
छुरा (गंगा प्रकाश)। नगर के आदिवासी विकास परिषद भवन में महान स्वतंत्रता सेनानी जननायक बिरसा मुंडा के छाया चित्र पर पूजा अर्चना कर पुण्यतिथि मनाया गया कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आदिवासी समाज के प्रांतीय उपाध्यक्ष व वर्तमान जनपद सदस्य नीलकंठ ठाकुर ने कहां महानायक बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के आदिवासी दम्पति सुगना और करमी के घर हुआ था।भारतीय इतिहास में बिरसा मुंडा एक ऐसे नायक थे,जिन्होंने भारत के झारखंड में अपने क्रांतिकारी चिंतन से उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में आदिवासी समाज की दशा और दिशा बदलकर नवीन सामाजिक और राजनीतिक युग का सूत्रपात किया।बिरसा मुंडा ने साहस की स्याही से पुरुषार्थ के पृष्ठों पर शौर्य की शब्दावली रची।उन्होंने हिन्दू धर्म और ईसाई धर्म का बारीकी से अध्ययन किया तथा इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि आदिवासी समाज मिशनरियों से तो भ्रमित है ही हिन्दू धर्म को भी ठीक से न तो समझ पा रहा है न ग्रहण कर पा रहा है।बिरसा मुंडा ने महसूस किया कि आचरण के धरातल पर आदिवासी समाज अंधविश्वासों की आंधियों में तिनके-सा उड़ रहा है तथा आस्था के मामले में भटका हुआ है।उन्होंने यह भी अनुभव किया कि सामाजिक कुरीतियों के कोहरे ने आदिवासी समाज को ज्ञान के प्रकाश से वंचित कर दिया है।धर्म के बिंदु पर आदिवासी कभी मिशनरियों के प्रलोभन में आ जाते हैं, तो कभी ढकोसलों को ही ईश्वर मान लेते हैं।भारतीय जमींदारों और जागीरदारों तथा ब्रिटिश शासकों के शोषण की भट्टी में आदिवासी समाज झुलस रहा था।बिरसा मुंडा ने आदिवासियों को शोषण की नाटकीय यातना से मुक्ति दिलाने के लिए उन्हें तीन स्तरों पर संगठित करना आवश्यक समझा।
सामाजिक कार्यकर्ता पुनितराम ठाकुर ने कहा कि आदिवासियों के उत्थान के लिए आजीवन संघर्ष करने वाले महान क्रांतिकारी जननायक बिरसामुंडा ने देश की आजादी के लिए अपने सब कुछ न्यौछावर कर दिया।इस मौके पर कार्यक्रम में प्रमुख रूप से श्रीमती कुमारी बाई ध्रुव सरपंच करकरा,सर्व आदिवासी समाज के प्रांतीय उपाध्यक्ष व वर्तमान जनपद सदस्य नीलकंठ ठाकुर, आदिवासी समाज के तहसील अध्यक्ष व सरपंच कौशल सिंह ठाकुर,थानेश्वर कंवर जनपद सदस्य व सभापति,समाजसेवी शीतल ध्रुव,सामाजिक कार्यकर्ता पुनितराम ठाकुर,देवेश ठाकुर,सामाजिक कार्यकर्ता,रेखराम ध्रुव सामाजिक कार्यकर्ता,बृजलाल ध्रुव,कुशल ध्रुव,लव कुमार ठाकुर,अनिल ठाकुर,हरि एवं आदिवासी समाज के लोग उपस्थित थे।