
हरिहर बहरा
नागपुर (गंगा प्रकाश)। जिला मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर एवं जिला कोरिया में जमीन विवादों के मामलों की खबर अब आम सी बात है गई है, जहां अपनी ऊंची पहुंच रखने एवं बताने वाले कुछ तथाकथित दलाल खुद को रजिस्टर्ड ब्रोकर के स्वरूप समझने लगे हैं, और तो और भू माफियाओं का हौंसला इस कदर बुलंदियों को चूमने लगा है कि कुछ गुप्त सुत्रों के द्वारा यह बताया गया कि ये ज़मीन दलाल अब समाज में अपनी धौंस जमाते हुए लोगों को जान से मारने की धमकी देते हुए बताए जा रहे हैं, जिसकी जानकारी एक नहीं दो नहीं ऐसे कई आम लोगों द्वारा दी जा रही है, कुछ गुप्त सुत्र ऐसे हैं जो कि सामने ना आने की शर्त पर जानकारी देते हुए यह बताते हैं कि नागपुर में निवासरत एक ऐसा ज़मीन दलाल जो कभी खुद को शासकीय कर्मचारी बता कर लोगों को भ्रमित करते हुए उनकी ज़मीन हड़पने का काम करता था, जिसके बाद लोगों के नज़र में वो कहीं ज़मीन दलाल तो कहीं भू माफिया बन कर उभर चुका है, जिसके संबंध की कड़ी में अवैद्य कारोबारी, चोर उचक्के, राजतंत्र से जुड़े नेता, शासन प्रशासन से संबंधित उच पदाधिकारी एवं कई ऐसे महत्वपूर्ण व्यक्ति, जहां समाज में हो रहे इस दुराचार पर किसी की नज़र तो पड़ नहीं रही मगर आने वाले त्योहारों में घर की तिजोरी भरने का सबने एक बढ़िया इंतेज़ाम ढूंढ लिया है, निजी स्वार्थ में विलीन ये सभी चेहरे मासुम आम जनमानस को एक मोहरा बना कर समाज को खोखला किया जा रहा है, ऐसा कहना वहीं के आम लोगों का है।
विशेष सुत्रों की मानें तो उक्त व्यक्ति की निजी संपत्ति मात्र कुछ वर्षों में इस कदर बढ़ चुकी जिसका अंदाजा भी लगा पाना नामुमकिन ही था, कहीं किसी आदिवासी की ज़मीन तो कहीं गरीब लोगों को चूना लगा कर ये ज़मीन दलाल अपनी तिजोरी भरने में मदमस्त हो चुका है, जिसे ना शासन प्रशासन का भय ना ही कोई डर, सुत्र बताते हैं कि उक्त व्यक्ति को राजनैतिक दल का भी संरक्षण प्राप्त है, जिसके एवज में ऐसे कई राजनैतिक दलों से ताल्लुकात रखने वाले नामी गिरामी चेहरे मोटे रकम की कमाई भी करते हैं, गुंडागर्दी से ले कर जान से मारने की धमकी तक देते हैं, शोषण होता है तो मात्र भोले भाले लोगों का, और लोगों को न्याय के बजाय मिलता है तो मात्र जान से मारने की धमकी, मजबूरन अंत में प्रताड़ित ग्रसित लोगों को अपनी ज़ुबान पर लगाम ही लगाना पड़ जाता है, इस पर शासन प्रशासन मौन आखिर क्यों है?
नागपुर क्षेत्र में गुप्त सुत्रों के जानकारी के अनुसार ज़मीन हड़पने के मामलों में दिन ब दिन बढ़ोतरी की ही खबरें आ रही हैं और उच्च पदों पर विराजमान उच्च पदाधिकारियों को इसकी जानकारी है भी या नहीं, यह अब एक जांच का विषय है क्योंकि फर्जी तरीके से दस्तावेजों को बना कर इसकी टोपी उसके सर जैसा ज़मीन खरीदी का मामला यूं तो कोई आम बात नहीं मगर बात कुछ ऐसी ही है कि आखिर आज तक शासन प्रशासन ऐसे जमीन दलालों पर कार्यवाही करने से चूके क्यों या फिर बात कुछ ऐसी तो नहीं कि ऐसे अवैध कारोबारियों के सर पर उच्च अधिकारियों का भी हाथ है?