स्वामी आत्मानंद कसडोल में आर एस चौहान के मुख्य आतिथ्य में  विश्व आदिवासी दिवस कार्यक्रम हर्षोल्लास से मनाए गए।

गोलू कैवर्त 

बलौदाबाजार (गंगा प्रकाश)। नगर पंचायत कसडोल में संचालित स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय में 5 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस कार्यक्रम  धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप  मुख्य अतिथि के रूप में ब्लॉक शिक्षा विभाग कसडोल से पूर्व सहायक विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी आर.एस.चौहान, कसडोल नगर पंचायत के पार्षद , व शाला प्रबन्धन समिति से उपाध्यक्ष खिलावन डहरिया, और कसडोल व्यवहार न्यायालय से अधिवक्ता देवचरण पटेल और नगर पंचायत से अन्य अथितिगण  प्रमुख रूप से उपस्थित थे। 

कार्यक्रम की शुभारंभ में

छत्तीसगढ़ महतारी की पूजन और राज्य गीत के माध्यम से किया गया। इस अवसर पर विद्यालय के समस्त छात्र छात्राओं के द्वारा विभिन्न प्रकार की झाकियां प्रस्तुत की गई। जिसमे कक्षा 1 से 5वी तक छात्रों द्वारा आदिवासी की वेशभूषा में तरह तरह के मुखौटे का प्रदर्शन और आदिवासी लोगो के द्वारा उपयोग किए जाने वाले प्रमुख औजारों का प्रदर्शन भी किया गया। इसी तरह से कक्षा 6 वी से 12वी तक के समस्त छात्र छात्राओं के द्वारा हाउस ग्रुप के अनुसार विभिन्न प्रकार की सांस्कृतिक गीतों पर बहुत ही सुन्दर ग्रुप डांस की प्रस्तुति की गई।

मुख्य अतिथि  सेवानिवृत्त पूर्व  सहायक विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी कसडोल आर. एस. चौहान ने कार्यक्रम में समस्त छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए आदिवासी कल्चर के बारे में ढेर सारी बातें बताया और सभी छात्र छात्राओं को शुभकामनाएं भी दिया साथ ही विशेष अतिथि खिलावन डहरिया एवम अधिवक्ता देवचरण पटेल ने भी आदिवासी कल्चर पर सन्देश दिए। आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य  संतोष कुमार वर्मा ने भी सभी छात्र छात्राओं को ढेर सारी शुभकामनाएं दीं और आदिवासी सस्कृति के बारे में बहुत सारी जानकारी देते हुए बताया कि विश्व आदिवासी दिवस क्यों मनाया जाता है । ये हमारे संस्कृति के रक्षक और भारत के मूल निवासी है जिन्होंने आज तक भारतीय संस्कृति को सहेजक कर रखा है। और नित्य उसकी रक्षा करते है ।

कार्यक्रम के समापन पर सभी बच्चो के सुंदर प्रस्तुति से खुश होकर मिठाई के लिये 2100 रुपये नगद भेट चौहान सर द्वारा दिया गया। 

कार्यक्रम को सफल बनाने में मुख्य रूप से विद्यालय के प्राचार्य संतोष कुमार वर्मा और विद्यालय के समस्त शिक्षक  शिक्षिकाओं का प्रमुख योगदान रहा।

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