
फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने स्वामी आत्मानंद कोचिंग योजना की शुरूआत कर प्रदेश की प्रतिभाओं को कुचलने और दबाने का काम शुरू किया है। यह आरोप लगाते हुए भाजपा के नमामि गंगे के प्रदेश संयोजक अशोक राजपूत ने कहा कि भूपेश सरकार ने आत्मानंद कोचिंग का ठेका एलंस कोचिंग को दिया है। बिना भ्रष्टाचार और कमीशन के कोई काम न करने वाली इस सरकार के मुखिया ने इसमें भी निःसंदेह कमीशन का खेल खेला है। प्रदेश में स्थानीय स्तर पर अनेक ऐसी संस्थाएं है जहां से हर साल सैकड़ों हजारों छात्र-छात्राएं सफल हो रहे है। इन स्थानीय संस्थाओं का काम क्यों नहीं दिया। दिल्ली की संस्था को ठेका क्यों दिया। इसमें कितने करोड़ का लेनदेन हुआ है। श्री राजपूत ने कहा कि स्थानीय और छत्तीसगढ़िया को लाभ देने का राग अलापने वाले भूपेश सरकार को इसका जवाब देना होगा। उन्हें यह बताना होगा कि ऐसा कर क्या उन्होंने प्रदेश के विकास में भागीदार बन रहे कोचिंग संस्थानों को बंद करने का कुत्सित प्रयास नहीं किया है। उन्होंने ने कहा कि चुनाव के ठीक पहले आत्मानंद कोचिंग के नाम से भ्रष्टाचर की नई दुकान खोलने वाले भूपेश बघेल को यह भी स्पष्ट करना होगा कि उन्हें जब स्थानीय प्रतिभाओं को उभारना ही था तो उसने सत्त में आते ही पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में एससीईआरटी में एडुसेट के माध्यम से 11 वीं और 12 वीं के विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन कोचिंग की जो व्यवस्था पूरे प्रदेश में सभी के निःशुल्क की गई थी उसे खत्म क्यों किया। उन्होंने कहा कि गांव और कस्बों में रहने वाले गरीब विद्यार्थियों को ऑनलाइन कोचिंग का इस सरकार ने केवल झुनझुना पकड़ाया है। उन्हें बताना होगा कि इस नई योजना में प्रदेश के गरीब विद्यार्थियों को स्मार्ट फोन कहां से मिलेगा। क्योंकि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने हर विद्यार्थी और गरीब को मोबाईल देने की योजना बनाई थी उसे तो इस सरकार ने बंद कर दिया है। नमामि गंगे के प्रदेश संयोजक अशोक राजपूत ने कहा कि भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ में आत्मानंद स्कूल और कॉलेज शुरू किया। इस योजना में पुराने स्कूलों का रंग-रोगन कर और घटिया सामग्री की सप्लाई कर प्रदेशभर में जिला खनिज न्यास निधि (डीएमएफ) के कई करोड़ रूपयों का बंदरबाट किया। इन स्कूलों में हुए घोटालों की परतें अभी से खुलने लगी है। श्री राजपूत ने कहा कि इतना ही नहीं ज्यादातर स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए इस शिक्षा सत्र में भी चार महीने बीत जाने के बाद भी शिक्षकों तक की व्यवस्था भूपेश बघेल नहीं कर पाए।