
अरविन्द तिवारी
नई दिल्ली(गंगा प्रकाश) – लोक सेवकों को ‘बेहतर के लिये बदलाव’ की मानसिकता के साथ आगे बढ़ना चाहिये। प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को सत्यनिष्ठा , पारदर्शिता , प्रतिबद्धता और तत्परता के सिद्धांतों का पालन करते हुये ‘राष्ट्र प्रथम और जनता प्रथम’ की भावना के साथ काम करना चाहिये।
उक्त बातें महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में 124वें प्रारंभिक प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने वाले राज्य सिविल सेवा अधिकारियों से राष्ट्रपति भवन में मुलाकात के दौरान कहीं। अधिकारियों को संबोधित करते हुये राष्ट्रपति ने उन्हें पदोन्नति और भारतीय प्रशासनिक सेवाओं में सम्मिलित होने के लिये बधाई दी।उन्होंने अधिकारियों से कहा कि लगभग आप सभी ने राज्य सरकारों में विभिन्न पदों पर बीस से अधिक वर्षों तक सेवा की है और इन वर्षों में कई चुनौतियों का सामना किया होगा और कड़े फैसले भी लिये होंगे। कई मौकों पर यह देखा जाता है कि यथास्थिति बनाये रखने की प्रवृत्ति बरकरार रखी जाती है। ऐसी प्रवृत्ति या तो सामान्य जड़ता है या यह हमारे आसपास के बदलते परिदृश्य से उत्पन्न लोगों की उभरती समस्याओं के प्रति उदासीनता बरतना है। महामहिम राष्ट्रपति ने कहा लोक सेवकों को ‘बेहतर के लिये बदलाव’ की मानसिकता के साथ आगे बढ़ना चाहिये। देश को ऐसे लोक सेवकों की आवश्यकता है , जो नवाचारी , सक्रिय , विनम्र , पेशेवर , प्रगतिशील , ऊर्जावान , पारदर्शी , तकनीक-सक्षम और रचनात्मक हों। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि इन नेतृत्व शैलियों और मूल्यों को साकार करने वाले प्रशासनिक अधिकारियों को राष्ट्र और नागरिकों की सेवा करने के लिये बेहतर पदों पर तैनात किया जायेगा।