ग्राम पंचायतों से बायकाट, गाँव का कैसे होगा विकास!

ग्राम पंचायतों का चुनाव दो वर्ष बढ़ाने की उठ रही मांग

खैरागढ़ (गंगा प्रकाश)।  केसीजी जिले सहित छत्तीसगढ़ में ग्राम पंचायतों के प्रति राज्य की कांग्रेस सरकार ने बायकाट कर लिया है ऐसा हम नही कह रहे हैं बल्कि राज्य सरकार के द्वारा अपने द्वारा किये गए घोषणा के विपरीत निकाले गए आदेश से स्पष्ट हो रहा है कि ग्राम पंचायतों के विकास पर राज्य सरकार या तो गंभीर नहीं है या फिर ठेकेदारों को फायदा पहुँचाने की मंशा के चलते ग्राम पंचायतों से गाँव के निर्माण कार्य नही कराना चाहती है बता दें कि त्रिस्तरीय पंचायती राज में ग्राम पंचायत सबसे छोटी एवं महत्वपूर्ण ईकाई है जहां ग्राम न्यायालय मे ग्राम पंचायतों में ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर सुधार तथा ग्रामीण मुलभुत आवश्यकता की पूर्ति करने से लेकर ग्राम पंचायत के मजदूरों को ग्राम पंचायत में मनरेगा के माध्यम से मजदूरी मूलक कार्य कराए जाते हैं तथा इस पंचवर्षीय में लगभग ढाई साल कोरोनाकाल के चलते ग्रामीण इलाकों में ग्रामीणों को कोरोनाकाल के बावजूद पँचायत प्रतिनिधियों ने अपनी जान की परवाह किए बिना मजदूरों को राशन मुहैया कराया साथ ही प्रवासी मजदूरों की देखभाल करते हुए मजदूरों को मनरेगा योजना में काम दिलाया जिसमे कई सरपंचो को कोरोना भी हुआ लेकिन गाव की जिम्मेदारी के चलते उन्होंने कोरोना वारियर्स के रूप में अपना पूरा फोकस करते हुए गाव को प्रतिदिन सेनेटाइज करवाया इस दौरान पँचायत प्रतिनिधियों को बहुत ही परेशानी का सामना करना पड़ा है बावजूद इसके राज्य सरकार के द्वारा ग्राम पंचायतों के विकास को ध्यान नहीं देना इस बात को प्रतीत कर रहा है कि बिल्डिंग ठेकेदारों को फायदा पहुँचाने के मकसद से स्कूलों में मरम्मत सहित निर्माण कार्य कराने हेतु आदेश निकाला गया है ग्राम पंचायत टेकापारकला सरपंच राजेश सिंह बाबा, ग्राम पंचायत पाण्डादाह सरपंच प्रतिनिधि संजय यदु, ग्राम पंचायत जालबांधा युवा सरपंच दीनदयाल उर्फ दीनू सिन्हा,ग्राम पंचायत सिंगारघाट सरपंच प्रतिनिधि बैतल साहू, ग्राम पंचायत अवेली सरपंच प्रतिनिधि डोरेलाल साहू सहित अन्य सरपंचो ने बताया कि राज्य सरकार के द्वारा पचास लाख रुपये तक के निर्माण कार्य को ग्राम पंचायतों के माध्यम से आदेश जारी किए गए हैं बावजूद इसके वर्तमान में स्कूलों में ग्राम पंचायतों से काम नही कराने का आदेश से स्पष्ट होता है कि ठेकेदारों को फायदा पहुँचाने के मकसद से ग्राम पंचायतों को अलग किया गया है साथ ही कांग्रेस नेताओं के द्वारा इस महत्वपूर्ण मामले में अभी तक कोई भी पहल नहीं किया जा रहा है गौरतलब है कि इसी साल विधानसभा चुनाव होना है तथा ग्राम पंचायतों के प्रति दोहरा चेहरा सामने रखने से कांग्रेस को तगड़ा झटका लग सकता है लेकिन यदि राज्य सरकार ग्राम पंचायतों के हित को देखते हुए ग्राम पंचायत चुनाव को महज दो साल बढ़ा देती है और ग्राम पंचायतों के अंदर सभी कार्यो को ग्राम पंचायतों के माध्यम से करवाने का पुनः आदेश जारी कर दिए जाते हैं तो राज्य सरकार को आगामी विधानसभा चुनाव में काफी फायदा देखने को मिल सकता है।अब देखना होगा कि शासन स्तर से ग्राम पंचायतों के पीड़ा को ध्यान में रखकर कोई ठोस पहल किया जाता है या फिर ग्राम पंचायतों को पुराने ढर्रे पर छोड़ दिया जाता है।

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *