वन परिक्षेत्र चिरमिरी बना अवैद्य कारोबारों का गढ़…मिल रहा डीएफओ का संरक्षण बाईट या वर्ज़न देने से पत्रकारों को सीधे सीधे किया इन्कार… वन विभाग पर उठ रहे कई सवाल   

चिरमिरी (गंगा प्रकाश)। वन मंडल बैकुंठपुर अंतर्गत वन परिक्षेत्र चिरमिरी में इन दिनों अवैद्य कारोबारियों ने अपना शिकंजा कस लिया है, जिस पर वन परिक्षेत्र चिरमिरी के अधिकारी बाईट या वर्ज़न देने से भागते नज़र आ रहे हैं, जहां उनके द्वारा साफ साफ कह दिया गया कि वो बाईट दे़ने के अधिकृत ही नहीं हैं, रेत का अवैद्य उत्खनन पर अब तक किसी भी तरह की कोई कार्यवाही नहीं देखी गई है।

मैं बाईट दे़ने के अधिकृत नहीं, जाइए वन मंडलाधिकारी से लीजिए बाईट, वर्ज़न एवं जानकारी: वन परिक्षेत्र अधिकारी चिरमिरी…

मामला है वन परिक्षेत्र चिरमिरी के महुआरीडांड़ के जंगल की जहां जंगल से बहते नाला से रेत का अवैद्य उत्खनन बड़ी तेज़ी से चल रहा है, इसी जगह कई ट्रैक्टरों से बड़े स्तर पर रेता चोरी किया जा रहा है, वन परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले इस जगह कार्यवाही की उपेक्षा वन विभाग से ही की जानी स्वाभाविक है मगर अब तक वन विभाग इस पर किसी तरह का अंकुश नहीं लगा सका है, जिससे संबंधित जानकारी पत्रकारों द्वारा चिरमिरी के रेंजर को दी गई मगर चिरमिरी के रेंजर स्पष्ट रूप से बाईट या वर्ज़न देने से इंकार करते नज़र आए, साथ ही साथ उनके द्वारा पत्रकारों को यह भी कहा गया कि वन मंडलाधिकारी से बाईट या वर्ज़न लें, ऐसे गैर ज़िम्मेदार रेंजरों की नियुक्ति पर अब सवाल खड़े होना तो स्वाभाविक है, जो अपने कर्तव्यों का निर्वाहन ठीक से ना करने के बजाय अपने उच्च अधिकारियों पर अपने क्षेत्र की कमियों के संबंध में जवाबदेही के लिए ज़िम्मेदार समझते हैं, क्या ऐसे अधिकारी उच्च अधिकारियों की पनाह में इतने बेखौफ नज़र आते हैं या इनके सर पर किसी तरह के राजनैतिक संरक्षण है जिस वजह से इनके द्वारा इतनी लापरवाही की जाती है।

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