
फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। शुक्रवार 27 अक्टूबर को फिंगेश्वर के राजा दशहरा की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। फिंगेश्वर राजमहल, मॉ मौली माता प्रांगण, बालाजी मंदिर प्रांगण सहित सभी मंदिरों एवं पूरे नगर को दुल्हन की तरह सजाया गया है। सभी मंदिरों में श्रद्धालुजनों की भीड़ की संभावना के चलते सुरक्षा व्यवस्था काफी दुस्त दुरूस्त रखी गई है। सुरक्षा व्यवस्था हेतु बाहर से पुलिस बल के साथ महिला पुलिस बुलाई गई है। प्रशासनिक अधिकारियों ने गुरूवार को पूरे दशहरा महोत्सव स्थल का दौरा कर व्यवस्था को देखा और अधिकारियों को दिशा निर्देश दिया। प्रातः दफ्तर पूजा के साथ राजा दशहरा के कार्यक्रम शुरू हो जावेंगे। उसके उपरांत सभी मंदिरों मौली माता मंदिर, बालाजी मंदिर, पंच मंदिर, फणिकेश्वर नाथ मंदिर, शीतला माता मंदिर आदि में विशेष पूजा अर्चना के बाद सभी मंदिरों के शिखर में ध्वज चढ़ाया जावेगा। दोपहर में राज परिवार कुल देवी मौली माता मंदिर में पूरे राजसी वेशभूषा में राजा नीलेन्द्र बहादुर सिंह गणमान्य नागरिकों, मॉ के भक्तों, श्रद्धालुजनों एवं मंदिर की ट्रस्टी राजा देवेन्द्र बहादुर सिंह, सुश्री पुखराज सिंह, श्रीमती यशोधरा सिंह धु्रर्वे, शिवाजी राव धु्रर्वे, युवराज आदित्येन्द्र सिंह, ठाकुर शिवकुमार सिंह, ठाकुर रमेन्द्र सिंह, ठाकुर आनंदवर्धन, पंकज शर्मा, रवि तिवारी आदि के साथ मॉ मौली की विशेष पूजा अर्चना एवं आरती करेंगे। इस अवसर पर हजारों की संख्या में ग्रामीण शामिल होते है। आचार संहिता के चलते फिंगेश्वर दशहरा के सबसे महत्वपूर्ण एवं लोगों के आकर्षण का केन्द्र राजा साहब की सवारी रात्रि में 8 बजे राजमहल से निकलेगी। जिसमें अस्त्र सस्त्र राजा के सैनिक आदि शामिल होंगे। राजा साहब की शोभायात्रा नगर भ्रमण करती हुई रानी श्यामकुमारी देवी चौक पहुंचेगी। जहां प्रतीकात्मक युद्ध के बाद राजा की विजय के साथ शानदार आतिश बाजी के बीच राजा साहब की सवारी वापस राजमहल की ओर लौटेगी। रास्ते में नगरवासी विजयी राजा का तिलक वंदन करेगी। अंत में राजमहल का नागरिकों एवं उपस्थित गणमान्य नागरिक द्वारा तिलकपान सुपारी के साथ फिंगेश्वर का राजशाही दशहरा का समापन होगा। मंदिर सूत्रों के अनुसार बालाजी मंदिर प्रांगण में 29 अक्टूबर रविवार को शरद पूर्णिमा का कार्यक्रम संपन्न होगा।