पुरी शंकराचार्य Posted on December 15, 2022December 15, 2022 by प्रकाश कुमार यादव जागर / स्वप्न तथा सुषुप्तिरूपा निद्रा से विरहित सर्वसंकल्प रहित शिलातुल्य संस्थित आत्माकार जो मन:स्थिति है वह स्वरूप स्थिति है। WhatsApp Facebook 0 Twitter 0 0Shares
संदेश पुरी शंकराचार्य प्रकाश कुमार यादव December 27, 2022 0 तामस सर्ग की अपेक्षा राजस सर्ग का और राजस सर्ग की अपेक्षा सात्विक सर्ग का अधिक महत्व है , त्रिविध सर्ग की परार्थता भी सिद्ध […]
संदेश पुरी शंकराचार्य प्रकाश कुमार यादव December 17, 2022 0 हिन्दू संस्कृति में मातृशक्ति की महिमा द्योतित है ; हिरण्यगर्भात्मक सूर्य , विष्णु , शिव और गणपति की अभिव्यक्ति में भी शक्ति का सन्निवेश अवश्य […]
संदेश पुरी शंकराचार्य प्रकाश कुमार यादव December 15, 2022 0 अभिव्यञ्जक के अधीन अभिव्यंग्य की अभिव्यक्ति होने पर भी अभिव्यञ्जक से अभिव्यंग्य की भिन्नता अवश्य ही सिद्ध है।