मईके सदन में मनाई गई महाकवि तुलसी दास जयंती

श्री रामचरितमानस की प्रत्येक दोहा चौपाई सुसंस्कृत संस्कारवान समाज का मूल आधार

छुरा (गंगा प्रकाश) :- मईके सदन में योग ऋषि मानस परिवार छुरा द्वारा महाकवि तुलसीदास जी की 526 वीं जयंती मनाई गई। प्रतिवर्ष की भांति श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गोष्ठी के माध्यम से गोस्वामी तुलसीदास जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। श्री राघवेंद्र मानव संघ संरक्षक के.आर. सिन्हा, हरिओम मानस परिवार दुल्ला के गीतकार संतराम कंवर, सुकवा के अंजोर मानस परिवार के गायक खोरबाहरा निषाद, योग ऋषि मानस परिवार के व्याख्याकार अर्जुन धनंजय सिन्हा, पतंजलि योग समिति के जिला योग प्रचारक गणेश आजाद द्वारा गोस्वामी तुलसीदास जी के तैलीय चित्र पर अक्षत पुष्प अर्पित की गई। के.आर. सिन्हा ने कहा कि बाबा तुलसीदास ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जी और रामभक्त हनुमान के भक्ति में लीन रहकर अनेकों रचनाए किया। जिनमें से श्रीरामचरित मानस सर्वश्रेष्ठ कृति है। बाबा तुलसीदास जन्म से ही अद्भुत बालक थे सामान्य बालको से हटकर उनका जन्म मां की कोख में 12 माह रहकर अभुक्त मूल नक्षत्र में हुआ। जन्म लेते ही उनके मुख से राम शब्द निकला। जिसके कारण उनका नाम राम बोला पड़ा। उन्होंने आगे कहा कि श्रीरामचरित मानस का प्रत्येक दोहा-चौपाई संस्कारवान, नैतिक मूल्यों से परिष्कृत समाज के निर्माण का मूल मंत्र है। खोरबाहरा निषाद ने गीत के माध्यम से महाकवि तुलसीदास जी के जीवन चरित्र एवं समाज उपयोगी रचनाओं की जानकारी दिया। संगीतकार संतराम कंवर ने कहा कि जन-जन तक राम नाम संकीर्तन पहुंचाने का संपूर्ण श्रेय बाबा तुलसीदास जी को जाता है। योग ऋषि मानस परिवार के व्याख्याकार अर्जुन धनंजय सिन्हा ने उनकी महत्वपूर्ण कृतियां कवितावली, जानकी मंगल, विनय पत्रिका, गीतावली,  हनुमान चालीसा, बरवै रामायण को संक्षेप में बताया। उन्होंने कहा कि तुलसीदास जी हिंदी साहित्य के मूर्धन्य कवि, साहित्यकार एवं दार्शनिक के रूप में विख्यात है। उनका जीवनकाल कई सारी विषमताओं से भरा रहा। हमें उनकी दी हुई मोक्षदयानी ज्ञान को आत्मसात करना चाहिए। इस अवसर पर योग ऋषि मानस परिवार के कोषाध्यक्ष गायक राहुल नामदेव, शिक्षक कृष्णेश यदु, देव सोनवानी, असवन, सौरभ चक्रधारी, डिगेश्वर सेन, विनोद विश्वकर्मा सहित राम नाम के रसिक संत उपस्थित थे।

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