षेत्र में बढ़ रहा है, कालाबाजारी अर्थात जानबूझकर चीजों के दाम बढ़ाना, अपने स्वार्थ के लिए चिकित्सा जैसे क्षेत्र में भी जानबूझकर गलत ऑपरेशन करके पैसे ऐंठना, हर काम पैसे लेकर करना, किसी भी सामान को सस्ता लाकर महंगे में बेचना, चुनाव धांधली, घूस लेना, टैक्स चोरी करना, ब्लैकमेल करना, परीक्षा में नकल, परीक्षार्थी का गलत मूल्यांकन करना, हफ्ता वसूली, न्यायाधीशों द्वारा पक्षपात पूर्ण निर्णय, वोट के लिए पैसे और शराब बांटना, उच्च पद के लिए भाई-भतीजावाद, पैसे लेकर रिपोर्ट छापना, यह सब भ्रष्टाचार है और यह दिन-ब-दिन भारत के अलावा अन्य देशों में भी बढ़ रहा है और कोई क्षेत्र भ्रष्टाचार से नहीं बचा।शिक्षा विभाग भी भ्रष्टाचार से अछूता नहीं रहा है। वह तो भ्रष्टाचार का केन्द्र बनता जा रहा है। एडमिशन से लेकर समस्त प्रकार की शिक्षा प्रक्रिया तथा नौकरी पाने तक, ट्रांसफर से लेकर प्रमोशन तक परले दरजे का भ्रष्टाचार देखने को मिलता है।

बताना लाजमी होगा कि इन दिनों छत्तीसगढ़ राज्य का वन विभाग शायद भारत देश का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार का केन्द्र बना हुआ है, जहाँ वन विभाग के अधिकारियों के सबसे अधिक मामले सामने आ रहे है जिन्हें ऊपर से ही पूरा संरक्षण मिला हुआ है, फ़िर “सैय्या भये कोतवाल तो अब डर काहे का?” छत्तीसगढ़ वन विभाग में अधिकारी तो छोटी मछलियाँ है। जो कि अपनी पदस्थापना की वफ़ादारी के एवज में सरकारी पैसो को भ्रष्ट तरीके से अपने आका तक पहुंचाने का काम करते है,ज्ञातव्य हो कि जिस तरह से महाराष्ट्र में छगन भुजबल ने भ्रष्टाचार किया था जिन्हे जेल जाना पड़ा था उसी तरह छत्तीसगढ़ में भी कई छगनभुजबल है जिनके भ्रष्टाचार की देर-सबेर जाँच के दायरे में आने ही वाली है।और अभी ये पॉवर में है जी भरके सत्ता का खूब मज़े ले रहे है और छत्तीसगढ़ की जनता की गाढ़ी कमाई को दोनों हाथो से लूट रहे है, जिस दिन पाप का घड़ा भरेगा मुँह छिपाने के लिए जेल में ही जगह मिलने वाली है वैसे भी इनके पुराने पापों की जाँच भी अभी होनी बाकि है क्योकि सबूत तो दस्तावेजों में है देर सबेर न्यायपालिका जरूर न्याय करेगा अब छत्तीसगढ़ राज्य स्तरीय जॉंच एजेंसियों पर भरोसा करना बे – मानी होगा क्योकि यहाँ तो सर से पाँव तक सब के सब एक ही थैले के चट्टे-बट्टे नज़र आते है। या दूसरी भाषा मे कहे कि हमाम में सभी नग्गे नजर आ रहे हैं? अब राज्य स्तरीय जाँच करने के स्थान पर सी.बी.आई.जाँच कराने की आवश्यकता है किन्तु वर्तमान सरकार ने तो सत्ता में आते ही सबसे पहले केंद्र जांच एजेंसी सीबीआई पर छत्तीसगढ़ में रोक लगा थी क्यों कि इनके पापो की जांच ना हो सके और छत्तीसगढ़ की जनता का पैसा वे रोक टोक लूटा जा सारे अगर वन विभाग में कैम्पा मद के लूट की जांच निष्पक्षता से की जाती हैं तो फिर देखिए कैसे बड़ी मछलियाँ जाल में फंसती है ? वैसे भी एक अयोग्य और नकारे व्यक्ति से क्या उम्मीद की जा सकती है ?

अपने कुकृत्यों को छुपाने एसडीओ करता रहा पत्रकार को तड़ीपार घोषित करने की साजिश?

बता दे कि समूचे छत्तीसगढ़ सहित गरियाबंद वन विभाग के भ्रष्ट अधिकारियो के खिलाफ इतने आरोप और प्रकरण लंबित होने के बाद भी कोई कार्यवाही का नहीं होना कई संदेहो को जन्म देता है की इन भ्रष्टाचारों के पीछे कौन है। यहा एक बड़ा सवाल बना हुआ हैं ? जनता देख भी रही है और समझ भी रही है।ज्ञात हो कि हमारे द्वारा वन विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार पर लगातार खुलासा किया जाता रहा हैं। लेकिन अफ़सोस की बात है, इनके आकाओं के कान में जूं तक नहीं रेंगती क्योकि जनता के खून पसीने की कमाई के लूट में ये भी तो बड़े हिस्सेदार है ?बता दें कि छुरा निवासी स्वतंत्र पत्रकार मनोज सिंह द्वारा 4माह पूर्व सूचना के अधिकार के तहत वन मंडल गरियाबंद से कैम्पा मद की जानकारी मांगी थी।तभी से भ्रष्ट्राचार का शिरोमणि एसडीओ मनोज चंद्राकर जो अपने आपको को मुख्यमंत्री का रिश्तेदार बताता हैं और अपने उच्य अधिकारी व अधीनस्थ कर्मचारियों को अपनी धौंस दिखाता हैं ने अपने भांड मित्रों के साथ मिलकर वनविभाग गरियाबंद अन्तर्गत यहां प्रचार प्रसार करना शुरू कर दिया था कि पत्रकार मनोज सिंह एक तड़ीपार हैं।जिसमे महा भ्रस्ट एसडीओ का साथ कुछ कथित पत्रकार और एक भांड पत्रकार भी इसका साथ बखूबी निभाते रहें है।लेकिन इन्हें शायद यहां पता नही हैं कि सच को कभी आंच नही आ सकती?बताते चले कि पत्रकार द्वारा सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने के उपरांत तत्कालीन वन मण्डल अधिकारी मयंक अग्रवाल गरियाबंद द्वारा कार्यालय के पत्र क्रमांक 2335 व दिनांक 08-09-2022 के माध्यम से अपने विभाग की पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए जानकारी उपलब्ध करा दी थी।

सूचना के अधिकार से हुआ खुलासा:एक ही वन मांर्ग को दो मदो से बनाकर एसडीओ मनोज चंद्राकर और रेंजरों ने लूटी शासन की राशि

बताते चले कि पत्रकार द्वारा कार्यालय वन मंडल गरियाबंद अन्तर्गत वर्ष 2019 से अगस्त 2022 तक कैम्पा मद से किए गए सभी कार्यो की सूची की जानकारी ले लेने के बाद गरियाबंद वन मंडल अन्तर्गत वनपरिक्षेत्र धवलपुर में सूचना के अधिकार के तहत कैम्पा मद और  विभागीय मद की जानकारी निकाली जिसमे वनपरिक्षेत्र अधिकारी धवलपुर द्वारा अपने कार्यालय के पत्र क्रमांक 976 दिनांक 02-12-2022 के माध्यम  पत्रकार को जानकारी उपलब्ध करवाई जिसमे चौकाने बाले तथ्य सामने आए हैं।बता दें वन परिक्षेत्र धबलपुर अन्तर्गत कि वर्ष2020-21 अन्तर्गत कैम्पा मद से सिकासेर से सोननदी तक डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण कार्य स्वीकृत हुआ हैं जिसकी स्वीकृत राशि 45लाख तीस हजार रुपए हैं।जो कार्य अभी तक जारी हैं।जबकिं दूसरी तरफ वन परिक्षेत्र अधिकारी धबलपुर के सूचना के अधिकार से प्राप्त दस्तावेज के पत्र क्रमांक 976 की बिंदु क्रमांक 05 में भी वर्ष 2020-21 में विभागीय मद की राशि का उपयोग कर सिकासेर से सोननदी वन मार्ग का मरम्मत कार्य कुल दूरी 08 किलोमीटर बताकर शासन की राशि की लूट की गई हैं या ऐ कंही की एक ही सड़क के लिए दो मद की राशि को लूटा गया हैं।जो कि एसडीओ मनोज चंद्राकर के भौतिक सत्यापन और मूल्यांकन के बगैर असंभव हैं।चूंकि वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा जब भी कोई निर्माण कार्य करवाया जाता हैं उसके बाद एसडीओ ही उस निर्माण कार्य का भौतिक सत्यापन और मूल्यांकन करने के बाद ही राशि का भुगतान किया जाता हैं।इससे साफ जाहिर होता हैं कि मनोज चंद्राकर ने किस तरह से भ्रष्ट्राचार को अंजाम दिया हैं।

कार्य करवाए बगैर ही एसडीओ मनोज चंद्राकर ने कर दिया सड़क मरम्मत कार्य का मूल्यांकन और भौतिक सत्यापन और लूट ली विभागीय मद की राशि?

बताते चले कि  वन परिक्षेत्र अधिकारी धबलपुर के सूचना के अधिकार से प्राप्त दस्तावेज के पत्र क्रमांक  976 में की बिंदु क्रमांक 08 वर्ष 2021-22 में विभागीय मद की राशि का उपयोग कर सिकासेर से कारिडोंगरी वन मार्ग का मरम्मत कार्य का होना बताया जा रहा हैं।अपने भ्रष्ट्राचार रूपी कुकृत्यों को छुपाने के मद्देनजर सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त दस्तावेज में विभागीय मद की जानकारी तो दी गई हैं किंतु प्रत्येक कार्य में व्यय कितना किया गया इसकी जानकारी नही दी गई हैं।क्योंकि सारे काम इन भ्रष्ट्र अधिकारियों ने   कागज में किया हैं जिसकी जमीनी सच्चाई यहां हैं कि विभागीय मद से निर्माण और मरम्मत कार्य हुआ ही नही हैं। जबकि हमारे संवाददाता ने ग्राम मारागांव में जाकर ग्रामीणों ने पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि विगत 15 साल से सिकासेर से कारिडोंगरी वन मार्ग पर मरम्मत कार्य तो क्या ?किसी भी तरह से कोई भी वन विभाग धवलपुर द्वारा नही करवाया गया हैं।यंहा भी यही सवाल यही उठता हैं कि जब मरम्मत कार्य हुआ ही नही हैं  एसडीओ मनोज चंद्राकर द्वारा किसका भौतिक सत्यापन और मूल्यांकन किया गया होगा?अब बात और भी मजेदार हो जाती हैं जब हम सूचना के अधिकार से प्राप्त वनमंडल कार्यालय गरियाबंद के पत्र क्रमांक -2335 में वर्ष 2020-21 अन्तर्गत कैम्पा मद से किए गए कार्यो की सूची देखते हैं तो यहा पाते हैं कि कारीडोंगरी से सिकासेर तक डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण कार्य स्वीकृत हैं जो कि अभी जारी हैं जो 3 . 5 किलोमीटर बनाया जाएगा जिसकी कुल स्वीकृत राशि 52 लाख 85000 रुपए हैं।ज्ञात हो कि वन परिक्षेत्र धवलपुर और वन परिक्षेत्र नवागढ़ वन क्षेत्र की सीमा एक दूसरे से लगी हुई हैं।जिसका फायदा उठाते हुए मनोज चंद्राकर द्वारा एक ही सड़क निर्माण पर दो मदो की राशि को दोनों हांथो से लूटने में कोई कोर कसर नही छोड़ रहा हैं।

भ्रष्ट्राचार का दलदल बना वन मंडल गरियाबंद

गरियाबंद जिले में स्थित वन विभाग में भ्रष्टाचार लगातार पांव पसारता जा रहा है। एक ओर जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की बात करते नहीं थकते, इसके विपरीत उन्हीं की सरकार में गरियाबंद वन मंडल में पदस्थ एसडीओ मनोज चंद्राकर जो कि अपने आपको मुख्यमंत्री का रिश्तेदार बताने बाले भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी उनकी मंशा को पलीता लगाने का काम कर रहे हैं। वन विभाग गरियाबंद  के अंतर्गत स्थित नो में से सात वन परिक्षेत्र पाण्डुका,फिंगेश्वर, गरियाबंद, नवागढ़,धवलपुर, मैनपुर,देवभोग में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। जहां परीक्षेत्र अधिकारी से लेकर उप वन मंडल अधिकारी, वन मंडल अधिकारी और उच्चाधिकारियों तक सभी लिप्त होते जा रही हैं? चाहे विभागीय कार्यों की बात हो या सामग्री क्रय करने की बात हो सभी कार्य कमीशन खोरी की भेंट चढ़ते जा रहे हैं। जब तक कमीशन तय ना हो तब तक भुगतान प्रमाणिक रोकना फैशन सा बनता जा रहा है, इस कमीशन खोरी की वजह से मजदूर हो या व्यापारी सभी परेशान है जिसका सीधा असर विभागीय कार्यो की प्रगति पर पड़ रहा है।वन विभाग के कुछ भ्रष्ट किस्म के अधिकारियों द्वारा कमीशन की चाह में भुगतान प्रमाण अटका कर रखना फैशन सा बनता जा रहा है।

गरियाबंद वन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर  एसडीओ मनोज चंद्राकर कितना हैं जिम्मेदार?

जैसा कि हम सभी जानते है की भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। इतने बड़े देश को सुचारु रूप से चलाने के लिए सरकार द्वारा अफसरो की नियुक्ति की जाती है।और प्रशासनिक तंत्र ही लोकतंत्र की रीढ़ माना जाता हैं। चूँकि भारत का लोकतांत्रिक ढांचा संघीय स्वरुप का है अर्थात इसमें केंद्र और राज्यों के मध्य शक्तियो का स्पष्ट बंटवारा किया गया है।अतः सरकारों के विभिन विभागों के सुचारु रूप से क्रियान्वयन के लिए इसमें केंद्र और राज्य सरकार द्वारा अपने अपने स्तर अलग अलग ऑफिसरो की नियुक्ति की जाती है। सरकार के हर विभाग का कार्य सुचारु रूप से चलाने के लिए इन ऑफिसरो की नियुक्ति की जाते है। इन्हीं के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक विभाग में एक SDO की नियुक्ति की जाती है जो उस विभाग से सम्बंधित सभी कार्यो को अपने अधीनस्थों के माध्यम से सम्पादित करता है। ये वास्तव में उस विभाग में निर्णायक बॉडी होता है जिसके नेतृत्व में उस विभाग के सभी फैसले लिए जाते है।जैसे की आपको बताया गया है सरकार द्वारा सरकार के प्रत्येक विभाग में उपविभागीय अधिकारी (SDO) की नियुक्ति की जाती है। सरकार के सभी विभागों जैसे समाज कल्याण, PWD, सिंचाई विभाग, विदुयत विभाग, कृषि विभाग और वन विभाग सहित अन्य सभी विभागों में SDO की नियुक्ति की जाती है। एसडीओ का मतलब होता है सब डिवीज़न ऑफिसर जो लगभग हर सरकारी विभाग में नियुक्त किया जाता है, यह एक डिवीज़न स्तर का अधिकारी होता है, जो कई प्रकार के कार्य करता है। हर जिले को छोटे-छोटे खंडों में प्रत्येक सरकारी विभाग के अधिकारियों की नियुक्ति एसडीओ ही करता है। इन अधिकारियों का काम डिवीज़न स्तर पर सरकारी कार्यों का सही ढंग से संचालन करना होता है। उपविभागीय अधिकारी का कार्य क्षेत्र बहुत बड़ा है। इसके अंतर्गत उस विभाग की सभी कार्य संपन्न किये जाते है। उसे विभाग से सम्बंधित सभी निर्णय लेने पड़ते है। कार्य सरकारी मानकों के अनुरूप हो रहा है या नहीं इसकी निगरानी करने की जिम्मेदारी भी उसी के कंधो पर है। कार्य को सुचारु रूप से चलाने एवं अन्य सभी सम्बंधित कार्यो के लिए वह ही जिम्मेदार और जवाबदेह होता है। इस तरह से वह सरकार का विभाग से सम्बंधित बहुत महत्वपूर्ण अधिकारी है।अब आपको बता दे कि गरियाबंद जिले के वन विभाग में एसडीओ के रूप में पदस्थ मनोज चंद्रकार जिनका कार्य क्षेत्र वन परिक्षेत्र धवलपुर,वन परिक्षेत्र नवागढ़ व वन परिक्षेत्र गरियाबंद हैं।जिसके अंतर्गत डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण कार्य सहित नरवा विकास कार्य सहित अन्य निर्माण कार्य जारी हैं।किन्तु वन परिक्षेत्र धवलपुर अंतर्गत चल रहे सिकासेर से सोननदी तक डब्ल्यूबीएम जिसका स्वीकृत वर्ष2020-21 जिसकी कुल राशि 45 लाख तीस हजार रुपए हैं।डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण में दो मदो से कैम्पा मद और विभागीय मद से किया गया हैं जिसमे एसडीओ मनोज चंद्राकर द्वारा ही निर्माण कार्य और मरम्मत कार्य मूल्यांकन और सत्यापन करने के उपरांत ही दोनों मदो से भुगतान किया गया हैं।जबकि एसडीओ मनोज चंद्राकर का तकनीकी ज्ञान शून्य हैं।और न ही वन विभाग में निर्माण कार्यो की ठीक से जानकारी हैं इन्हें मात्र भ्रष्ट्राचार की राशि से अपना हिस्सा की तगड़ी जानकारी हैं।वो हम इस लिए कह रहे हैं क्योंकि हमारे संवाददाता ने जब इनसे सिकासेर से सोननदी निर्माण कार्य की जानकारी हेतु इन्हें फोन किया गया और इनसे पूछा गया कि जंगल से ही गिट्टी तोड़कर क्यों सड़क निर्माण किया जा रहा हैं? तब इन्होंने कहा कि जंगल से गिट्टी नही तोड़ी गई हैं बल्कि संग्रहण किया गया हैं।साथ ही  इनसे जंगल से ही मुरम खनन कर सड़क निर्माण में क्यों उपयोग किया जा रहा हैं तब इन्होंने इन्होंने कहा कि जंगल से मुरम नही निकाली गई हैं।और हम किसानों से बात कर रहें उनके खेत से मुरम लेकर हम निर्माण कार्य शुरू करेंगे ।जब हमारे संवाददाता ने इनसे कहा कि सर जी निर्माण सामग्री तो निविदाकार से क्रय की जाती हैं तो हड़बड़ाते हुए एसडीओ मनोज चंद्राकर द्वारा कहा गया कि हां.. हां हम निविदाकार से ही गिट्टी और मुरम ख़रीदी करेंगे ।अब सवाल यहा उठता हैं कि जिसे क्रय भण्डार अधिनियम की ही जानकारी न हो वो क्या निर्माण कार्यो का मूल्यांकन करता होगा?और शासन की राशि का कैसे बंदरबांट करता होगा?”ए तो वही बात हुई न कि अनाड़ी का खेलना खेल का सत्त्यानाश”दूसरी भाषा मे आप दूसरी लाइन पूरी कर सकते हैं कि “अनाड़ी का….”भूत” का सत्त्यानाश”बता दे कि एसडीओ मनोज चंद्राकर को शासन की राशि मे हुए भ्रष्ट्राचार का अपने मोटे कमीशन से ही मतलब होता है।

जंगल से मुरम की चोरी में है इन भ्रष्ट्रासूरों को तगड़ा मुनाफा

बताते चले कि सिकासेर से सोननदी वन मार्ग की डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण को मनरेगा के सड़क निर्माण की तरह किया जा रहा हैं।और कोई विरोध ना हो इसके लिए शातिर एसडीओ मनोज चंद्राकर ने इस काम की जिम्मेदारी वन सुरक्षा समिति के अध्यक्ष हेमलाल नेताम ग्राम उन्डा पारा को दे दी हैं।और जंगल निकाली जा रही हैं जिससे मनोज चंद्राकर और उनके अधीनस्थों को मोटा कमीशन प्राप्त होना है चूंकि निविदाकार से मुरम खरीदी करने में 800 रुपए प्रति घनमीटर का खर्च होगा और सिकासेर से सोननदी डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण में हजारों घनमीटर मुरम की आवश्कता होगी इस स्थिती में निविदाकार से मुरम क्रय करने में मनोज चंद्राकर को एक बड़ा नुकसान होगा इस लिए एसडीओ मनोज चंद्राकर ने मुरम और गिट्टी को जंगल से चोरी करना मुनासिब समझा हैं। इससे पहले भी श्रीमान वन मण्डल महासमुंद में लंबे समय तक पदस्थ रहें हैं और जब-जब भी जंहा-जंहा भी पदस्थ रहें हैं इन्होंने उस क्षेत्र में ताबड़तोड़ लूट मचाई हैं और इनसे इनके अधीनस्थ कर्मचारी इनसे त्रस्त रहे हैं।इन्होंने भ्रष्ट्राचार की नई नई इबारत लिखकर शासन की राशि को मन चाह तरीके से लूटा हैं अगर मनोज चंद्राकर की चल व अचल संपत्ति की सूक्ष्मता से जांच की जाती हैं तो कई चौकाने बाले तथ्य सामने आने की सम्भावनाओं को नकारा नही जा सकता।जिसका जिता जगता उदाहरण वन परिक्षेत्र धवलपुर और वन परिक्षेत्र नवागढ़ में देखनो को मिल रहा हैं जंहा एक ही वन मार्ग को विभागीय मद से मरम्मत कार्य दिखाकर कर शासन की राशि को लूटा गया हैं तो वंही दूसरी और कैम्पा मद की लाखों रुपए की राशि से डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण कार्य कागजो में दिखाकर करोड़ो रूपये की राशि का बंदरबाट किया गया हैं।यहां हम नही सूचना के अधिकार से प्राप्त दस्तावेज इनकी कार्यगुजारियो की दास्तान बयां कर रहीं हैं।ज्ञात हो कि एसडीओ मनोज चंद्राकर के अधीनस्थ वन परिक्षेत्र अधिकारियों द्वारा भण्डारण क्रय अधिनियम 2002 का पालन विगत 3वर्षों से नही क्या जा रहा हैं ऐ हम नही कह रहे हैं।कार्यालय   वन मंडल गरियाबंद के पत्र क्रमांक क्रमशःपत्र क्रमांक-3644,3645,3646,3647,3648,3649,3650,3651,3652,3653,दिनांक 18-08-2022 कह रहे हैं जिसमे स्पष्ट हैं कि विभाग द्वारा किसी तरह की निविदा जारी नही की गई हैं और न ही किसी भी मटेरियल सप्लायर से कोटेशन भी नही लिया गया हैं ना ही इनका कोई निविदाकार हैं। नियमो की धज्जियां उड़ाते हुए शासन की राशि को लूटने में माहिर एसडीओ मनोज चंद्राकर द्वारा अपने अधीनस्थ रेंजरों के साथ मिलकर अपनी मनमानी करते हुए सारे निर्माण कार्य करवाए जा रहे हैं जिसमे गिट्टी,मिट्टी,मुरम का उपयोग जंगल से ही निकाल कर किया जा रहा हैं।जिसमे वनपरिक्षेत्र अधिकारी धवलपुर व गरियाबंद, और नवागढ़ के वन परिक्षेत्र अंतर्गत के कैम्पा मद व विभागीय मद से कराये गए कार्यो की जांच की जाए तो चौकाने बाले मामले सामने आने की संभावनाओं को नही नकारा जा सकता।

वन विभाग में एसडीओ ने इस वजह से मचाते हैं शासन की राशि की लूट

बता दें कि वन विभाग में एसडीओ का जंगल क़ानून इस लिए चलता हैं क्यों कि इस विभाग पास अपना कोई निर्धारित इंजीनियर नही होता हैं।इन परिस्थितियों में वन विभाग के भ्रस्ट्रासुरों द्वारा किसी भी कार्य के लिए पीडब्ल्यूडी विभाग के इंजीनियरों से निर्माण कार्य जैसे भवन,बाउन्ड्रीबॉल,रपटा,पुल,पुलिया,डब्ल्यूबीएम सड़क का स्टीमेट बनवा लिया जाता हैं और निर्माण कार्य की शुरुआत कर दी जाती हैं।वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के पास इन निर्माण कार्य का तकनीकी ज्ञान शून्य होने के बाबजूद भी इन्ही की देख रेख में निर्माण कार्य सम्पन्न करा दिया जाता हैं फिर अंत मे बारी आती  हैं मूल्यांकन और सत्यापन की तो वो भी एसडीओ के द्वारा कर दिया जाता हैं जिसे भी निर्माण कार्यों का तकनीकी ज्ञान नही होता हैं वो अपना एक मोटा कमीशन तय करने के उपरांत मूल्यांकन और सत्यापन कर निर्माण कार्यों में व्य की गई राशि का भुगतान करवा देता हैं लेकिन इस बात का पुरा ध्यान रखता हैं कि अपने ऊपर बैठे आकाओं सहित उनके हुक्मरानों को भी एक मोटी रकम कम ना पड़ा लेकिन एसडीओ मनोज चंद्राकर की तो बात ही निराली हैं क्योंकि धवलपुर वन परिक्षेत्र में कार्य करवाए बिना ही मूल्याकंन और सत्यापन कर विभागीय मद की राशि को सीधे-सीधे हजम कर गया हैं और डकार तक नही लिया है।

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