महिला आरक्षण विधेयक मोदी सरकार का चुनावी जुमला – भावसिंग साहू

फिंगेश्वर(गंगा प्रकाश)। जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भावसिंग साहू ने लोकसभा में पेश महिला आरक्षण से संबंधित विधेयक को चुनावी जुमला करार देते हुए कहा है कि महिलाओं के साथ महिला विधेयक के नाम पर धोखा हुआ है क्योंकि विधेयक में कहा गया है कि ताजा जनगणना परिसीमन के बाद यह 2029 से लागू होगा। जब यह स्पष्ट था कि इस विधेयक का लाभ 2024 के चुनाव में महिलाओं को नहीं मिल पाएगा तो इसके लिए विशेष सत्र क्यों बुलाया गया। लगता है मोदी सरकार कदम इवेंट मैनेजमेंट के अलावा और कुछ भी नहीं है जो 2014 से वे करते आ रहे है। मोदी सरकार 2021 में जनगणना कराने में विफल रही है विधेयक में कहा गया है कि आरक्षण अगली जनगणना के प्रकाशन और उसके बाद परिसीमन प्रक्रिया के बाद ही प्रभावी होगा। श्री साहू ने कहा कि क्या मोदी सरकार 2024 चुनाव से पहले जनगणना और परिसीमन करा पाएगी यदि नहीं तो प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव से कुछ माह पहले महिला आरक्षण के नाम से एक और जुमला फेका है और यह जुमला अब तक का सबसे बड़ा जुमला है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने हमारे देश की महिलाओं के साथ विश्वास घात किया है उनके उम्मीदों को तोड़ा है कांग्रेस पार्टी पिछले नौ साल से मांग कर रही है कि महिला आरक्षण विधेयक जो पहले ही राज्यसभा से पारित हो चुका है। उसे लोकसभा से भी पारित कराया जाना चाहिए। श्री साहू ने आगे कहा कि सबसे पहले राजीव गांधी ने 1989 में पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया था। आज पंचायतों और नगर पालिकाओं में 15 लाख से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधि है। यह संख्या 40 प्रतिशत के आसपास है। परंतु मोदी सरकार का यह विधेयक फिलहाल मात्र महिलाओं का वोट लेने के लिए है। क्योंकि इस विधेयक का लाभ 2024 के लोकसभा चुनाव में महिला को नहीं मिलेगा।

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