
फिंगेश्वर(गंगा प्रकाश)। मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक पेंशन सहायता योजना खोखले वादे और दावे करने वाली कांग्रेस और भूपेश सरकार का एक और फरेब है। जिला पंचायत की पूर्व अध्यक्ष भाजपा नेत्री डॉ. श्वेता शर्मा ने कहा है कि चुनाव के ठीक पहले अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को बुलाकर इस योजना को प्रदेश में लागू करने की घोषणा कर भूपेश बघेल ने एक बार फिर छत्तीसगढ़ की भोली-भाली गरीब जनता के साथ छलावा किया है। श्रम विभाग में कानूनों का खुले तौर पर उल्लंघन करने और श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के लाभ से वंचित रखने वाली कांग्रेस सरकार आंकड़ों का खेल करने की बजाय यह बताए कि इस योजना से प्रदेश के कितने लोगों को और कब तक लाभ मिलेगा। श्रीमती शर्मा ने कहा कि निर्माण कार्य में लगे ऐसे पंजीकृत श्रमिकों की संख्या बहुत कम है और 10 साल पूरी करने वालों की संख्या तो और भी नगण्य है जो कुल वृद्ध निर्माण मजदूरों की संख्या का एक फीसदी भी नहीं है। यह योजना नितांत अव्यवहारिक है। डॉ. श्वेता शर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ने जो अटल पेंशन योजना लागू की है उसमें कोई व्यक्ति जिसकी उम्र 45 वर्ष है और वह यदि 15 साल तक अपना अंश जमा करता है तो उसे 60 वर्ष की आयु के बाद आजीवन प्रतिमाह 1500 रू. से लेकर 5000 रू. बतौर पेंशन मिलेगा। इसलिए प्रदेश सरकार की यह योजना पूर्णतः फर्जी है। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. श्वेता शर्मा ने कहा कि श्रम विभाग में कौशल विकास योजना के तहत करीब 10 करोड़ रू. से ज्यादा कंपनियों को भुगतान किया गया है। केन्द्र की आरपीएल कौशल विकास योजना में जिस राष्ट्रीय कंपनी को मजदूरों के कौशल विकास योजना का कार्य दिया था उसे छ.ग. के एक मंत्री के नजदीकी एक ही व्यक्ति को पेटी कॉन्टै्रक्ट दे दिया गया और बड़ी संख्या में मजदूरों का फर्जी कौशल उन्नयन किया गया। भ्रष्टाचार में आकंठ डूब कांग्रेसियों ने यहां भी फर्जी तरीके से राशि का बंदरबांट किया है। इस योजना में मजदूरों के कार्यस्थल पर प्रशिक्षण दिया जाना है जबकि श्रम विभाग द्वारा श्रम कार्यालयों में फर्जी मजदूरों का प्रशिक्षण कराकर भारी राशि का घोटाला किया गया है। डॉ. श्वेता शर्मा ने कहा कि मंडल की विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में वर्तमान सरकार ने अधिकांश योजनाओं का लाभ उसकी प्रक्रिया को जटिल करते हुए बंद कर दिया है। श्रमिकों के बीच लोकप्रिय कन्या विवाह योजना, जिसके तहत श्रमिकों की कन्याओं के विवाह हेतु 20 हजार रू. की राशि प्रदान की जाती थी एवं नौनिहाल छात्रवृत्ति योजना जिसके तहत श्रमिकों के बच्चों को 1500 रू. से लेकर 55 हजार रू. तक की छात्रवृत्ति कक्षा 1 से लेकर स्नातकोत्तर के छात्रों को प्रदान की जाती थी। जिला पंचायत की पूर्व अध्यक्ष डॉ. श्वेता शर्मा ने कहा कि इन योजनाओं को प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने पूर्णतः बंद कर दिया है।