पांच साल पहले जिस पुलिया निर्माण के लिए चुनाव बहिष्कार का एलान किया था,अब तक हैं अधूरी

तेलनदी के सेनमुड़ा घाट पर 10 करोड़ लागत से बन रहे पुल को 2017 में मिली थी मंजूरी

14 में से 13 पिल्लहर खड़ा,आधी अधूरी स्लैब की हुई ढलाई

गरियाबंद(गंगा प्रकाश)। तेलनदी  के सेनमूडा  घाट पर भाजपा सरकार ने पुलिया बनाने के लिये 6 करोड़ 32 लाख की मंजूरी देकर जनवरी 2017 में कार्यदेश भी जारी कर दिया था. काम कराने की जिम्मेदारी प्रधान मंत्री ग्रामीण सड़क विभाग के सेतु निर्माण शाखा को दिया गया। विभाग ने राजधानी के गणपति कंस्ट्रक्शन के साथ काम का अनुबंध भी कर लिया । 325 मीटर लम्बी पुल की स्लैब ढलाई के लिये 14 खम्भे खड़े किए जाने थे. काम शुरू होता उससे पहले पूल तकनीकी पेंच में जा फंसा।तकनीकी अधिकारियों ने इस 10 पियर खड़े करने के लिये दूसरी डिजाइन की सलाह दिया. विभाग ने काम बंद कर नए डिजाइन तैयार करने भोपाल के आर्किटेक्ट को पेपर्स भेजे.दोबारा डिजाइन तय किया गया तो पुल की लागत बढ़ कर 10 करोड़ हो गई।काम 2021 में दोबारा शुरू हुआ लेकिन काम धीमी थी।2022 में विभाग के एस सी ई वरुण  राजपुत के नेतृत्व में काम ने गति पकड़ा और एक साल में भ 6 से ज्यादा पियर खड़ा किया गया,अब तक 14 में से 13 पियर खड़ा हो चुका है 200मीटर से ज्यादा की स्लैब ढलाई भी हो गई है। बारिश के बाद काम शुरू होना था जो अब तक नही हो सका है।

पांच साल बाद भी समस्या नही बदली

भाजपा सरकार के समय मंजूर काम कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में गति पकड़ा।इसके लिए ग्रामीणों ने 2018 के चुनाव के पहले काम शुरू कराने 20 सितंबर को नदी में एकत्र होकर चुनाव बहिष्कार का एलान कर दिया था।कांग्रेस  सत्ता में आई ,अफसरों ने वायदे के मुताबिक काम दोबारा शुरू किया पर ,पांच साल में भी पूल को पुरा नही कर सके।लिहाजा 12 माह बहने वाले इस नदी में अब भी ग्रामीण बैगर पुल के भारी मशक्कत से नदी पार करते हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी

मामले में विभाग के एसीई वरुण राजपुत ने कहा की पिछले डेढ़ वर्षो में ही हमने कार्य को 20 से उठाकर 80 फीसदी तक पंहुचा दिया है।जल्द काम शुरू कराए जा रहे हैं।इस साल पुल निर्माण पूरा करा लिया जाएगा।

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