बच्चे लोक जीवन में जीने की तर्जुबा सीखते हैं लोक पर्व पोला में कृषि आधारित लोक पर्व पोला आज

पाण्डुका (गंगा प्रकाश)। छत्तीसगढ़ में भाद्रपद अमावस्या को मनाया जाने वाला पोला पर्व आज अंचल में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा।जिसमें नन्हे मुन्हे बालक मिट्टी से बने नंदी बैल को सजाकर गली गली घुमायेगें वही बालिकाएं घर गृहस्थी का अनुभव मिट्टी से बने बर्तन चुकी पोरा और घरगुंदिया खेलकर इस पर्व का उत्साह बढा़एगी।कृषि प्रधान इस पर्व गृहणी की रसोई सामाग्री जो मिट्टी द्वारा निर्मित बर्तनों और मिट्टी के बने बैल जिसे नंदी बैल कहा जाता है जिसको घरों में पूजा अर्चना कर छत्तीसगढी़ व्यंजन पुडी़ ,बडा़,खुरमी ,अरसा,चीला सहित अनेक प्रकार का व्यंजनो से भोग लगाया जाता है तदुपरांत बालिकाएं गांव के गुडी़ चौपाल में एकत्रित होकर घरगुंदिया का खेल दौरान अनुभवी जीवन में सफल गृहणी का काम सीखते है इसी तरह छोटे छोटे बालको ने मिट्टी से बने बैलों को सजाकर गली मोहल्लो व चौक चौराहो पर घुमाते हुए खुशियाँ बटोरते हुए खेती किसानी के कार्यानुभव सीखा करते है ।आज यह पर्व अंचल के ग्राम पाण्डुका ,पोड़ ,खट्टी,रजनकटा,अतरमरा,आसरा,बोढा़बाधा,पचपेडी़,मुरमुरा,साकंरा,फुलझर,गाडा़घाट,कुरूद,कुटेना लोहरसी सहित इत्यादि गांवों में धूमधाम से मनाया जाएगा ।

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