
छुरा/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। अंचल की रसोई पर महंगाई का इस प्रकार जबरदस्त तड़का लगा है। मानसून आने के पहले ही टमाटर के साथ दाल जीरा के दाम में भी उछाल देखने मिल रहा है। जिससे आम जनता का बजट बिगड़ गया है। ग्राम अंचल में खाद्य पदार्थों की कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है मसालों में जीरा एवं दालों में अरहर की दाल उड़द की दाल टमाटर की चाल चलने लगी है। इनके कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी होने के कारण लोगों के रसोई का बजट प्रभावित हो रहा है। लोग बढ़ती महंगाई से परेशान हैं कुछ लोगों ने बताया कि एक समय सब्जी और एक समय दाल बन रही है। जीरा इस समय ₹700 किलो पहुंच चुका है। दालों में सबसे अधिक महंगाई अरहर की दाल में आई है। जो कुछ दिन पहले ₹110 किलो थी। आज चिल्हर में ₹150 किलो बिक रही है इस साल मानसून के साथ महंगाई भी आई है। इन दिनों बाजार में तुवर दाल सहित अन्य दालों के भाव दिनोंदिन बढ़ते जा रहे हैं। क्योंकि इस बार दाल जो कि दूसरे प्रदेशों से आती है विदेशों से भी तुवर की दाल की फसल कमजोर हो जाने की वजह से तुवर दाल के भाव थोक के भाव 135 से 140 रूपए वहीं चिल्हर दुकानों में 150 रूपए और ग्रामीण क्षेत्र में ₹175 तक बिक रही है। सरकार के द्वारा नियंत्रण की वजह से दालों के मूल्य अभी नियंत्रण में है नहीं तो दालों के भाव और ज्यादा बढ़ जाते हैं। वहीं दूसरी ओर टमाटर के दाम से हाहाकार मच गया है। पहली बारिश के बाद टमाटर के भाव डबल हो गए हैं। कुछ ही दिन पहले टमाटर ₹50 किलो बिक रहे थे लेकिन पिछले एक-दो दिन में टमाटर के भाव ₹120 लेकर 140 रुपए किलो में बिक रहे हैं। अचानक बड़े टमाटर के भाव के बाद बाजार में बाकी सब्जियों के भाव भी बढ़ गए हैं। गोभी की कीमत 80 रुपया किलो हो गए हैं। आखिर यह महंगाई बढ़ गई और महंगाई से राहत कब मिलेगी सब्जी मंडी में टमाटर के दाम बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं। वही आस-पास के गांव में टमाटर के भाव और बढ़ गए है। शहर के छोटे बड़े बाजार में सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। टमाटर के साथ-साथ बिकने वाली सब्जियों के दाम भी बडने लगे हैं। शहर में प्रति किलो के हिसाब से भिंडी 40 रुपए, बैगन 50 रुपए, गोभी 80 रूपए, परवर 80 रुपए, में प्रति किलो में बिक रहे हैं। सब्जी व्यापारियों ने बताया कि बारिश में आमतौर पर महंगी हो जाती है। इस बार बारिश के शुरुआत में भी टमाटर महंगा हो गया है। संभावना बताई जा रही है सब्जियों के दामों में और भी बढ़ोतरी हो सकती है। लोगों को और भी मांगे दाम में टमाटर खरीदने पढ़ सकते हैं। बाड़ी के लोकल किसानों की फसल भी बाजार में आने लगेगी तो टमाटर के भाव और कम हो जाएंगे।