
फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। अंचल में इन दिनों रबी फसल की खेतों में पड़ी पराली पैरों को जलाने की मानो होड़ लगी हुई है। शासन प्रशासन की लाख मनाही के बाद भी किसान खेतों में पैरा जलाना बंद नहीं कर रहे हैं। फिंगेश्वर के चारों तरफ जाते हुए सड़क पर धुआं ही धुआं नजर आता है। सड़क के दोनों तरफ खेत में पैरा जलता दिखता है। कई ऐसे है जहां पैरा जलाया जा चुका है। अब खेत काले नजर आ रहे हैं। अधिकारी भी उन्हें रोक पाने में नाकाम है इधर बाजार में पशु चारा में से एक पैरा (कटिया) ₹450 से ₹650 क्विंटल में बिक रहा है। गर्मी का मौसम होने से जहां आसपास के घरों में आग लगाने का खतरा है वही सबसे ज्यादा नुकसान पर्यावरण का हो रहा है। फिंगेश्वर ब्लॉक के बोरीद कौन्दकेरा बेलटुकड़ी गांवों में जायजा लिया तो खेतों में पराली जल रही थी। कृषि और राजस्व विभाग के अफसर भी समस्या को लेकर खुद को लाचार महसूस कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ की प्रदूषण निवारण मंडल ने खेती में पराली जलाने पर रोक लगा रखी है। खुद सीएम भूपेश बघेल सार्वजनिक तौर पर कई बार खेतों में पराली पैरा नहीं जलाने का आग्रह कर चुके हैं। लेकिन किसान नहीं मान रहे हैं। कृषि उपसंचालक ने कहा हम किसानों को जागरूक करने का प्रयास करते हैं लेकिन किसान पराली हटाने का खर्चा नहीं उठाना चाहते हैं। वे उसे वहीं पर जला देते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक 1 टन पराली जलाने से 5.5 किलो नाइट्रोजन 2.3 किलो 25 किलो पोटेशियम और 1 किलो अधिक सल्फर जैसे पोषक तत्वों की हानि होती है।