
सागर बत्रा
रायपुर (गंगा प्रकाश):- कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी,कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव,परमानन्द जैन, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह ने बताया कि सरकार की एफडीआई नीति के निरंतर घोर उल्लंघन और अमेज़न एवं फ्लिपकार्ट जैसी विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों की मनमानी के खिलाफ अपना कड़ा विरोध और आक्रोश दर्ज कराने के लिए,कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के झंडे तले व्यापारियों ने अमेजन एवं फ्लिपकार्ट के पुतलों दहन किया कैट के आह्वान पर देश के विभिन्न राज्यों के 300 से अधिक शहरों में व्यापारिक संगठनों ने इसी तरह के विरोध प्रदर्शन कर अमेज़न एवं फ्लिपकार्ट के पुतलों की होली जलाई कैट ने सरकार से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत ई-कॉमर्स नियमों को तुरंत लागू करने और एक ई-कॉमर्स नीति को तुरंत लागू करने की पुरजोर मांग की है तथा यह भी आग्रह किया है की सेबी और ट्राई की तर्ज पर ई-कॉमर्स व्यापार को रेगुलेट करने के लिए एक सशक्त नियामक प्राधिकरण का भी गठन किया जाए भारत में ई-कॉमर्स व्यवसाय को बेहद विषाक्त करने तथा उसके स्वरूप को विकृत करने के खिलाफ जमकर प्रदर्शन करते हुए रायपुर सहित प्रदेश के सभी जिलों के प्रमुख व्यापारिक संगठनों से जुड़े व्यापारियों ने बड़ी संख्या में एकत्रित होकर और हाथों में अमेज़न और फ्लिपकार्ट दोनों के पुतले लेकर नारेबाजी की एमेजॉन के जेफ बेजोस और वॉलमार्ट के डग मैकमिलन के चेहरे पुतलों पर चिपकाये गए थे जो व्यापारियों के जबरदस्त गुस्से का इजहार कर रहे थे जबरदस्त नारेबाजी के बीच कैट के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने दोनों पुतलों को मुखाग्नि देते हुए कहा की यह अन्य ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए भी एक चेतावनी है जो न केवल सामानों की आपूर्ति में बल्कि खाद्यान,ट्रेवल और पर्यटन, मनोरंजन,कैब सेवाएं,टिकटिंग,खाद्य पदार्थों की डिलीवरी,दवाओं की ऑनलाइन डिलीवरी शिक्षा एवं ऑनलाइन गेम सहित अन्य रिटेल क्षेत्रों में अपनी मनमानी करते हुए व्यापारियों के व्यापार को नुक्सान पहुंचा रही हैं कैट अन्य राष्ट्रीय स्तर के संगठनों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करेगा कि ऐसी ई-कॉमर्स कंपनियां या तो नियमों का पालन करें या अपनी व्यावसायिक गतिविधियों को भारत में बंद कर दें कैट के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी एवं प्रदेश जितेन्द्र दोशी ने सरकार से ई-कॉमर्स कंपनियों के व्यापार मॉड्यूल की जांच करने का जोरदार आग्रह किया क्योंकि हर कंपनी साल दर साल अपने व्यापार में भारी नुकसान दिखा रही है लेकिन उसके बावजूद भी देश में अपनी व्यावसायिक गतिविधियों को जारी रखे हुए है ऐसा प्रतीत होता है कि ये कंपनियां रॉयल्टी के रूप में भारी मात्रा में पैसा अपने मूल देशों में स्थानांतरित कर रही हैं और भारत में घाटा दिखाकर टैक्स देने से मुहं चुरा रही है पारवानी एवं दोशी ने कहा कि ई-कॉमर्स नीति एवं ई-कॉमर्स के नियमों को लागू करने का मामला लंबे समय से लंबित है जब अन्य सभी व्यवसायों के लिए नियम और कानून बनाए गए हैं तो ई-कॉमर्स के लिए नियम-कानून क्यों नहीं बनाए जा रहे हैं नियम-कानून के अभाव में ई-कॉमर्स कंपनियां देश के खुदरा व्यापार को काफी हद तक नुकसान पहुंचा रही हैं यदि तत्काल आवश्यक कदम नहीं उठाए गए,तो वह दिन दूर नहीं जब देश के खुदरा व्यापार का एक बड़ा हिस्सा विदेशी कंपनियों द्वारा नियंत्रित और कब्जा कर लिया जाएगा पारवानी और दोशी ने कहा कि ई-कॉमर्स की विकृत प्रकृति के कारण देश का खुदरा और थोक व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ है,खासकर मोबाइल और मोबाइल एक्सेसरीज, किराना,मसाले,एफएमसीजी उत्पाद, गिफ्ट आइटम, रेडीमेड गारमेंट्स,जूते चश्मा घड़ियां फार्मेसी,इलेक्ट्रॉनिक्स फर्नीचर होम फर्निशिंग खिलौने सब्जियां,सूखे मेवे,खाने का सामान,रसोई के उपकरण बिल्डर हार्डवेयर कार्यालय उपकरण, स्टेशनरी, कागज, बिजली के सामान आदि उन्होंने यह भी कहा कि अगर यही स्थिति बनी रही तो, तो ये कंपनियां अपनी मनमानी कर बाकी के सारे धंधे अपने हाथ में ले लेंगी। कैट ने सरकार से देश में करोड़ों लोगों की आजीविका से जुड़े इस गंभीर मुद्दे पर तत्काल संज्ञान लेने का आह्वान किया है।