मछली मारने के लिए बहा दिया डेम का पूरा पानी, अभ्यारण्य के वन्य प्राणी प्यास से तड़प रहे। जंगली जानवरों के पीने व आपातकाल में सिंचाई के लिए संग्रहित था पानी, क्या होगी जिम्मेदार अधिकारी/कर्मचारियों पर करवाई??

जशपुर/बगीचा (गंगा प्रकाश)। वन विभाग के द्वारा जंगल में सैकड़ो तालाब, स्टॉप डेम , जंगली जानवरों को पानी पीने लिए बनाए गए हैं, जिनकी देखरेख का जिम्मा भी विभागीय कर्मचारियों का है। बादलखोल अभ्यारण के बीच लुम्भा लाता में भी स्टॉप डेम बना है। इस डेम के गेट को खोलकर लाखों लीटर पानी को असमाजिक तत्वों ने केवल मछली मारने के लिए बहा दिया। इस घटना की वन विभाग को भनक तक नहीं है।जबकि जंगल की सुरक्षा और गश्त के लिए बीट गार्ड्स की ड्यूटी लगाई जाती है।

जेठ के महीने में जहां एक तरफ शहरों में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है तथा ग्रामीण क्षेत्रों में लोग कोसों दूर से पानी लाने को मजबूर हैं। वहीं प्रदेश में भीषण गर्मी में आपातकाल हेतु डेमो में पानी का संग्रहण किया गया है, लेकिन उन पर प्रशासन का नियंत्रण नहीं है। इसी का नतीजा है कि आए दिन  डेमों में संग्रहित पानी बहाने का समाचार आ रहा है। अभी बस्तर के पंखाजूर में मोबाइल के लिए पानी बहाने का मामला शांत नहीं हुआ था कि अब जशपुर के बादलखोल अभ्यारण्य से यह खबर सामने आई है। लुम्भा लाता में जंगली जानवरों के पानी पीने के लिए  संग्रहित पानी को कुछ शरारती तत्वों के द्वारा मछली मारने के नाम पर डेम के गेट खोलकर पूरा पानी बहा दिया गया है। अब डेम में एक बूंद पानी भी शेष नहीं है। अभ्यारण्य के जीव पानी के लिए तरस रहे हैं। विदित हो कि यह क्षेत्र जंगली हांथियो का रहवास भी है। ऐसे में हाथियों के प्यास के चलते पानी की तलाश में गांवों की ओर आने की भी आशंका बढ़ गई है।

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