
अरविन्द तिवारी की कलम से
जगन्नाथपुरी (गंगा प्रकाश) – हिन्दुओं के सार्वभौम धर्मगुरु एवं हिन्दू राष्ट्र के प्रणेता , विश्व मानवता के रक्षक पूज्यपाद पुरी शंकराचार्यजी कलि सम्वत् आरम्भ की काल गणना के संबंध में चर्चा करते हुये संकेत करते हैं कि श्रीधर्मराज युधिष्ठिर का राज्याभिषेक महाभारत युद्ध के पश्चात् हुआ। उसी के उपलक्ष्य में युधिष्ठिर शक का शुभारम्भ माना जाता है। कलि तथा द्वापर की सन्धि में समन्त पञ्चक (कुरुक्षेत्र) में महाभारत युद्ध हुआ। महाभारत युद्ध के व्यतीत होने के अनन्तर छत्तीसवें वर्ष के उपस्थित होने पर मौसल युद्ध में यदुकुल का रोमाञ्चकारी संहार देवी गान्धारी तथा ब्राह्मणों के शापवश प्रभास क्षेत्र में हुआ। धर्मराज युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण पौत्र वज्र को यदुवंशियों का राजा नियुक्त कर तथा अपने राज्य पर अर्जुन के पौत्र परिक्षित (परीक्षित्) को प्रतिष्ठित कर स्वर्गारोहण के लिये महाप्रस्थान का निश्चय किया। इस प्रकार, महाभारत युद्ध के पश्चात् छत्तीसवें वर्ष तक युधिष्ठिर का शासनकाल सिद्ध है। महाभारत युद्ध के समय ही कलि का प्रवेश हो चुका था। गदायुद्ध में भीमसेन के द्वारा जाँघ पर प्रहार किये जाने पर धराशायी दुर्योर्धन के पक्षधर श्रीबलराम को मनाते हुये श्रीकृष्ण ने कहा कलियुग को आया हुआ समझिये। पाण्डुपुत्र भीम की प्रतिज्ञा पर भी ध्यान दीजिये। आज पाण्डु कुमार भीम वैर और प्रतिज्ञा के ऋण से मुक्त हो जाये। कलि को समीप आया देख बुद्धिमान् नृपनन्दन युधिष्ठिर ने उसको भी निवास दिया। भाइयों के सहित वे धर्मबल से अजेय होकर शोभा पाने लगे। तथापि भगवान् श्रीकृष्ण की धराधाम पर विद्यमानता के कारण कलियुग का प्रभाव तिरोहित था। भगवान् श्रीकृष्ण के लीलोपशम के दिन से ही कलि ने अपना प्रभाव प्रकट करना प्रारम्भ किया। उक्त रीति से युधिष्ठिर सम्वत् के 36 वें वर्ष में कलि सम्वत् का प्रारम्भ मान्य है। शक सम्वत् से 3179 अधिक कलि सम्वत् होता है। कलि सम्वत् से 36 अधिक युधिष्ठिर सम्वत् होता है। अतः शक सम्वत् से 3179 और 36 का योग करने पर 3215 वर्ष पूर्व युधिष्ठिर सम्वत् मान्य है। श्रीब्रह्मा जी ने स्वधाम गमन का अनुरोध करते समय यदुवंश में अवतीर्ण हुये आपके एक सौ से पचीस वर्ष अधिक हो गये , ऐसा पुरुषोत्तम श्रीकृष्ण से कहा।श्रीमद्भागवत के उक्त वचन के अनुसार गत कलि सम्वत्सर से 125 वर्ष अधिक श्रीकृष्ण सम्वत्सर सिद्ध होता है। उदाहरणार्थ शक 1944 में 3179 का योग करने पर 5123 कलि सम्वत्सर सिद्ध होता है I तद्वत् कलि सम्वत्सर 5123 में 125 का योग करने पर 5248 श्रीकृष्ण सम्वत्सर सिद्ध है। तद्वत् विक्रम 2079 तथा शक 1944 के अनुशीलन से यह तथ्य सिद्ध है कि शक से 135 वर्ष पूर्व विक्रम सम्वत् सिद्ध होता है। तद्वत् सन् 2022 से शक 1944 ऋण करने पर शेष 78 के अनुशीलन से यह तथ्य सिद्ध है कि शक से 78 वर्ष पूर्व ईसवी सन् सिद्ध होता है। तद्वत् विक्रम सम्वत् 2079 से ईसवी सन् 2022 ॠण करने पर शेष 57 के अनुशीलन से यह तथ्य सिद्ध है कि ईसवी सन् से 57 /56 वर्ष पूर्व विक्रम सम्वत् सिद्ध होता है। ईसवी सन् से 3101 वर्ष पूर्व कलियुग आरम्भ मान्य है।