पूर्व विधायक संतोष उपाध्याय ने छ.ग. सरकार द्वारा धान खरीदी में बायोमैट्रिक एंट्री के विरोध का काला चिट्ठा खोला

फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। कोई भी सरकार केन्द्र सरकार की मदद के बिना किसानों की उपज का न ही समर्थन मूल्य दे सकती और न ही खरीदी कर सकती। राज्य सरकार द्वारा बायोमैट्रिक नियम से धान खरीदी के विरोध पर स्थिति स्पष्ट करते हुए धान खरीदी पर विस्तृत चर्चा में पूर्व विधायक संतोष उपाध्याय ने कांग्रेस के उस दावे को खोखला करार दिया जिसमें कांग्रेसी दावा कर रहे है कि वे बिना केन्द्र के सहयोग के छत्तीसगढ़ में धान खरीद सकते है। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि यदि कांग्रेस और भूपेश में इतना दम है तो केन्द्र के साथ किए गए उस एम. ओ. यू. को निरस्त कर दे जिसमें यह शर्त है कि केन्द्र सरकार छत्तीसगढ़ के उत्पादित धान मिलिंग करार राज्य सरकार से खरीदेगी। श्री उपाध्याय ने कहा कि भूपेश सरकार में इतना दम नहीं है कि वह मोदी सरकार के सहयोग के बिना छत्तीसगढ़ में धान खरीदी कर सके। उन्होंने कहा कि धान की कीमत का 80 से 90 प्रतिशत राशि मोदी सरकार देती है। इतना है कि राज्य जितना धान संग्रहित करती उसका लगभग 85 प्रतिशत धान चांवल के रूप में मोदी सरकार खरीदती है। भूपेश सरकार पर धान खरीदी में काफी घालमेल करने का आरोप लगाते हुए श्री उपाध्याय ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार छत्तीसगढ़ के किसानों का पूरा का पूरा धान खरीदने के लिए तैयार है, पर भूपेश सरकार सहयोग नहीं कर रही है। पिछले खरीफ मौसम में प्रदेश सरकार को धान खरीदी के बाद 61 लाख मीट्रिक टन चांवल भारतीय खाद्य निगम को जमा करना था। बाद में यह कोटा राज्य सरकार के अनुरोध पर घटाकर 58 लाख मीट्रिक टन किया गया लेकिन उसमें भी राज्य की कांग्रेस सरकार ने केवल 53 लाख लाख मीट्रिक टन चांवल ही जमा कराया। जबकि सरकार दावा कर रही है कि छत्तीसगढ़ में 107 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई है। भूपेश सरकार 61 लाख मीट्रिक टन धान चांवल देने का वादा कर केन्द्र पूल में सिर्फ 53 लाख मीट्रिक टन चांवल दे पाई है वह अब यह कह रही है कि 86 लाख मीट्रिक टन सेंट्रल पूल में चांवल जमा कर सकते है जबकि राज्य सरकार ने 3 अगस्त 2023 को पत्र लिख कर सूचना दी कि अगले खरीफ मौसम में धान का उत्पादन 138 लाख मीट्रिक टन की तुलना में 136 लाख टन होगा। इसका मतलब है छत्तीसगढ़ में पिछले साल की तुलना में 2 लाख टन धान का उत्पादन कम होगा। संतोष उपाध्याय पूर्व विधायक ने कहा कि ऐसे में धान की खरीदी कैसे ज्यादा होगी कि 86 लाख टन चांवल केन्द्रीय पूल में जमा सकेंगे। इससे सरकार द्वारा धान की खरीदी में घोटाला करने की साजिश दिखाई दे रही है। कांग्रेस की मानसिकता दिखाती है कि इस मामले में वह केवल सियासत करना चाहती है। श्री उपाध्याय ने जानकारी देते हुए बताया कि भूपेश सरकार का कृषि विभाग केन्द्र सरकार को आंकड़ो सहित बता रहा है कि प्रदेश में प्रति एकड़ धान का औसत उत्पादन जब 13-1 क्विंटल है तो प्रदेश की सरकार किस आधार पर 20 क्विंटल धान खरीदने का दावा कर रही है। इससे स्पष्ट होता है कि अन्य राज्यों से अवैध तौर पर प्रदेश में धान कांग्रेस सरकार के कथित सहमति से बेचा जा रहा है। यह एक तरफ से धान की तस्करी जैसा मामला है। पूर्व विधायक संतोष उपाध्याय का आरोप है कि चांवल तस्करी से पैसा खाने की योजना कांग्रेस बना चुकी है इसे रोकने के लिए केन्द्र सरकार धान खरीदी प्रक्रिया में बायोमैट्रिक पद्धति का उपयोग कर रही है। जब केन्द्र सरकार द्वारा बायोमैट्रिक एंट्री की बात कही जा रही है तो कांग्रेस की पूरी सरकार इस बात को लेकर भयभीत है। श्री उपाध्याय ने कहा कि इससे लगता है कि प्रदेश सरकार की मंशा बेईमानी करने की है।

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