
नई दिल्ली (गंगा प्रकाश):- भारत में टमाटर की आसमान छूती क़ीमतों के बीच उत्तर प्रदेश से सटी भारत-नेपाल सीमा पर इसकी तस्करी तेज़ हो गई है.
भारत में टमाटर की क़ीमतें ग्रामीण क्षेत्रों में 150 रुपए और शहरी क्षेत्रों में 200 रुपए किलो तक पहुंच गई हैं.इसने आम लोगों की जेब पर बोझ बढ़ा लेकिन तस्करों को कमाई का एक अवसर मिल गया है.हाल ही में सीमा शुल्क विभाग ने टमाटर से भरे दो पिकअप ट्रक ज़ब्त किए जिनमें क़रीब 3,060 किलोग्राम टमाटर थे.मिडिया को बताया कि नेपाल से बिमला चौधरी ने बताया कि वहां के सब्जी व्यापारियों का कहना है कि नेपाल से भारी मात्रा में टमाटर भारत भेजा जा रहा है.व्यापारियों का कहना है कि नेपालगंज की सब्जी मंडी में टमाटर की कीमत फ़िलहाल 60 रुपये प्रति किलो है, जबकि भारत में यह 200 रुपये प्रति किलो है.
एक व्यापारी मोहम्मद सलीम राय ने कहा कि सल्यान के कपूरकोट से ट्रकों में लादे गए टमाटरों में से साठ प्रतिशत की खपत नेपालगंज में होती है और चालीस प्रतिशत भारत में निर्यात किया जाता है.उन्होंने कहा कि करीब एक महीने से नेपाल के टमाटर भारत भेजे जा रहे हैं.नेपालगंज के रानी तलाऊ स्थित सब्जी मंडी प्रबंधन समिति के अध्यक्ष मोतीसरा थापा ने बताया कि नेपालगंज से प्रतिदिन 15 से 20 टन टमाटर भारत भेजा जाता था लेकिन अब नेपालगंज सीमा शुल्क कार्यालय ने इसे भेजना मुश्किल कर दिया है.नेपाल की मंडी में कारोबार करने वाले मोहम्मद सलीम राय का कहना है कि बड़े पैमाने पर टमाटर भारत भेजा जा रहा है.
महराजगंज और गोरखपुर बना रास्ता
उत्तर प्रदेश के महाराजगंज के स्थानीय पत्रकार आशीष सोनी के अनुसार, भारत नेपाल सीमा पर जून महीने से ही टमाटर की तस्करी जारी है.आशीष सोनी के मुताबिक़, सीमा पर टमाटर की तस्करी करने वाले एक युवक ने बताया कि ‘नेपाल में टमाटर का भाव प्रति किलो 40 से 60 नेपाली रुपये है भारतीय मुद्रा में जिसकी क़ीमत 24 से 38 भारतीय रुपये होती है.’उस युवक ने बताया, “यह टमाटर नेपाल के ज़िले रूपनदेही, कपूर कोट और लुम्बिनी के अरगाखाची की मंडियों से खरीद कर भारत मे भेजा जा रहा है. भारत में महराजगंज और गोरखपुर की मंडियों में इसे 70 से 80 रुपए प्रतिकिलो बेच दिया जाता है.”
लेकिन क्या नेपाल के रास्ते चीन का टमाटर भी भारत पहुंच रहा है, इस पर नेपाल के मंडी व्यापारी व सीमा पर आर-पार का काम कर रहे लोगों ने बताया कि ‘भारत में पहुंचने वाला टमाटर नेपाल के बुटवल मंडी और किसानों के खेतों से होकर जा रहा है.’
कई स्थानीय पत्रकारों ने बताया कि नेपाल में टमाटर की खेती बड़े पैमाने पर होती है और अभी जो दोनों देशों के बीच टमाटर की तस्करी हो रही है उसकी वजह सिर्फ भारत के बाजारों में टमाटर की भाव में आई तेजी है.
उन्होंने ये भी कहा कि अभी सिर्फ टमाटर ही नहीं बल्कि गोभी और खीरे की भी तस्करी की जा रही है.
सोनौली चेकपोस्ट से तस्करी?
उत्तर प्रदेश का जिला महराजगंज भारत नेपाल सीमा से सटा हुआ है. यहां भारत-नेपाल की सीमा करीब 84 किलोमीटर खुली हुई है.महराजगंज नेपाल के दक्षिण और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के क्षेत्र गोरखपुर के उत्तर दिशा में स्थित है.
यहाँ दोनों देशों के बीच दो मुख्य बार्डर चेक पोस्ट हैं, जिसमें सबसे चर्चित सोनौली सीमा है और दूसरा ठूठीबारी.बार्डर पर सशस्त्र सीमा बल के जवानों का कैम्प, कस्टम, यूपी पुलिस का थाना व चौकियां सुरक्षा व्यवस्था और बार्डर से आयात निर्यात पर नजर रखती हैं.ये दावा किया जाता है कि खुली सीमा होने के कारण यहाँ तस्करी आम बात है. तस्कर दोनों देशों के बाज़ार पर नज़र बनाए रखते हैं और जिस भी समान क़ीमतों में दोनों देशों के बीच अंतर होता है उसकी तस्करी शुरू कर देते हैं.सीमा से सटे गांवों में रहने वाले व्यापारी, बेरोज़गार और ग्रामीण आम तौर पर इस तरह की गतिविधियों में शामिल होते हैं.दावा ये भी किया जाता है कि स्थानीय लोगों को सीमा की हरेक पगडंडी की जानकारी होती है और यह बड़ी आसानी से सामान लाने ले जाने में सफल रहते हैं.नेपाल की मंडियों में टमाटर सस्ता है, दूसरे भारतीय रुपये के मुकाबले नेपाली मुद्रा सस्ती होने का कारण दामों में बहुत फर्क आ जाता है.नेपाल की मंडियों में टमाटर सस्ता है, दूसरे भारतीय रुपये के मुकाबले नेपाली मुद्रा सस्ती होने का कारण दामों में बहुत फर्क आ जाता है.
कनाडियन मटर, चाइनीज सेब, चीनी, यूरिया की तस्करी
साल भर पहले कनाडियन मटर चर्चा में थी क्योंकि इसकी तस्करी बहुत बड़े पैमाने पर हो रही थी.
पुलिस का दावा है कि इस मटर कारोबार में ज़्यादातर सीमा से सटे युवा शामिल थे.कनाडियन मटर की खेप कनाडा से पहले नेपाल और फिर भारत में लाई जाती थी.तड़के सुबह और अंधेरे में सीमा पर गाड़ियां तैयार रहती थीं और जैसे ही इन्हें मौका मिलता था, वो सीमा पार कराकर बाज़ार के गोदामों में जमा कर देते थे.ये मटर नेपाल से निकालकर देश के कोने कोने में बेची जाती थी. कई बार सीमा पर सख्ती और जवानों की पेट्रोलिंग तेज होती थी तब यह तस्कर स्थानीय लोगों का इस्तेमाल करते थे.वे नेपाल के बाग बगीचों में मटर को छुपा कर रखते और मौका मिलते ही साइकिल और बाइक से बोरी में भरी मटर सीमा पार करा देते थे.हाल ही में इसी सीमा पर चाइनीज सेब की तस्करी जोरों पर थी.हालांकि प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि ये सेब चीन से थे या नहीं ये स्पष्ट नहीं है.
नेपाल से आने वाला सेब प्रति किलो 60 से 70 भारतीय रुपए में आता था और भारत की मंडियों में 100 से 120 रुपए प्रतिकिलो बेचा जाता था.कुछ इसी तरह चीनी और यूरिया की भी तस्करी समय समय पर बड़ी ही तेजी से होती रही है.इसके लिए लखीमपुर खीरी से सटे भारत और नेपाल का सीमाई इलाक़ा भी चर्चित रहा है.
क्या कहता है कस्टम कार्यालय?
नेपालगंज कस्टम कार्यालय के सूचना अधिकारी दिल्लू प्रसाद शर्मा ने बताया कि नेपाल से भारत टमाटर भेजे जाने की कोई जानकारी नहीं मिली है.उन्होंने कहा, “हमारे पास भारत से आने वाली सब्जियों का ब्योरा है लेकिन नेपाल से भेजी जाने वाली सब्जियों का कोई रिकॉर्ड नहीं है.”थापा के मुताबिक, “नेपाल में अधिक मात्रा में पैदा हुई सब्जियों को सीमा शुल्क से भेजे जाने की अनुमति नहीं है और हम नेपाली किसान मुसीबत में हैं.”
भारत-नेपाल सीमा पर आयात-निर्यात के नियम
कस्टम विभाग की कमिश्नर आरती सक्सेना का कहना है कि भारत-नेपाल सीमा पर आयात-निर्यात के निर्धारित पॉइंट बने हुए हैं, जहां से कोई भी आयातक बग़ैर एसएसआई सर्टिफिकेट के आयात नहीं कर सकता।लखनऊ का कस्टम यूनिट उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश राज्यों से लगी पूरी भारत-नेपाल सीमा की निगरानी करता है.लेकिन कस्टम विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी कुछ निर्धारित स्थानों पर ही है और वो सशस्त्र सीमा बल की तरह पूरे बॉर्डर पर नहीं मौजूद है।