
विधायक अमितेश बोले समय पर कार्यवाही नही हुई तो मामला सदन तक ले जाऊंगा ।

गरियाबंद(गंगा प्रकाश)।:-जिला गरियाबंद पर्वतों (गिरी) से घिरे होने की वजह से इस क्षेत्र का नाम गरियाबंद हुआ।जिला गरियाबंद बहुमूल्य अलेक्जेंडर और हीरे जैसे खनिज के लिए भी जाना जाता है। देवभोग गरियाबंद जिले में आता है।लोक मान्यताओ के अनुसार, पूर्व में इस क्षेत्र का चावल भगवान जगन्नाथ के भोग के लिए भेजा जाता था।इसलिये इस क्षेत्र के चावल का नाम देवभोग हो गया।महानदी, पैरी और सोंढूर के संगम पर स्थित प्रसिद्ध राजिम तिर्थ इस जिले में स्थित है। जहाँ नलनाग वंशी शासक विलासतुंग ने 712 ई. में राजीव लोचन मंदिर का निर्माण कराया था। यह मंदिर पंचायतन शैली में बना है। पर्वत द्वारक वंश के शासक सोमन्नाराज ने अपनी माता कौतुम्भेशवरी के स्वास्थ्य हेतु देभोक (देवभोग) को दान किया था। जिसका उल्लेख तुष्टिकर के तेरासिंघा ताम्रपत्र में है।देवभोग जैसी पावन धरा को अब भ्रष्ट्रासुरों और कमीशन खोरो ने इस धरा को अपनी चारागाह बना कर कलंकित करने में कोई कोरकसर नही छोड़ी हैं।जंहा जनपद अध्यक्ष नेहा सिंघल और जनपद सीईओ मंडावी ने मिली भगत कर नेहा सिंघल के पति देव को करोड़ो रूपये का भोग चढ़ाया गया हैं। बताना लाजमी होगा कि कांग्रेस समर्थित देवभोग जनपद उपाध्यक्ष द्वारा देवभोग जनपद में हुए गड़बड़ी की शिकायत 7 बिंदुओं में की गई थी जिसमे जांच दल द्वारा 25 फरवरी से पहले ही जांच रिपोर्ट कलेक्टर को सौप दिया गया था,जांच रिपोर्ट में 1 करोड़ 56 लाख की गड़बड़ी की पुष्टि हुई थी।सीईओ समेत अन्य 4 कर्मियों के खिलाफ वसूली की अनुशंसा दल ने किया है,इसके अलावा रिपोर्ट में जनपद अध्यक्ष नेहा सिंघल पर पद के प्रभाव से पति के फर्म को अनुचित लाभ पहुंचाने का जिक्र किया गया है।यह भी लिखा गया है कि अध्यक्ष द्वारा पंचायती राज अधिनियम की धारा 40 का उल्लंघन किया जाना पाया गया है।इस रिपोर्ट के बाद आगे की कार्यवाही अब तक नही बढ़ पाई है।बताया जा रहा है कि जांच में प्रभावित हो रहे लोग पहले तो भाजपा के नेताओ के पास अपने पाक साफ होने की दलील दे कर कार्यवाही को प्रभावित करने की कोशिस किया, नाकाम होते देख फिर कांग्रेस नेताओं से सम्पर्क साध जांच को प्रभावित करने की कोशिस शुरू कर दिया है।यह सब जिले के एक मात्र कांग्रेस विधायक अमितेष शुक्ल के द्वारा गरियाबंद कलेक्टर श्री मलिक को पत्र जारी कर जल्द कार्यवाही करने के निर्देश देने का बाद हो रहा है।बता दे कि अमितेष शुक्ल जिले में सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं,जो हर मंच पर करप्शन के खिलाफ खुल कर बोलते रहे हैं।योजनाओ में भारी गड़बड़ी करने वाले पूर्व कृषि उपसंचालक को निलम्बित करवा कर अपनी मंशा भी साफ कर दिए थे।शुक्ल ने देवभोग जनपद में उजागर मामले में दोषियों पर कार्यवाही चाहते है।पत्र में उन्होंने दो टूक लिखा है कि मामला ध्यानाकर्षण में लगाने की मांग हो रही है,व्यक्तिगत रूचि लेकर कार्यवाही करने का निर्देष दिया है।हालांकि मामले में कलेक्टर प्रभात मलिक ने विधिवत कार्यवाही करने का भरोसा दिलाया है।उपाध्यक्ष सुखचन्द बेसरा के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव ध्वस्त हो गया,इस घटनाक्रम के बाद 4 मार्च को जनपद समिति की बैठक आहूत की गई थी,बेसरा ने इसी बैठक में घपले के 17 पन्नो के जांच रिपोर्ट को जनपद सदन में पढ़ कर सुनाया था, उसने बताया था कि 1 करोड़ 56 लाख की गड़बड़ी करने जनपद विकास निधि,स्टाम्प शुल्क,शिक्षा मद,सांसद मद के अलावा विवेकानंद योजना में 93 बार गड़बड़ियां की गई और जवाबदार शांत बैठे रहे।नाम लिए बगैर ही जनपद अध्यक्ष पर निशाना साधते हुए मिलीभगत का भी आरोप लगाया।
बाबु बनाने जनपद मद से ली गई रिश्वत

श्री बेसरा ने जांच प्रतिवेदन में उल्लेख स्टाम्प शुल्क मद से दो अस्थाई कर्मचारियों को किये गए 3 लाख 42 हजार के भुगतान पर सवाल उठाया हैं।इस भुगतान को जांच दल ने नियम विरुद्ध तो बताया ही है,पर इन कर्मियों ने प्राप्त सारे राशि को सीईओ व लिपिक के हांथो देना स्वीकार किया है।आहरण के बाद पैसे दिए जाने की वजह को नियुक्ती के बदले ली जाने वाले रिश्वत बताया।बताना जरूरी है कि इनमें से एक लिपिक जब ऑपरेटर था तब इसने एक आवास हितग्राही की रकम अपने परिवार के सदस्य के नाम ट्रांसफर कर लिया,मामले में बड़ी कार्यवाही के बजाए उसे घपलेबाजों ने नियम कायदों को ताक में रखकर लिपिक बना दिया।आज इस लिपिक के पास जनपद के कई महत्वपूर्ण विभाग है।

वाहन किराए में रखने निविदा नियम का पालन नही
जांच रिपोर्ट के मुताबिक मनरेगा निर्माण कार्य के निरीक्षण के लिए जिस स्कॉर्पियो क्रमांक सीजी 23 के 9990 को 34500 रुपये मासिक किराए पर लिया गया वह जनपद अध्यक्ष के दुकान में कार्यरत कर्मचारी का है।मनरेगा साखा के अलावा जनपद में भी उपयोग बता कर भुगतान बताया गया,रिपोर्ट के मुताबिक वाहन लगाने निर्धारित निविदा नियम का पालन नहीं किया गया है।

एक ही दिन में 6 लाख का सेनेटाइजर
कोरोना काल मे प्रत्येक पँचायत लगभग 1 लाख रुपये सेनेटाइजर पर खर्च किया,स्वास्थ्य विभाग ने भी इसी सामग्री के लिए लाखों फूंका,बावजूद जनपद मद से 32लाख 47 हजार के सेनेटाइजर इलेक्ट्रॉनिक व स्टेशनरी दुकान से क्रय करना बताया गया है।कोविड के आड़ में 60 लाख से ज्यादा फूंका गया जिसे जांच दल ने अनियमितता माना है।

किससे कितना वसूली
जांच दल के रिपोर्ट के मूताबिक जनपद में 3 साल में 1 करोड़ 5654152 रुपये की अनियमितता बताया है।जिसमें 1 करोड़ 47 लाख 87626 रुपये सीईओ एम एल मंडावी से वसूली योग्य बताया गया है।चूंकि आहरण वितरण की सम्पूर्ण जवाबदारी सीईओ की होती है,ऐसे में बन्दरबांट में कई लोगो ने मजा मारा पर जवाबदार होने के नाते इसका हरजाना सीईओ को भरना पड़ा।
जब देवभोग जनपद सीईओ बन गया था भाजपा नेत्री का कमीशन एजेंट?
आपको बताते चले कि सीईओ का मतलब क्या होता है। सीईओ का पूरा नाम यानि चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर है।सीईओ को हिंदी में मुख्य कार्यकारी अधिकारी कहते है।(जिन्हें जनपद पंचायतों में मुख्य कार्यपालन अधिकारी कहा जाता हैं)सीईओ एक कंपनी या ऑर्गनिजशन का मुख्य अधिकारी होता है यानि कंपनी या एक ऑर्गनिजशन में होने वाले प्रत्येक काम की जिम्मेदारी सीईओ की होती है।एक कंपनी या ऑर्गनिजशनको किस दिशा में लेकर जाना इसका कार्यभार भी चीफ एग्जेक्युटिव ऑफिसर का ही होता है जैसे कौन सा बाजार कंपनी के लिये ये फायदेमंद है या किस कंपनी के साथ साझेदारी करना लाभ देगा।एक कंपनी में किसी भी बड़े प्रोजेक्ट के लिए एक टीम बनाना भी सीईओ का ही काम होता है।हालाकि अगर सरल शब्दों में कहा जाये तो एक कंपनी को किस तरह से चलाना है इसका पूरा काम सीईओ का ही होता है।सीईओ को मुख्य अधिकारी या मैनेजिंग डारेक्टर के नाम से भी जाना जाता है।सीईओ एक निगम की नीतियों और दृष्टि को स्थापित करने के लिए अन्य शीर्ष अधिकारियों के साथ काम करते हैं।सीईओ को एक निगम का प्रमुख माना जाता है और कंपनी के लिए दिशा प्रदान करने और यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं।एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एक कंपनी में सर्वोच्च रैंकिंग कार्यकारी होता है,और उनकी प्राथमिक जिम्मेदारियों में प्रमुख कॉर्पोरेट निर्णय लेना,एक कंपनी के समग्र संचालन और संसाधनों का प्रबंधन करना और निदेशक मंडल के बीच संचार के मुख्य बिंदु के रूप में कार्य करना शामिल होता हैं एक सीईओ को अक्सर बोर्ड पर एक स्थिति होती है।इसी प्रकार देवभोग के तत्कालीन जनपद का सीईओ श्री मंडावी ने मर्यादाओं की सभी सीमा लांघकर जनपद पंचायत को प्राइवेट लिमिटेड बनाकर शासन और जनता के लिए कार्य न कर सिर्फ भाजपा नेत्री और जनपद अध्यक्ष नेहा सिंघल का कमीशन एजेंट बनकर कार्य करते रहे।बताना लाजमी होगा कि गरियाबंद जिला अन्तर्गत की जनपद पंचायत देवभोग में विगत चार वर्षों से पदस्थ रहें तत्कालीन सीईओ मनहर लाल मंडावी इन दिनों सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965-नियम 3 की धज्जियां धज्जियां उड़ाई हैं साथ ही लोक सेवक की मर्यादा को कलंकित करते हुए नेहा सिंघल के पति के चंद टुकड़ो की लालच में देवभोग जनपद पंचायत को जनपद अध्यक्ष(भाजपा नेत्री नेहा सिंघल) की प्राइवेट लिमिटेड बना दियाया।जो कि शासन और जनता का सेवक नही बल्कि जनपद अध्यक्ष नेहा सिंघल व उनके पति का कमीशन एजेंट बनकर सचिवों द्वारा नियम विरुद्ध नेहा सिंघल के पति की फर्म तिरुपति बाला जी एजेंसी से खरीदे गए नियम विरुद्ध सोलर लाइट के भुगतान के लिए सचिवों दवाब भी बनाते रहा हैं।नाम ना छापने की शर्तों पर जनपद पंचायत देवभोग क्षेत्र अंतर्गत के सचिवों ने बताया कि जब तत्कालीन जिला सीईओ विनय कुमार लहंगे द्वारा नियम विरुद्ध खरीदे गए सोलर लाइट की बसूली का आदेश जारी हुआ था तब से मनहर लाल मंडावी द्वारा सचिवों पर नेहा सिंघल के पति को राशि भुगतान करने दबाव बनाया गया कि सोलर लाइट की जगह मटेरियल के बिल दर्शाकर राशि आहरण कर दीपक सिंघल को राशि भुगतान किया जाए।इतना ही नही वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर के दौरान नेहा सिंघल व उनके पति द्वारा देवभोग जनपद क्षेत्र की 38 ग्राम पंचायतों को प्रति पंचायत 15 हजार रूपए का सेनेटाइजर खरीदने के लिए जबरन मजबूर भी किया गया था जबकि सचिवों द्वारा किसी तरह की सेनेटाइजर की मांग नही की गई थी इतना ही नही नेहा सिंघल द्वारा इस कार्य को अंजाम देने के लिए मैनपुर जनपद क्षेत्र का एक सचिव के माध्यम से विकास खंड मैनपुर की दर्जनों ग्राम पंचायतों सहित देवभोग जनपद क्षेत्र की 38 ग्राम पंचायतों में सेनेटाइजर की जबरन सप्लाई की गई थी जिसकी राशि का भुगतान सचिवो द्वारा नही किए जाने पर तत्कालीन सीईओ मनहर लाल मंडावी द्वारा नेहा सिंघल के पति को भुगतान करने सचिवों पर दवाब बनाया जो कि पूरी तरह जनपद अध्यक्ष नेहा सिंघल (भाजपा नेत्री) का कमीशन एजेंड बनकर कार्य करते रहा हैं।इतना ही नही जनपद अध्यक्ष नेहा सिंघल के पति दीपक सिंघल दिन में कई मर्तवा जनपद पंचायत देवभोग के चक्कर लगाते रहते थे जैसे कि शासकीय कार्यालय जनपद पंचायत देवभोग एक प्राइवेट लेंड हो जिसे अपने सरदार को सीईओ द्वारा काफी आवभगत भी की जाती रही हैं।
चुनावी खर्च की भरपाई करने सोलर लाइट लगाने भृष्ट सरपंचों व सचिवों को दिया गया था लालच
जनपद अध्यक्ष नेहा सिंघल द्वारा अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने पति दीपक सिंघल को लाभ दिलाने व पति को करोड़ पति बनाने का लक्ष्य पूरा करने नेहा सिंघल द्वारा अपने पति की फर्म सहित बिना क्रेडा से अधिकृत सोलर लाइट विक्रेताओं का एक गिरोह तैयार कर शासन द्वारा 14वें एवम 15 वें वित्त की राशि का बंदरबाट कर अपने चुनावी खर्च की भरपाई करने पंचायतों में नियम विरुद्ध सोलर लाइट लगवाने हेतु भृष्ट सरपंचों व सचिवों को लालच देकर मार्केट में 5 से 6 हजार रुपए में मिलने बाले सोलर लाइट को नियम विरुद्ध अपने पति की फर्म तिरुपति बाला जी एजेंसी देवभोग सहित अन्य अपने सहयोगी विक्रेताओं से दर्जनों ग्राम पंचायतों में खरीदी करवा दी थी। जिसमें विनय कुमार लहंगे तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ द्वारा कार्यालय जिला पंचायत पंचायत गरियाबंद के पत्र क्रमांक/3550 पंचा/शिकायत / 2020-21 दिनांक 02/12/20 को तत्कालीन सीईओ श्री लहंगे द्वारा अनुविभागीय अधिकारी (स.) देवभोग को पत्र जारी करते हुए नियम विरुद्ध सरपंच व सचिवों द्वारा ग्राम पंचायत में स्थापित सोलर लाईट हेतु व्यय की गई राशि बसूली के संबंध पत्र प्रेषित करते हुए यहां उल्लेख किया था कि जनपद पंचायत देवभोग अंतर्गत ग्राम पंचायतों में नियम विरुद्ध सोलर लाईट स्थापित करते हुए 14 में वित्त मद की राशि से अनियमित भुगतान करने संबंधी प्राप्त शिकायत की जांच हेतु गठित जिला स्तरीय तीन सदस्यीय जांच समिति द्वारा जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया है। 16 ग्राम पंचायतों द्वारा नियमों को दरकिनार करते हुए 14 में वित्त योजना से कुल राशि 61,39,750/- अनियमित भुगतान किया गया है। ग्राम पंचायतों द्वारा सोलर लाईट स्थापना उक्त निर्देशानुसार क्रेडा के माध्यम से कराया जाना था, किंतु निर्देशों की अवहेलना करते हुए स्वयं अपने स्तर पर किया गया है,जा कि उचित नहीं है।
जिसमे अभी तक बसूली की फाइल जिला कलेक्टर कार्यालय गरियाबंद में धूल चाट रही हैं।जिसमे 16 ग्राम पंचायतों में भी नियम विरुद्ध 14वें वित्त योजना की राशि से सोलर लाइट लगाकर भुगतान भी कर दिया था।लेकिन 20ग्राम पंचायतों में नेहा सिंघल व उनके सहयोगियों के भी सोलर लाइट के बिल लगाए गए थे।जिसकी कुल राशि चौविस लाख उन्नयासी हजार पांच सौ रुपए अभी बकाया था चूंकि जब तत्कालीन जिला सीईओ द्वारा 16 ग्राम पंचायतों से बसूली हेतु आदेश जारी कर दिया गया तब सचिवों द्वारा बची हुई 20 ग्राम पंचायतों ने भुगतान नही किया था जिससे नेहा सिंघल अपने पैसे के लिए कलेक्टर गरियाबंद कार्यालय के चक्कर लगा रही हैं।हमारे सूत्र बताते हैं की नेहा सिंघल कलेक्टर कार्यालय में भुगतान करवाने और 16 ग्राम पंचायतों से बसूली नही करवाने अधिकारीयों के समक्ष रोती और गिड़गिड़ाती भी थी और रायपुर में बैठे भाजपा के बड़े नेताओं का नाम कि धौंस भी दिखाती थी।लेकिन गरियाबंद जिला के एक स्वतंत्र पत्रकार द्वारा 16 ग्राम पंचायतों से राशि की बसुली हेतु हाई कोर्ट बिलासपुर में जनहित याचिका दायर की गई थी उसके बाद 16 ग्राम पंचायतों द्वारा नियम विरुद्ध खरीदी किए गए सोलर लाइट की कुल 64 लाख रुपये से अधिक की राशि वसूली की कार्यवाही अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व)देवभोग द्वारा की गई।
नियमानुसार करना था सचिवों और सरपंचों को बर्खस्त
बताते चले कि पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 40 में पंचायत पदाधिकारियों को हटाए जाने तथा धारा 92 के तहत पंचायत के अभिलेख एवं वस्तुओं को वापस कराने तथा धन वसूल करने का अधिकार है।धारा 92 के तहत शासकीय राशि गबन करने या अतिरिक्त रकम निकालने पर वसूली की कार्रवाई होती है। इसके साथ ही पंचायत प्रतिनिधियों-पदाधिकारियों को पद से हटाए जाने की कार्रवाई धारा 40 के तहत की जाती है। धारा 40 की उपधारा 1 के तहत पद से हटाए जाने के बाद 6 साल तक इसे पंचायत प्रतिनिधि नहीं बनाया जा सकता है।वंही जनपद अध्यक्ष नेहा सिंघल द्वारा भी अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने पति को लाभ दिलाने सोलर लाइट की बिक्री कर शासन की राशि का गबन किया था जिन्हें भी पद से पद मुक्त करना था।वंही दूसरी ओर देवभोग जनपद पंचायत क्षेत्र की 16 ग्राम पंचायतों के भृष्ट सरपंचों एवम सचिवों द्वारा नियम विरुद्ध खरीदी किए गए सोलर लाइट में क्रय एवम भंडारण नियम का पालन नही किया गया था ना ही शासन द्वारा 14वें वित्त एवं 15 वें वित्त की राशि व्य करने संबंधी दिशानिर्देश का पालन नही किया गया था अपने निजी स्वार्थ को पूरा करने व कमीशन खाने के चक्कर मे भृष्ट सरपंचों व सचिवों ने ग्रामो के विकास के लिए दी जाने बाली शासन द्वारा अनुदान राशि की लूट मचाई हैं जिन्हें पद पर बने रहने का कोई अधिकार नही हैं जिन्हें तत्काल बर्खस्त करना चाहिए था किन्तु जिला गरियाबंद में सभी का अपना अपना कमीशन तय हो चुका हैं तो भला कार्यवाही कौन करेगा ?
जनपद अध्यक्ष नेहा सिंघल ने अपने पद का धौंस दिखाकर नियमों को दिखाती रही ठेंगा
दूसरी बार जनपद अध्यक्ष बनी नेहा सिंघल द्वारा जनपद क्षेत्र में अपने पद का धौंस दिखाकर किये गए कारनामे की लंबी फेहरिश्त है।हैरानी की बात तो यह है कि जीएसटी जैसे महत्वपूर्ण विभाग को इनके द्वारा ठेंगा दिखाया गया।पंचायतो में दबाव पूर्वक निर्माण कार्य की सामग्री सप्लाई करने तिरूपति एजेंसी बनाया गया,इसके प्रोप्राइटर नेहा के पति दीपक सिंघल है।बकायदा इस एजेंसी का पंजीयन जीएसटी में भी है।जिसका नम्बर 22AAKHD0542C1Z2 हैं।नियमानुसार इस एजेंसी को केवल निर्माण कार्य समाग्री सप्लाई की पात्रता है।पर सिंघल परिवार के इस एजेंसी ने 38 से भी ज्यादा पंचायतो में 150 रुपए प्रति लीटर की दर पर प्रति पंचायत 15 हजार रुपए के सेनेटाइजर की सप्लाई किया गया हैं।जिसकी कुल राशि पांच लाख सत्तर हजार रुपये हैं। जबकि इसके लिए केमिस्ट लाइसेंस जरूरी होता है,जो कि नेहा सिंघल के पति के पास नही हैं।जो कि बगैर मापदण्ड पूरे किए पंचायतो में पानी मिला सेनेटाइजर बेचा गया हैं।अपने एक खास सहयोगी के प्रभाव वाले 20 से भी ज्यादा पंचायतो में सोलर लाइट की भी सप्लाई इसी एजेंसी ने किया है।जबकि नेहा सिंघल के पति व उनके सहयोगियों की फर्म क्रेडा द्वारा अधिकृत भी नही हैं।अपने पति को करोड़ पति बनाने में कोई कोर कसर नही छोड़ने बाली जनपद अध्यक्ष नेहा सिंघल पैसा कमाने की चाह में पंचायती राज अधिनियम को तक पर रखकर नियम विरुद्ध दर्जनों पंचायतों में सोलर लाइट लगाने पंचायतो के सचिवों पर दबाव बनाकर पंचायतो ने 61 लाख 39 हजार सात सौ 50 रुपए से अधिक का नियम विरुद्ध भुगतान भी करबा लिया था।लंबित 30 लाख से अधिक की राशि के भुगतान के लिए इन्हें आये दिन जिले के दफ्तरों में चक्कर लगाते देखा जा सकता था।तो वंही दूसरी ओऱ इस कार्य मे तत्कालीन जनपद पंचायत सीईओ मनहर लाल मंडावी आए दिन नेहा सिंघल के पति को भुगतान करने सचिवों पर दवाब डालते रहे बताया जाता है कि जनपद कार्यालय में बगैर निविदा जारी किए एक।स्कॉर्पियो वाहन लगाकर कर मनमाना किराए का बिल भी वसूला है।जब इसकी जांच हेतु सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा आवेदन किया गया तब बाद में अपने ड्राइवर को गाड़ी बेच दी लेकिन बिलों का भुगतान उनके पति को ही होते रहा हैं और इस राज का पर्दा फास ना हो सके इसलिए उनके ड्राइवर ने बाकायदा जनपद पंचायत कार्यालय को शपथ पत्र के माध्यम से अवगत भी कराया था कि उक्त वाहन को मेरे द्वारा खरीद लिया गया हैं।जिससे पीछे पूरा दिमाग तत्कालीन जनपद पंचायत सीईओ मनहर लाल मंडावी का होता हैं। किंतु दीपक सिंघल को वाहन सौदा की पूरी रकम ना देने के कारण उक्त वाहन दीपक सिंघल के नाम ही हैं। नियम को ताक में रखकर जनपद के अलावा मनरेगा शाखा से भी जनपद अध्यक्ष के भ्रमण के नाम पर बिल आहरण किया गया है।
देवभोग जनपद में शासन का नही कोई भी नियम सभी नियम चलते हैं कमीशन पर
बताना लाजमी होगा कि छत्तीसगढ़ पंचायत एवं ग्रामीण विभाग मंत्रालय के पत्र क्रमांक 1079/क्र-2803/पंग्राविवि/22-1/2020दिनांक 10-03-2021 के माध्यम 15वें वित्त आयोग अन्तर्गत जिला पंचायत एवम जनपद पंचायत योजना निर्माण के संबंध में पत्र क्रमांक 15वें वित्त//1143/पं ग्राविवि/2020 दिनांक03-02-2021के माध्यम से छत्तीसगढ़ के समस्त कलेक्टर व जिला मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को गया था कि त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थानों भारत सरकार द्वारा प्राप्त अनुदान राशि वितरण का अनुपात ग्राम पंचायत एवं जनपद पंचायत व जिला पंचायत के माध्यम 75:15:10 बैंड के अनुरूप प्रावधानित हैं।जिसका उपयोग ग्राम पंचायत जनपद पंचायत जिला पंचायत द्वारा विकास योजना बनाकर किया जा सकता हैं। 15 वें वित्त की राशि व्य के संबंध जारी दिशानिर्देश की कंडिका 14 में स्पष्ट निर्देश है कि किसी एक विषय पर भारत सरकार द्वारा प्राप्त अनुदान राशि वितरण के अनुपात के आधार पर 25प्रतिशत राशि से अधिक राशि व्यय नही की जा सकेगी,साथ ही कंडिका क्रमांक 16 में स्पष्ट निर्देश हैं कि 15वें वित्त आयोग अनुदान अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2020-2021के लिये त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थानों को प्राप्त अनुदान राशि का 50प्रतिशत अनाबद्ध राशि हैं एवं शेष 50 प्रतिशत आबद्ध राशि हैं।पंचायती राज्य मंत्रालय भारत सरकार के निर्देशानुसार आबद्ध राशि का 50 प्रतिशत स्वच्छ्ता एवम 50 प्रतिशत पेयजल पर व्य किया जाना हैं यंहा पर यहां बताना लाजमी होगा कि शासन के नियमो की धज्जियां उड़ाते हुए खुलेआम 14वें और 15वे वित्त की राशि का भ्रष्ट्राचार किया गया हैं।
कमीशन खोरी में लुट गई देवभोग क्षेत्र की ग्राम पंचायतें
पंचायतों की झोली में पहुंची 14वें वित्त की धनराशि को गरियाबंद जिला अन्तर्गत विकास खंड देवभोग की ग्राम पंचायतें बिना कार्ययोजना में शामिल कार्यों में मनमाने ढंग से खर्च कर कर दिया गया हैं।जिसे जनपद अध्यक्ष नेहा सिंघल द्वारा भृष्ट सरपंचो व सचिवों को कमाई का लालच देकर करवाया जाते रहा हैं जिसे ग्राम पंचायतों में बिना किसी मानक को पूरा किए ही सोलर लाइट लगवाई गईं थी। हैरत इस बात की है कि इस खर्च पर अंकुश लगाने के बजाए जिला पंचायत विभाग हमेशा से मौन साधे रहा। मनमाने काम का नतीजा यह है कि सोलर लाइट की चमक में पंचायतों की झोली खाली हो चुकी है।और झोली सिर्फ जनपद अध्यक्ष नेहा सिंघल के पति व उनके गिरोह की झोली में भरी जा चुकी हैं इस कार्य मे नेहा सिंघल को तत्कालीन सीईओ मनहर लाल मंडावी सहित उनके पूरे सहपाठियों का भरपूर सहयोग भी उन्हें प्राप्त होता रहा हैं।